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क्या प्रशांत किशोर बदल देंगे राजनीति का खेल? जन सुराज की बढ़ती ताकत से घबराए हैं बड़े दल!
क्या प्रशांत किशोर बदल देंगे राजनीति का खेल? जन सुराज की बढ़ती ताकत से घबराए हैं बड़े दल!
Authored By: सतीश झा
Published On: Friday, June 20, 2025
Last Updated On: Saturday, June 21, 2025
बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नाम लगातार चर्चा में बना हुआ है — प्रशांत किशोर (PK) और उनका जन सुराज अभियान (Jan Suraj Abhiyan). जिस तरह से वे गाँव-गाँव और शहर-शहर जाकर पदयात्रा कर रहे हैं, आम जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं और एक स्थायी राजनीतिक विकल्प के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं, उसने परंपरागत राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Saturday, June 21, 2025
Prashant Kishor Political Strategy 2025: जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर (PK) ने अपनी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के तहत औरंगाबाद में जनसभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि जन सुराज की बढ़ती लोकप्रियता से दोनों प्रमुख गठबंधन – NDA और INDIA – घबराए हुए हैं, क्योंकि उन्हें अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आ रही है.
भोजपुर जिले के शाहपुर में जनसभा को संबोधित करने के बाद आरा के सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा, “जब हमने पदयात्रा शुरू की थी तब INDIA गठबंधन वाले कहते थे कि ये भाजपा की बी टीम है. अब जब NDA और INDIA दोनों के नेताओं को जन समर्थन खिसकता दिख रहा है तो NDA वाले कह रहे हैं कि हम INDIA की बी टीम हैं. ये भ्रम सिर्फ इसीलिए है क्योंकि जन सुराज ने जनता के बीच सीधी पकड़ बना ली है.”
जन सुराज: आंदोलन से राजनीतिक मंच तक का सफर
प्रशांत किशोर (PK) की ‘बिहार बदलाव यात्रा’ अब महज एक पदयात्रा नहीं रही, बल्कि यह एक राजनीतिक जनजागरण अभियान बन गई है. लोगों से सीधे संवाद, पंचायत स्तर तक बैठकों, जिला मंथनों और मुद्दों पर आधारित संवाद से जन सुराज एक निचले स्तर की राजनीतिक चेतना को जन्म दे रहा है. बिहार में जातीय समीकरणों और विकास के वादों के बीच जन सुराज का फोकस सामाजिक न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासनिक जवाबदेही और स्थानीय नेतृत्व पर है — और यही बात जनता को लुभा रही है.
जनता से कैसा जुड़ाव हो रहा है?
- बातचीत का सीधा माध्यम: प्रशांत किशोर खुद लोगों से मिल रहे हैं, भीड़ में नहीं, बैठकों में। यह लोगों को एक प्रतिनिधित्व का एहसास देता है.
- स्थानीय मुद्दों पर फोकस: बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था की बदहाली, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी — जन सुराज इन सभी मुद्दों पर गहराई से काम कर रहा है.
- राजनीतिक मोहभंग का विकल्प: जनता का एक बड़ा वर्ग पारंपरिक दलों से निराश है और जन सुराज को एक ईमानदार विकल्प मान रहा है.
क्या परेशान हैं स्थापित दल?
- जन सुराज की तेज बढ़ती लोकप्रियता ने NDA और INDIA गठबंधन दोनों को परेशान कर दिया है. NDA कहता है, “ये INDIA की B टीम है”. INDIA कहता है, “ये NDA की B टीम है”. प्रशांत किशोर जवाब देते हैं,
- “हम जनता की A टीम हैं.”
- इसका सीधा अर्थ है कि दोनों गठबंधन जन सुराज को लेकर भ्रम और भय की स्थिति में हैं.
राजनीति का नया मॉडल?
- प्रशांत किशोर के नेतृत्व में जन सुराज सिर्फ वोट के लिए प्रचार नहीं कर रहा, बल्कि राजनीतिक शिक्षण और निर्माण कर रहा है. ये सारे संकेत बताते हैं कि जन सुराज राजनीति को पेशेवर और विचारधारा आधारित बनाना चाहता है.
2025 विधानसभा चुनाव में क्या होगा असर?
भले ही जन सुराज का जनाधार अब भी स्थानीय स्तर पर सीमित है, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में यह अभियान बड़े दलों के लिए खेल बिगाड़ सकता है. फ्रंटलाइन चुनौती नहीं तो किंगमेकर जरूर बन सकता है. युवा, किसान, शिक्षक और बेरोजगार वर्ग में जन सुराज की पैठ बन रही है. प्रशांत किशोर की यात्रा और बयानबाजी यह संकेत दे रही है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में जन सुराज एक निर्णायक भूमिका निभाने की तैयारी में है. उन्होंने बार-बार दोहराया कि उनकी पार्टी न किसी की बी टीम है, न ए टीम, बल्कि जनता की अपनी टीम है. बिहार की राजनीति में जन सुराज की बढ़ती स्वीकार्यता और प्रशांत किशोर की रणनीतिक सक्रियता ने पुराने राजनीतिक समीकरणों को नई चुनौती दे दी है.