अवनि लखेरा ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में जीता गोल्ड, मोना अग्रवाल ने कांस्य पदक के साथ खोला भारत का खाता

Authored By: सतीश झा

Published On: Saturday, August 31, 2024

Updated On: Saturday, August 31, 2024

rifle shooter avni lakhera

पेरिस पैरालंपिक 2024 (Paris Paralympics 2024) में भारत की अवनि लखेरा ने देश का मान बढ़ाते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। अवनि ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। उनके इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने भारत के पैरालंपिक अभियान की शुरुआत एक धमाकेदार अंदाज में की है।

इसी इवेंट में भारत की एक और खिलाड़ी, मोना अग्रवाल ने भी शानदार प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीतकर देश के लिए एक और सफलता हासिल की। इन दो पदकों के साथ ही मौजूदा पैरालंपिक गेम्स में भारत का पदक तालिका में खाता खुल गया है। इस सफलता के लिए अवनि लखेरा और मोना अग्रवाल को देशभर से बधाई मिल रही है। उनकी इस जीत से भारतीय खेल प्रेमियों में उत्साह और गर्व का माहौल है।

अवनि लखेरा (Avni Lakhera) की शानदार वापसी

अवनि लखेरा पहले भी अपने खेल के दम पर भारत को गौरवान्वित कर चुकी हैं, और इस बार उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक बार फिर इतिहास रच दिया। अवनि का यह प्रदर्शन उनके कठिन परिश्रम और समर्पण का प्रमाण है, जो उन्होंने अपने खेल में निरंतर सुधार के लिए किया है।

संकट कितना भी घना हो, मेहनत से सफलता मिलती है जरूर

अगर मन से किसी चीज को पाने की चाहत हो तो काफी मुश्किलें झेलने के बावजूद सफलता एक-न-एक दिन आपके कदम खुद चूमती है। ऐसा ही कुछ राजस्थान में जन्मी अवनि लखेरा के साथ देखने को मिला, जिन्होंने पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत को गोल्ड जिताया।

भारतीय पैरालंपिक और राइफल शूटर अवनि लखेरा की जिंदगी में संघर्ष का एक बड़ा हिस्सा शामिल रहा है। साल 2012 में शिवरात्रि के दिन अवनि का एक भयानक कार एक्सीडेंट हो गया, जिसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदलकर रख दिया। इस हादसे में अवनि को गंभीर चोटें आईं, और उन्हें पैरालिसिस हो गया। उस वक्त अवनि केवल 11 साल की थीं और उनके जीवन के सपने अधूरे लगने लगे।

हिम्मत हार गई थीं अवनि

एक्सीडेंट के बाद अवनि का आत्मविश्वास पूरी तरह टूट चुका था। वह इतनी निराश और हताश हो गई थीं कि अपने कमरे से बाहर निकलना भी बंद कर दिया था। उनका भविष्य धुंधला दिखाई देने लगा, और वे खुद को एक अंधेरे में घिरा हुआ महसूस कर रही थीं। लेकिन इस मुश्किल समय में उनके परिवार ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा।

परिवार का समर्थन बना सबसे बड़ी ताकत

अवनि के परिवार ने उनके इस संघर्ष भरे सफर में हर कदम पर उनका साथ दिया। उनके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों ने अवनि को लगातार हिम्मत दी और उन्हें समझाया कि उनका जीवन अभी खत्म नहीं हुआ है। अवनि की मां ने उन्हें किताबें पढ़ने और प्रेरणादायक कहानियों को सुनाने का सिलसिला शुरू किया, जिससे धीरे-धीरे अवनि का आत्मविश्वास वापस आने लगा।

शूटिंग ने दी जिंदगी को नई दिशा

अवनि ने अपने परिवार के समर्थन और प्रेरणा से अपनी जिंदगी को नई दिशा देने का फैसला किया। उन्होंने शूटिंग में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया और इसमें खुद को पूरी तरह से झोंक दिया। कड़ी मेहनत और लगातार प्रयासों के दम पर अवनि ने अपनी निशानेबाजी की कला को निखारा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पैरालंपिक में जीता गोल्ड मेडल (Gold Medal)

अवनि लखेरा ने अपने जीवन के संघर्ष को अपनी ताकत में बदलते हुए पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। उनकी यह जीत सिर्फ एक मेडल नहीं, बल्कि उनके जज्बे, संघर्ष और परिवार के समर्थन की जीत है। अवनि की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।

अवनि लखेरा की इस शानदार उपलब्धि पर पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। उनका संघर्ष और उनके परिवार का समर्थन यह बताता है कि मुश्किल हालातों में भी अगर हिम्मत और साहस न टूटे, तो हर बाधा को पार किया जा सकता है।

मोना अग्रवाल (Mona Agarwal) का कांस्य पदक जीतना भी खास

मोना अग्रवाल ने भी 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में बेहतरीन निशानेबाजी का प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया। मोना की इस उपलब्धि ने भारत के लिए खुशी का दूसरा क्षण प्रदान किया और पैरालंपिक में भारतीय दल का मनोबल बढ़ाया।

भारत की जीत का खाता खुला

अवनि और मोना के इन पदकों के साथ ही पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का जीत का खाता खुल गया है। यह दोनों पदक न केवल खिलाड़ियों की व्यक्तिगत मेहनत का परिणाम हैं, बल्कि यह पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। अवनि और मोना की इस उपलब्धि ने भारत के पैरालंपिक अभियान को मजबूती दी है और भविष्य के मुकाबलों के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया है।

About the Author: सतीश झा
समसामायिक मुद्दों पर बीते दो दशक से लेखन। समाज को लोकदृष्टि से देखते हुए उसे शब्द रूप में सभी के सामने लाने की कोशिश।

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