बिहार में हंगामा : एक नहीं, कई के पास है दो EPIC नंबर
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, August 14, 2025
Last Updated On: Thursday, August 14, 2025
बिहार में SIR को लेकर हंगामा चल ही रहा था कि कई नेताओं के पास एक नहीं दो वोटर कार्ड (Voter Card) मिलने का मामला सामने आ रहा है. शुरुआत भले ही नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) से हुई हो, लेकिन उसके बाद इसकी जद में बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) आए. अब ताजा मामला लोजपा सांसद वीणा देवी (Veena Devi) का आया है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Thursday, August 14, 2025
चुनाव आयोग (Election Commission of India) पहले ही इस मामले में कार्रवाई शुरू कर चुका है और संबंधित नेताओं से जवा ब मांगा है. राजनीतिक गलियारों में इस खुलासे के बाद माहौल गर्म है, वहीं विपक्ष इस मुद्दे को सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने में जुट गया है.
सांसद वीणा देवी और उनके पति को चुनाव आयोग का नोटिस
चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद वीणा देवी (Veena Devi) और उनके पति दिनेश प्रसाद सिंह (Dinesh Prasad Singh) को नोटिस जारी किया है. आयोग ने पूछा है कि कैसे उनके नाम दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में दर्ज हुए हैं. दोनों को 16 अगस्त 2025 को अपराह्न 5 बजे तक जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी, 94-मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र की ओर से जारी नोटिस में बताया गया है कि विशेष गहन पुनरीक्षण 2025 की प्रारूप निर्वाचक सूची में दिनेश प्रसाद सिंह का नाम 98-साहेबगंज विधानसभा के बूथ 325 (EPIC नं. UTO1134527) और 94-मुजफ्फरपुर विधानसभा के बूथ 371 (EPIC नं. REM0933267) दोनों में पाया गया. इसी प्रकार, सांसद वीणा देवी का नाम भी 98-साहेबगंज विधानसभा के बूथ 325 (EPIC नं. UTO1134543) और 94-मुजफ्फरपुर विधानसभा के बूथ 371 (EPIC नं. GSB1037894) में दर्ज मिला. यह कार्रवाई बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आरोपों के बाद हुई है.
तेजस्वी यादव का आरोप: NDA नेताओं के पास दो-दो EPIC नंबर
तेजस्वी (Tejashwi Yadav) ने देर रात सोशल मीडिया (Socil Media) पर इस मामले को उठाते हुए चुनाव आयोग से जवाब मांगा था. अब आयोग ने दोनों से औपचारिक स्पष्टीकरण तलब किया है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्य में SIR (Special Intensive Revision) को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने दावा किया कि NDA के बड़े नेता — सांसद, मेयर, उपमुख्यमंत्री, MLC — सभी के पास दो-दो EPIC नंबर हैं. तेजस्वी ने कहा, “आप समझ सकते हैं कि बिहार में SIR को लेकर कितना बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है. जिंदा लोगों को मृत और मृत लोगों को जिंदा घोषित किया जा रहा है. चुनाव आयोग पूरा डेटा छिपाने में लगा है.”
उन्होंने बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और उन्हें न्याय की उम्मीद है. तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि, “चुनाव आयोग भाजपा की बी टीम के रूप में काम कर रहा है.”
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को दी मंजूरी
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) के अधिकारों का समर्थन किया है. इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में बयानबाजी तेज हो गई है.
भाजपा सांसद रवि शंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि चुनाव आयोग को अधिकार है. चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि कानून के मुताबिक आप (राहुल गांधी) अपनी बात हलफनामे पर कहिए, ताकि अगर गलत पाया गया तो आप पर कार्रवाई हो सके, लेकिन वे कहते हैं कि मैं हलफनामा नहीं दूंगा.”
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया कानूनसम्मत है और इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों को अपने दावे और आपत्तियां कानूनी तरीके से पेश करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आयोग के विशेष पुनरीक्षण अभियान को कानूनी मजबूती मिली है.
14 दिनों में किसी राजनीतिक दल ने नहीं की कोई आपत्ति
चुनाव आयोग ने कहा है कि 14 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं की गई है. आयोग के अनुसार, यह अवधि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सभी पक्षों को अपने सुझाव या आपत्ति देने का अवसर प्रदान करने के लिए निर्धारित की गई थी. तय समय सीमा पूरी होने के बाद अब आगे की कार्रवाई निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार की जाएगी.
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि भविष्य में किसी भी पुनरीक्षण या चुनावी प्रक्रिया में वे समय पर अपने दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करें, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मज़बूती दी जा सके.
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