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क्या अक्टूबर में ही होगा बिहार चुनाव? पशुपति पारस के बयान के क्या हैं सियासी मायने?
क्या अक्टूबर में ही होगा बिहार चुनाव? पशुपति पारस के बयान के क्या हैं सियासी मायने?
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, July 3, 2025
Last Updated On: Thursday, July 3, 2025
बिहार की राजनीति में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने गुरुवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा दावा करते हुए कहा कि अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होना तय है. NDA पहले ही हार मान चुकी है. उनके इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Thursday, July 3, 2025
Bihar Elections 2025: बिहार की सियासत में इस समय जबरदस्त हलचल मची हुई है. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने प्रेस कांफ्रेंस कर एनडीए (NDA) पर तीखा हमला बोला. संकेत दिए कि वे जल्द ही महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं.
पारस ने कहा कि अक्टूबर-नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) तय हैं और NDA सरकार पहले ही अपनी हार मान चुकी है. उन्होंने मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर सवाल उठाते हुए इसे दलितों, गरीबों और वंचितों के मताधिकार को छीनने की साजिश करार दिया. पारस ने पूछा, “आखिर 30 दिन में यह प्रक्रिया कैसे पूरी होगी? जिन दस्तावेजों की मांग की जा रही है, वह गरीबों के पास नहीं हैं.”
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह प्रक्रिया बंद नहीं हुई तो वे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे और गांव-गांव जाकर आंदोलन छेड़ेंगे. पारस ने कहा, “बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने जो अधिकार हमें दिए हैं, उन्हें कोई छीन नहीं सकता. हम सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ाई लड़ेंगे.”
क्या वाकई समय से पहले होंगे चुनाव?
हालांकि राज्य सरकार या चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन पशुपति पारस जैसे वरिष्ठ नेता का यह बयान किसी गहरी राजनीतिक हलचल की ओर इशारा करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि जुलाई-अगस्त तक मतदाता सूची अपडेट का अभियान चलाया जा रहा है, जो आम तौर पर चुनाव पूर्व की प्रक्रिया होती है. एनडीए के भीतर दरार और विपक्षी लामबंदी समय से पहले चुनाव की संभावनाओं को और बल दे रही है.
पारस का बयान क्यों अहम है?
पशुपति पारस पुराने और अनुभवी चेहरे रहे हैं. एनडीए के एक घटक दल के प्रमुख होने के नाते उनका ऐसा बयान सिर्फ व्यक्तिगत राय नहीं माना जा सकता, बल्कि यह एक रणनीतिक संकेत भी हो सकता है. खासकर जब उन्होंने दावा किया कि एनडीए पहले ही हार मान चुकी है और महागठबंधन में जाने की बात कही, तो यह जाहिर करता है कि सत्ता पक्ष में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा.
कानून-व्यवस्था को बताया ध्वस्त
पारस (Pashupati Kumar Paras) ने बिहार की कानून-व्यवस्था (Law & Order in Bihar) पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि राज्य में अपराध बेलगाम है और सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि उनकी शारीरिक अस्वस्थता अब एक चुनावी मुद्दा बन चुकी है. पारस ने दावा किया कि उन्होंने अब तक 25 जिलों का दौरा कर लिया है. शेष जिलों में भी जल्द ही जाएंगे. वे राज्यभर में दलित महापंचायतें आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.
महागठबंधन में जाने का साफ संकेत
सबसे बड़ा सियासी संदेश पारस ने यह दिया कि वे अब एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने खुलासा किया कि उनकी तेजस्वी यादव से फोन पर बात हो चुकी है. वे इस सप्ताह लालू यादव (Lalu Yadav) व तेजस्वी से मुलाकात करेंगे.
उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी कोई व्यक्तिगत शर्त नहीं है और वे केवल बिहार में सत्ता परिवर्तन के उद्देश्य से महागठबंधन का हिस्सा बनना चाहते हैं. पारस ने कहा, “हमारा सपना है सत्ता परिवर्तन का. 1977 से लालू परिवार से संबंध है. महागठबंधन में सीटों को लेकर बातचीत होगी लेकिन हमारा हर कदम बिहार के हित में होगा.”
यह बयान ऐसे समय आया है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की तैयारियां ज़ोरों पर हैं. पारस (Pashupati Kumar Paras) के इस रुख से राज्य की सियासत में नए समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं.