National StartUp Day : भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम का हुआ विस्तार, तेजी से आगे बढ़ रहीं महिला उद्यमी

National StartUp Day : भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम का हुआ विस्तार, तेजी से आगे बढ़ रहीं महिला उद्यमी

Authored By: अंशु सिंह

Published On: Thursday, January 16, 2025

Last Updated On: Thursday, January 16, 2025

National StartUp Day: Bharat mein startup ecosystem ka vistar aur mahila udyamiyon ka tezi se aage badhna
National StartUp Day: Bharat mein startup ecosystem ka vistar aur mahila udyamiyon ka tezi se aage badhna

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से विस्तार कर रहा है। इस समय देश में करीब 1.59,157 लाख स्टार्टअप्स हैं, जिन्हें सरकार से मान्यता मिली हुई है। स्टार्टअप्स न सिर्फ उद्यमिता, बल्कि इनोवेशन एवं टेक्नोलॉजी को भी बढ़ावा दे रहे हैं। निवेशकों, मेंटर्स, सरकार के साथ मिलकर उद्यमी देश में रोजगार का भी बड़े पैमाने पर सृजन कर रहे हैं। कह सकते हैं कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में स्टार्टअप्स की भूमिका दिनों दिन बढ़ रही है। अच्छी बात ये है कि स्टार्टअप्स में महिलाओं की हिस्सेदारी भी उल्लेखनीय है। आइआइटी चेन्नई के इस अध्ययन में पाया गया है कि करीब 21% वित्त पोषित स्टार्टअप्स का नेतृत्व महिलाओं के हाथों में है।

Authored By: अंशु सिंह

Last Updated On: Thursday, January 16, 2025

National StartUp Day: भारत की महिलाएं उद्यमिता में तेजी से आगे आ रही हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कुल स्टार्टअप्स में से करीब 46 फीसदी स्टार्टअप्स में एक महिला डायरेक्टर हैं। महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स की संख्या दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा है। उसके बाद बेंगलुरु एवं मुंबई का स्थान आता है। हालांकि, फंडिंग के मामले में बेंगलुरु पहले स्थान पर है, जहां महिलाओं के नेतृत्व वाले टेक स्टार्टअप्स के लिए करीब 9.5 बिलिय डॉलर जुटाए गए। टियर-2 शहरों की बात करें, तो जयपुर एवं इंदौर शीर्ष स्थानों पर रहे। डाटा प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन की रिपोर्ट कहती है कि भारतीय तकनीकी उद्योग में स्टार्टअप्स में महिला उद्यमियों की हिस्सेदारी 18 फीसद से ज्यादा है। वहीं, वित्त पोषित कंपनियों में यह हिस्सेदारी 14 फीसदी के करीब है। वैश्विक स्तर पर स्थिति और अच्छी कही जा सकती है, जहां महिला संस्थापकों वाली कंपनियों द्वारा जुटाए गए वित्त पोषण के मामले में भारतीय तकनीकी स्टार्टअप इकोसिस्टम का स्थान अमेरिका के बाद दूसरे नंबर है। इसके अलावा, महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स ने बीटुसी ई-कॉमर्स, इंटरनेस फर्स्ट ब्रांड, एसएएएस में तरक्की की है।

देश में बढ़ी यूनिकॉर्न की संख्या

2016 में जब स्टार्टअप इंडिया लॉन्च किया गया था, तब देश में सिर्फ 10 यूनिकॉर्न थे। आज इनकी संख्या 118 तक पहुंच गई है। शुरुआत में कोई भी वेंचर द्वारा फंडेड स्टार्टअप नहीं था, जिसका आइपीओ हो। आज कई स्टार्टअप्स अपना आइपीओ लॉन्च कर चुके हैं। वर्तमान समय में करीब 4000 से ज्यादा स्टार्टअप्स को स्टार्टअप इंडिया फंड से पूंजी प्राप्त हुई है। इसके अलावा, अटल इनोवेशन मिशन एवं नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशंस (निधि) प्रोग्राम के तहत स्टार्टअप को इंफ्रास्ट्रक्चर एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है। सरकार द्वारा लॉन्च की गई समृद्धि योजना भी काफी कारगर साबित हुई है। इस योजना का लक्ष्य 300 से अधिक सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट स्टार्टअप्स को चार सालों तक सपोर्ट करना है। इसके लिए उन्हें 40 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी दी जाएगी।

