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युद्ध लंबा खिंचता तो दिवालिया हो जाता पाकिस्तान, सीजफायर के फैसले में इकोनॉमी की भी अहम भूमिका!
युद्ध लंबा खिंचता तो दिवालिया हो जाता पाकिस्तान, सीजफायर के फैसले में इकोनॉमी की भी अहम भूमिका!
Authored By: Suman
Published On: Sunday, May 11, 2025
Last Updated On: Sunday, May 11, 2025
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) कई साल से खस्ताहाल है और वह IMF, विश्व बैंक से मिले कर्ज के दम पर चल रहा है. ऐसे में उसके लिए युद्ध के मैदान में लंबे समय तक टिकना असंभव है..
Authored By: Suman
Last Updated On: Sunday, May 11, 2025
India-Pakistan Ceasefire: पाकिस्तान ने भारत के सामने घुटने टेक दिए और वहां के DGMO ने फोन कर खुद सीजफायर करने के लिए बात की. पाकिस्तान के इस फैसले के पीछे इकोनॉमी की भी अहम भूमिका है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) की हालत कई साल से खस्ताहाल है और वह IMF, विश्व बैंक से मिले कर्ज या खैरात के दम पर चल रहा है. ऐसे में उसके लिए युद्ध के मैदान में लंबे समय तक टिकना असंभव है.
खासकर भारत ने जब उसके विमानों, मिसाइल, अवाक्स सिस्टम और कई एयर बेस को नष्ट किया तो उसके सामने घुटने टेकने के अलावा कोई चारा नहीं बचा.
पाकिस्तान (India-Pakistan war) ने भारत पर ड्रोन, मिसाइल, अवाक्स, लड़ाकू विमानों सबसे हमले का प्रयास किया, लेकिन भारत ने सबको नेस्तनाबूद कर दिया. पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से पंजाब और राजस्थान तक हर जगह हवाई और ड्रोन हमले किए. भारत ने इन सभी हमलों को नाकाम किया. फिर इसके जवाब में पाकिस्तान के कई प्रमुख सैन्य विमानों को मार गिराया, जिनमें JF-17, J-10 और Saab-2000 Erieye AWACS शामिल हैं. JF-17 थंडर की कीमत करीब 15 मिलियन डॉलर (करीब 421 करोड़ पाकिस्तानी रुपये ) है, नए एफ-16 की कीमत करीब $40 से $70 मिलियन डॉलर यानी 1124 से 2,000 करोड़ पाकिस्तानी रुपये है.
पाकिस्तान के पास कुल 9 ऐसे एयरबोर्न रडार सिस्टम हैं, ऐसे एक एयरबोर्न रडार सिस्टम की कुल लागत 200 मिलियन डॉलर यानी करीब 5,600 करोड़ पाकिस्तानी रुपये है. हरियाणा के सिरसा में जिस फतेह मिसाइल (Fattah-II) को मार गिराया गया उसकी कीमत भी करोड़ों डॉलर में है.
इन सब वजहों से यह तय था कि अगर युद्ध लंबा खिंचता तो पाकिस्तान दिवालिया होने की ओर बढ़ सकता है. जिस देश के पास खाने को पैसे न हों वह युद्ध कैसे लड़ सकता है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज की चेतावनी
मूडीज रेटिंग (Moody’s Investors Service) ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध गहराया तो पाकिस्तान की इकोनॉमी की हालत और खराब होगी और वहां की इकोनॉमी में जो कथित सुधार हो रहा है वह पटरी से उतर जाएगा. मूडीज ने कहा कि मौजूदा हालत से पाकिस्तान की विदेशी कर्ज तक पहुंच काफी घट जाएगी. साथ ही देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी काफी दबाव बनेगा.
दूसरी तरफ मूडीज ने कहा कि इसका भारत पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यहां की अर्थव्यवस्था मजबूत है और भारत का पाकिस्तान के साथ कारोबारी रिश्ता भी बहुत कम है.
इकोनॉमी पहले से बर्बाद
पाकिस्तान की इकोनॉमी पहले से ही बर्बाद है. हालात यह है कि उसे जंग के बीच ही आईएमएफ से कर्ज मंजूर हुआ है. 9 मई की बैठक में बोर्ड ने पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम की समीक्षा की और तत्काल 1 अरब डॉलर की राशि जारी करने पर मुहर लगाई. रेजिलेंस ऐंड सस्टेनबिलिटी फेसिलटी के तहत पाकिस्तान को कुल 2.4 अरब डॉलर की राशि दी जा रही है. साल 1989 से पिछले 35 साल में पाकिस्तान ने करीब 28 साल आईएमएफ से मदद हासिल की है. पिछले पांच साल में ही उसे 4 बार आईएमएफ के कार्यक्रमों से मदद मिली है.
पिछले वर्षों में पाकिस्तान की इकोनॉमी कई बार डिफॉल्ट के कगार पर पहुंच चुकी है. इसके पहले साल 2023 में पाकिस्तान लगभग डिफॉल्ट की स्थिति में था तब भी आईएमएफ से कर्ज मिलने पर पाकिस्तान की स्थिति संभली थी. मई 2025 तक, पाकिस्तान आईएमएफ का पांचवां सबसे बड़ा कर्जदार है. इस साल मार्च में ही पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर के लोन के साथ आईएमएफ का बेलआउट पैकेज मिला है.
बढ़ता कर्ज और महंगाई
पिछले 20-25 साल में पाकिस्तान का कर्ज लगातार बढ़ता गया है और वह कर्ज बोझ के नीचे दबा हुआ है. दिसंबर 2024 तक पाकिस्तान का बाहरी कर्ज 131.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें, तो यह सिर्फ 15.48 अरब डॉलर है. युद्ध के दौरान पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र खाली होने से इसमें तेजी से गिरावट आने लगी.
साल 2023 में पाकिस्तान पर कर्ज जीडीपी के 78 फीसदी के आसपास पहुंच गया. इसके बाद 2024 में सरकारी राजस्व के करीब 57 फीसदी तक तो ब्याज भुगतान में ही चला जाना था. पाकिस्तान के सामने कई बार भुगतान संतुलन का संकट आया है. साल 2024 में
ऐसी स्थिति आई जब उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया कि महज छह हफ्तों तक ही आयात हो सकता था. मई 2023 में वहां महंगाई 38 फीसदी तक पहुंच गई थी. इसके बाद अभी भी महंगाई (Pakistan Inflation) दो अंकों से ऊपर है. साल 2024 में महंगाई औसतन 24 फीसदी रही और पाकिस्तानी लोग खाने-पीने और रोजमर्रा के सामनों के तरसते रहे.
पिछले 25 वर्षों के दौरान भारत ने आर्थिक विकास के मामले में पाकिस्तान को बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया है. पाकिस्तान की कुल जीडीपी करीब 360.71 अरब डॉलर ही है, जबकि इसकी तुलना में भारत की जीडीपी 4,187.017 अरब डॉलर है यानी पाकिस्तान की जीडीपी से 10 गुना से भी ज्यादा.
एशियन विकास बैंक (ADB) के मुताबिक पाकिस्तान की जीडीपी में 2024 में महज 2.5 फीसदी की बढ़त हुई थी और अगले दो साल में भी 2.5 से 3 फीसदी की ही बढ़त होने की उम्मीद है. इसकी तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था 6 फीसदी से ज्यादा की गति से बढ़ रही है.
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