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सरकारी बैंकों का 1.62 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जानबूझ कर नहीं चुका रहे बड़े डिफॉल्टर
सरकारी बैंकों का 1.62 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जानबूझ कर नहीं चुका रहे बड़े डिफॉल्टर
Authored By: Suman
Published On: Wednesday, July 23, 2025
Last Updated On: Wednesday, July 23, 2025
देश में करीब 1600 विलफुल डिफॉल्टर (willful defaulter) सरकारी बैंकों का 1.62 लाख करोड़ रुपये दबाए हुए हैं और बकाया चुकाने को तैयार नहीं हैं.
Authored By: Suman
Last Updated On: Wednesday, July 23, 2025
Willful defaulters PSU banks: देश में करीब 1600 विलफुल डिफॉल्टर (willful defaulter) सरकारी बैंकों का 1.62 लाख करोड़ रुपये दबाए हुए हैं और कर्ज चुकाने को तैयार नहीं हैं. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कल राज्य सभा में यह जानकारी दी है. विलफुल डिफॉल्टर उन कर्जधारकों को कहते हैं जिनके पास कर्ज चुकाने की क्षमता तो होती है, लेकिन वे जानबूझ कर यह रकम नहीं चुकाना चाहते.
गौर करने की बात है कि यह रकम बहुत बड़ी है और डॉ रेड्डीज, एबीबी इंडिया जैसी कई बड़ी कंपनियों के मार्केट कैप से भी ज्यादा है. मंत्री ने बताया कि 31 मार्च 2025 तक 1629 विलफुल डिफॉल्टर ने कुल मिलाकर 1.62 लाख करोड़ रुपये नहीं चुकाए. वैसे इस तरह के विल्फुल डिफॉल्टर की लिस्ट हर महीने बैंकों को भी जारी करना रिजर्व बैंक ने अनिवार्य बनाया है. बैंकों को सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इन्फॉर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स (CRILC) को यह रिपोर्ट देनी होती है.
इस सूची में 25 लाख रुपये या उससे ऊपर के लोन शामिल होते हैं. यह जानकारी आम जनता भी सिबिल (CIBIL) और एक्सपेरियन (Experian) की वेबसाइट पर जाकर हासिल कर सकती है.
पंकज चौधरी ने बताया, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इन्फॉर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स को 31 मार्च, 2025 तक दी गई जानकारी के मुताबिक 1,629 ऐसे कर्जधारकों के उपर कुल 1,62,961 करोड़ रुपये का बकाया था जिन्हें विलफुल डिफॉल्टर्स की श्रेणी में रखा गया है.
क्या हो रहा वसूली के लिए
इन कर्जों को वापस हासिल करने की सरकार की मदद से पूरी कोशिश बैंक कर रहे हैं जैसे आगे उन्हें किसी तरह का अतिरिक्त कर्ज न देना और पांच साल के लिए किसी नए वेंचर की शुरुआत पर रोक लगाना. इन डिफॉल्टर से जुड़ी कंपनियों को शेयर बाजार में कारोबार करने से रोकने का भी कदम उठाया जाता है ताकि वे और पूंजी न जुटा सकें.
वित्त मंत्री ने कहा कि इन विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ कुछ मामलों में आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती है. गौरतलब है कि विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे विल्फुल डिफॉल्टर्स देश से बाहर भाग चुके हैं. इनके ऊपर हजारों करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप हैं, हालांकि बैंकों ने इनकी परिसंपत्ति जब्त कर काफी रकम वसूल ली है.
साल 2018 के जनवरी महीने में पंजाब नेशनल बैंक में करीब 14 हजार करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद लोग हैरान रह गए थे. इस घोटाले के मुख्य अभियुक्त देश के प्रमुख डायमंड ज्वैलरी कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी थे.
नीरव मोदी अंतरराष्ट्रीय स्तर का ख्यातिप्राप्त ज्वैलर था और फायरस्टार डायमंड (Firestar Diamond) का मालिक था. मेहुल चोकसी गीतांजलि जेम्स (Gitanjali Gems) का मालिक था जो भारत की सबसे बड़ी ज्वैलरी रिटेल चेन में से एक था.
इस साल की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने टॉप 100 विलफुल डिफॉल्टर की लिस्ट जारी की थी. इनमें मेहुल चोकसी, नीरव मोदी, एबीजी शिपयार्ड के ऋषि अग्रवाल आदि शामिल हैं.