होमवर्क एवं तैयारी के बाद आएं उद्यमिता में

अगर आप भी कुछ अपना शुरू करना चाहते हैं, तो ठोस तैयारी और होमवर्क से खुद का बिजनेस या स्टार्टअप लॉन्च कर सकते हैं। इससे आप सिर्फ एक कर्मी नहीं, अन्य युवाओं को भी उनके सपनों को जीने का अवसर देने वाले भी बन सकते हैं। इसके लिए अपने हुनर को समझना, वक्त की जरूरत के अनुसार उसे और तराशना होगा। देश में स्टार्टअप बूम के बाद से अधिकांश इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स एक ही शब्द दोहराते सुनाई दे रहे हैं, एंटरप्रेन्योरशिप। इनके पास आइडिया है, टेक्नोलॉजी से साउंड हैं और रिस्क लेने से डरते नहीं। पूरी तैयारी के साथ मार्केट में कदम रखते हैं। फिर भी ये कहना मुश्किल है कि फेल्योर का कब सामना करना पड़ जाए ? ऐसे में जरूरी है कि युवा पूरी तैयारी के साथ उद्यमिता की ओर कदम बढ़ाएं। इंजीनियरिंग एवं मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम के ऑनलाइन टेस्ट प्रीपरेशन की सुविधा देने वाले एड-टेक स्टार्टअप, ‘टॉपर डॉट कॉम’ के संस्थापक जीशान हयात बताते हैं कि कामयाबी का कोई एक मंत्र नहीं हो सकता।

हमें मेहनत के साथ निरंतर नया सीखते रहना होता है। वक्त के साथ अपनी स्किल को जितना अपग्रेड करते चलेंगे, उतना फायदा मिलेगा। वे कहते हैं कि अमूमन एक स्टार्टअप की लाइफ चार-पांच साल की ही होती है। नए स्टार्टअप के लिए आइडिया लेवल पर ऐसा बिजनेस मॉडल होना चाहिए कि कॉस्ट कम हो, रेवेन्यू आने के चांसेज अधिक हों। हो सकता है कि शुरू में एक-दो साल ज्यादा रेवेन्यू न जनरेट हो। लेकिन यह ध्यान देना जरूरी है कि बिजनेस मॉडल क्या अख्तियार कर रहे हैं। स्टार्टअप में पैसा लगा रहे हैं, तो यह जरूर ध्यान रखें कि उसकी लिमिट क्या है। कॉन्सेप्ट में क्षमता कितनी है ? कॉन्सेप्ट को पहले छोटे दायरे में शुरू करें। रिजल्ट देखने के बाद उसे आगे ले जा सकते हैं। इससे इंवेस्टर्स को भी अपनी उपलब्धि दिखाने का मौका मिलेगा। इसके अलावा यंग एंटरप्रेन्योर्स को हमेशा गाइडेंस लेकर ही आगे बढ़ना चाहिए। फील्ड के अनुभवी लोगों से सलाह लेने में कोई बुराई नहीं है।

आइडिया का सही एग्जीक्यूशन है जरूरी

रेल यात्री डॉट इन के सीईओ एवं को-फाउंडर मनीष राठी मानते हैं कि किसी भी आइडिया की लाइफ बहुत सीमित होती है, इसलिए उसका एग्जीक्यूशन अधिक महत्व रखता है। स्टार्टअप शुरू करने से पहले देखना होता है कि आप दूसरों से अलग और नया क्या कर रहे हैं ? आपको प्रॉब्लम्स का अध्ययन करना होता है और उसके मुताबिक प्रोडक्ट बनाना होता है। इस पूरी प्रक्रिया में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आज की तारीख में वे स्टार्टअप अधिक कामयाब हैं, जो कंज्यूमर मार्केट की नब्ज पहचानते हुए इनोवेशन कर रहे हैं। जब आइडिया आए तो उसे पेपर पर लिख डालें, साथ ही अपना विजन, बिजनेस प्लान भी लिखें। इससे आइडिया को इम्प्लीमेंट करना आसान होगा। वैसे, जो एक बार एंटरप्रेन्योर बन जाता है, वह हमेशा एंटरप्रेन्योर ही रहता है, फिर चाहे उसका आइडिया पहली बार में क्लिक करे या फेल। वह फेल होने पर भी दोबारा उठ खड़े होने की हिम्मत रखता है।

