इस इंजीनियर ने 10 कंपनियों को बनाया बेवकूफ, मून लाइटिंग से एक साल में कमाए 7 करोड़ रुपये

इस इंजीनियर ने 10 कंपनियों को बनाया बेवकूफ, मून लाइटिंग से एक साल में कमाए 7 करोड़ रुपये

Authored By: Suman

Published On: Thursday, July 3, 2025

Last Updated On: Thursday, July 3, 2025

एक भारतीय इंजीनियर ने 10 कंपनियों को मूनलाइटिंग से धोखा दिया और एक साल में करीब 7 करोड़ रुपये कमा लिए, जानिए इस चौंकाने वाली टेक धोखाधड़ी की पूरी कहानी.
एक भारतीय इंजीनियर ने 10 कंपनियों को मूनलाइटिंग से धोखा दिया और एक साल में करीब 7 करोड़ रुपये कमा लिए, जानिए इस चौंकाने वाली टेक धोखाधड़ी की पूरी कहानी.

भारतीय टेक एक्सपर्ट सोहम पारेख (Soham Parekh) पर आरोप है कि उन्होंने 10 से ज्यादा कंपनियों को बेवकूफ बनाते हुए मूनलाइटिंग (moonlighting) की और साल में करीब 7 करोड़ रुपये कमा लिए.

Authored By: Suman

Last Updated On: Thursday, July 3, 2025

एक भारतीय टेक एक्सपर्ट सोहम पारेख (Soham Parekh) आजकल काफी चर्चा में हैं. सोहम पर आरोप है कि उन्होंने 10 से ज्यादा कंपनियों को बेवकूफ बनाते हुए मूनलाइटिंग (Moonlighting) की और हर दिन 2 लाख रुपये यानी साल में करीब 7 करोड़ रुपये कमा लिए. सोशल मीडिया पर सोहम की काफी चर्चा है और कई सीईओ उन्हें वास्तव में स्मार्ट बता रहे हैं.

मिक्सपैनल (Mixpanel) के को-फाउंडर सुहेल दोशी ने सोहम पर यह आरोप लगाया कि वह एक साथ कई स्टार्टअप (US Startup) में गुप्त रूप से काम कर रहे हैं. इसके बाद से ही भारतीय इंजीनियर सोहम पारेख आलोचनाओं के घेरे में हैं. कम से कम पांच अमेरिकी कंपनियों के फाउंडर ने इसी तरह के आरोप लगाए हैं और पारेख के बारे में दूसरों को चेतावनी दी है.

क्यों परेशान हैं फाउंडर

आखिर इस तरह की मूनलाइटिंग से कंपनियों को क्या दिक्कत है. असल में कई फाउंडर का यह कहना है कि इस तरह के काम में जॉब की ओवरलैंपिंग होती है, भरोसा दांव पर होता है और कर्मचारी कई तरह की बहानेबाजी करते हैं. इससे कुल मिलाकर टीम का भरोसा कम होता है.

इस विवाद ने स्टार्टअप हायरिंग फिल्टर ‘ओवरएम्प्लॉयमेंट’ ट्रेंड के बारे में सवाल उठाए हैं, जिसमें लोग एक साथ कई जगह नौकरी के लिए रिमोट वर्क और AI का इस्तेमाल करते हैं.

सोहम पारेख के रेज्यूम के मुताबिक उन्होंने अमेरिका के ही जॉर्जिया टेक यूनिवर्सिटी Georgia Institute of Technology से मास्टर डिग्री हासिल की है.

सुहेल दोशी ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा, ‘सोहम पारेख नाम का यह व्यक्ति एक साथ ही 3-4 स्टार्टअप में काम करता है. इससे सावधान रहें.’ उन्होंने बताया कि सोहम ने कुछ समय के लिए उनकी कंपनी प्लेग्राउंड एआई में काम किया था, लेकिन एक हफ्ते में जब उसकी कारगुजारी सामने आई तो निकाल दिया गया.

दोशी ने पारेख की सीवी सार्वजनिक कर दी है. इसके मुताबिक सोहम ने डायनमो एआई, यूनियन एआई, सिंथेशिया, एलन एआई, फ्लीट एआई जैसी कई कंपनियों में एक समय में ही कई भूमिकाओं में काम किया है. दोशी का कहना है कि सोहम की सीवी में 90 फीसदी जानकारी फर्जी है.

इसके बाद मूनलाइटिंग को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बहस छिड़ गई है. इस खुलासे ने एक व्यापक प्रवृत्ति पर ध्यान केंद्रित किया है: ‘अति रोजगार’. एआई निवेशक डीडी दास ने कहा कि पारेख ही नहीं हजारों लोग ऐसा ही कर रहे होंगे. दास ने मून लाइटिंग करने वाले लोगों द्वारा अपनाई जाने वाली तरकीबों को रेखांकित किया- अपने कर्सर को सक्रिय रखने के लिए माउस जॉगलर, कैलेंडर को ‘फोकस टाइम’ के रूप में ब्लॉक करना, कार्यों को आउटसोर्स करना, कैमरे बंद रखना आदि.

About the Author: Suman
सुमन गुप्ता एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो आर्थिक और राजनीतिक विषयों पर अच्छी पकड़ रखती हैं। कई पत्र—पत्रिकाओं के लिए पिछले दस साल से स्वतंत्र रूप से लेखन। राष्ट्रीय राजनीति, कोर इकोनॉमी, पर्सनल फाइनेंस, शेयर बाजार आदि से जुड़े उनके सैकड़ों रिपोर्ट, आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं।
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