दोस्ती एवं बिजनेस के बीच बना रहे संतुलन

अक्सर लोग दोस्तों और कलीग्स के साथ ही स्टार्टअप शुरू करते हैं, क्योंकि उन्हें वे अच्छे से जानते हैं। शुरुआत में ऐसे लोगों के साथ आइडिएशन पर काम करने में ज्या‍दा दिक्कंत नहीं आती है। लेकिन आप दूसरे क्षेत्र के ऐसे एंटरप्रेन्योर्स को भी अपने से जोड़ सकते हैं, जिन्हें एक दूसरे की जरूरत हो। टीम में बहुमुखी प्रतिभा वाले लोग होने चाहिए। टीम के बीच तालमेल जितना अच्छा रहेगा, परफॉर्मेंस उतनी बेहतर होगी। इकोक्रेडल की सह-संस्थापक सौम्या जैन कहती हैं कि हमारी निजी जिंदगी या संबंध पेशेवर रिश्तों से भिन्न होते हैं। दोनों में संतुलन बना रहे, इसके लिए एक सीमा रेखा खींचनी पड़ती है। दोस्ती विश्वास की डोर में बंधी होती है। इस भरोसे के कारण ही उनके साथ बिजनेस करना सहज होता है। लेकिन हमारे आपस का संवाद बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए। मन में जो भी आ रहा हो, उसे फौरन दोस्त या पार्टनर से शेयर कर लेना चाहिए। इसके अलावा, वर्क डिविजन यानी जिम्मेदारियों का बंटवारा जरूरी है। ऐसा नहीं है कि दोस्तों के बीच बहस या मतभेद नहीं होते। उन्हें स्वीकार कर, सीखते हुए आगे बढ़ना होता है। वरना तो आप आगे बढ़ ही नहीं सकती हैं। मुश्किलों, चुनौतियों एवं मतभेद के बीच हमें हमेशा एक बीच का रास्ता निकालना होता है। एक-दूसरे को समझते हुए, सहयोग करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ देना होता है। कामयाबी तभी मिलती है, जो लंबी होती है।

टियर 2 एवं टियर 3 शहरों में बढ़ी स्टार्टअप्स की संख्या

देश में इस समय महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स की संख्या करीब 3000 है। इसके अलावा, लगभग 11% महिलाएं फंड मैनेजर हैं। हालांकि, पूंजी निवेश सब जगह एक जैसा नहीं है। लगभग 43% पूंजी बेंगलुरु और करीब 24% महाराष्ट्र में प्रवाहित होती है।174 स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों से हैं, जिनमें त्रिपुरा और जम्मू और कश्मीर के स्टार्टअप शामिल हैं। भारत में पहला स्टार्टअप फंड 2011-12 में सिडबी द्वारा आरबीआई से 2000 करोड़ रुपये उधार लेकर लॉन्च किया गया था। इसके बाद से पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है, जो 69 से बढ़कर 1,400 से अधिक हो गई है। इतना ही नहीं, 1,60,000 से अधिक स्टार्टअप डीपीआईआईटी के समर्थन से लाभान्वित हुए हैं, जिसमें 22 यूनिकॉर्न शामिल हैं। सॉवरेन कैपिटल ने पारिस्थितिकी तंत्र की विश्वसनीयता और व्यवहार्यता को बढ़ाया है, क्योंकि सरकार समर्थित फंडिंग से विश्वास बढ़ता है और निजी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलती है। जो स्टार्टअप जुनून से चलते हैं, फैशन से नहीं, उनके सफल होने की संभावना अधिक होती है। लेकिन बहुत अधिक जुनून व्यवसाय को खत्म भी कर सकता है।

स्टार्टअप शुरू करने के लिए खास टिप्स

  • बिजनेस प्लान कॉम्पिटिशंस में हिस्सा लें
  • हैकाथॉन्स में शामिल होना रहेगा फायदेमंद
  • कॉलेज के एंटरप्रेन्योरशिप क्लब के सदस्य बनें
  • स्टार्ट अप के साथ करें इंटर्नशिप
  • मार्केट, स्टेकहोल्डर्स और सेल्स प्रोसेस की स्टडी करें
  • हमेशा सीखने को रहें तैयार
  • मिनिमम वायबल प्रोडक्ट तैयार करें
About the Author: अंशु सिंह
अंशु सिंह पिछले बीस वर्षों से हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनका कार्यकाल देश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण और अन्य राष्ट्रीय समाचार माध्यमों में प्रेरणादायक लेखन और संपादकीय योगदान के लिए उल्लेखनीय है। उन्होंने शिक्षा एवं करियर, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक मुद्दों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी, यात्रा एवं पर्यटन, जीवनशैली और मनोरंजन जैसे विषयों पर कई प्रभावशाली लेख लिखे हैं। उनकी लेखनी में गहरी सामाजिक समझ और प्रगतिशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है, जो पाठकों को न केवल जानकारी बल्कि प्रेरणा भी प्रदान करती है। उनके द्वारा लिखे गए सैकड़ों आलेख पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
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