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केजरीवाल की गिरफ्तारी से कितना पड़ेगा फर्क?
केजरीवाल की गिरफ्तारी से कितना पड़ेगा फर्क?
Authored By: Rajya Lakshmi
Published On: Saturday, April 6, 2024
Last Updated On: Wednesday, April 24, 2024
लोकसभा चुनाव से पहले ईडी द्वारा अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सियासी पारा तो गरमा ही गया है, दिल्ली के राजनीतिक समीकरण भी गड़बड़ाने लगे हैं। आम आदमी पार्टी के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि आप के ज्यादातर शीर्ष नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं।
Authored By: Rajya Lakshmi
Last Updated On: Wednesday, April 24, 2024
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तार होने से राजधानी का सियासी पारा हाई हो गया है। यहां सात लोकसभा सीटों के लिए 25 मई को यानी तकरीबन दो महीने बाद वोटिंग होनी है। ऐसे में अभी लोकसभा चुनावी मैदान में कई हलचलें होंगी और बढ़ेंगी भी। आम आदमी पार्टी के सामने अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि आप के ज्यादातर शीर्ष नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं। ऐसे में पार्टी के काडर को एकजुट करने के साथ गिरफ्तारी की सहानुभूति को भुनाने की चुनौती भी आ खड़ी हुई है। राजनीतिक विश्लेषक दबे स्वर में सवाल उठा रहे हैं कि जब राम लला की स्थापना के बाद देश और दिल्ली में माहौल भाजपा के पक्ष में है तो फिर क्यों मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी जैसी कार्रवाइयां हो रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में जहां सातों सीटें वापस अपनी झोली में डालने की दिशा में काम कर रही है तो वहीं, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन तलाशने के साथ भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। खास बात यह है कि भाजपा ने दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। मनोज तिवारी को छोड़कर छह उम्मीदवारों को बदला गया है। लेकिन आईएनडीआईए गठबंधन ने अभी तक सात में से सिर्फ चार सीटों पर ही उम्मीदवारों की घोषणा की है। कांग्रेस ने लोकसभा की तीन सीटों पर अपने उम्मीदावर तय नहीं किए हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार भाजपा ने सात में से छह सीटों पर नए चेहरों पर दांव लगाया है। इसलिए भी पार्टी ने ढाई महीने पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। भाजपा ने अपनी पहली लिस्ट नई दिल्ली लोकसभा सीट से बांसुरी स्वराज, दक्षिण दिल्ली से रामवीर सिंह बिधूड़ी, उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी, पश्चिमी दिल्ली के कमलजीत सेहरावत और चांदनी चौक लोकसभा सीट से प्रवीण खंडेलवाल को मैदान में उतारा है। भाजपा की दूसरी सूची में हर्ष मल्होत्रा को पूर्वी दिल्ली और योगेंद्र चंदोलिया को उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने यहां दो तीर से कई निशाने साधने का काम किया है। एक मौजूदा छह सांसदों के टिकट काट कर यह संदेश दे दिया गया है जो जमीन से जुड़ कर काम नहीं करेगा, उसे पार्टी तरजीह नहीं देगी और दूसरा जमीनी स्तर पर मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को भी इनाम मिलेगा। पार्टी ने पिछले दस वर्षों के सत्ता विरोधी लहर को साधने के साथ जमीनी कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि जो भी पार्टी के लिए काम करेगा, उसका सम्मान किया जाएगा। इसके साथ मौजूदा सांसदों से नाराज कार्यकर्ताओं को साधने का भी पार्टी ने काम किया है। पिछले चुनाव में कई पैराशूट उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा गया था जिसमें गौतम गंभीर, हंस राज हंस शामिल थे लेकिन क्षेत्र के लोगों के बीच उनका जुड़ाव कम रहा जिससे पार्टी कार्यकर्ता नाराज चल रहे थे। पार्टी काडर जमीनी कार्यकर्ताओं को आगे आता देखना चाहते थे।
सूत्रों के अनुसार कई नामों पर चर्चा और संघ के सर्वे को तरजीह देते हुए उम्मीदवारों को उतारा गया है। इस चुनाव में भी भाजपा का चेहरा नरेन्द्र मोदी और उनके द्वारा किए गए दस वर्षों के विकास कार्यं हैं। भाजपा ने सातों सीटों पर जातिगत, क्षेत्रीय वोटरों को ध्यान में रखा है। पूर्वांचली वोटरों का दबदबा देखते हुए भाजपा ने सिर्फ उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर मनोज तिवारी की दावेदारी को बरकरार रखा और उन्हें तीसरी बार मौका दिया। दिल्ली में करीब 45 लाख से अधिक पूर्वांचल के लोग रहते हैं और पूर्वी दिल्ली के साथ पश्चिमी दिल्ली की लोकसभा सीट पर भी अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। इसके साथ महिलाओं को भी खासी तरजीह दी गई है। इस बार दो महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। दिल्ली की सबसे बड़ी लोकसभा सीट पश्चिमी दिल्ली से जाट नेता कमलजीत सहरावत को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर जाट, पंजाबी और पूर्वांचली वोटर का अच्छा खासा प्रभाव है।
भाजपा के मुकाबले आप-कांग्रेस : आम आदमी पार्टी ( आप) और कांग्रेस ने भाजपा को चुनौती देने के लिए मिल कर लड़ने का फैसला किया है। लोकसभा चुनाव के दिल्ली में कांग्रेस 3 सीट पर चुनाव लड़ेगी और आप 4 सीट पर चुनाव लड़ेगी। आप पार्टी दिल्ली में अपने दस वर्षों के विकास कार्यों, जनहित के कार्यों को लेकर दिल्ली की जनता के बीच जाने की तैयारी में है। इसके साथ वह अरविंद केजरीवाल के जेल जाने को लेकर भी जनता के बीच सहानुभूति जुटाने का प्रयास कर रही है। अरविंद केजरीवाल ने जेल जाने से पहले ही दिल्ली के चार लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए थे। दिल्ली में नई दिल्ली से सोमनाथ भारती, दक्षिण दिल्ली से सहीराम पहलवान, पश्चिमी दिल्ली से पूर्व महाबल मिश्रा और पूर्वी दिल्ली से कुलदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है।
वहीं, कांग्रेस ने अभी अपनी तीन लोकसभा सीटें- चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिमी दिल्ली से किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। कई दौर की बातचीत चल रही है। कई नाम भी खबरों में हैं। जैसे चांदनी चौक से जे पी अग्रवाल जो पहले भी सांसद रह चुके हैं लेकिन कांग्रेस अभी फैसले नहीं ले रही है। वैसे भी यहां चुनाव दो महीने बाद होने हैं। इतना लंबा चुनाव प्रचार-प्रचार करने का खर्च फिलहाल पार्टी उठाती नहीं दिख रही है। इसलिए एक महीने बाद से दिल्ली में कुछ हलचल दिखाई देगी।
कैसा रहा किसका प्रदर्शन : अगर पिछले लोकसभा चुनाव में तीनों राजनीतिक पार्टियों के वोट प्रतिशत की बात करें तो 2019 में भाजपा को 56.56 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे, वहीं कांग्रेस को 22.5 प्रतिशत वोट मिले थे और आप को 18.1 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस और आप को मिलाकर भी वोट प्रतिशत 40 से ऊपर नहीं जाता। चुनौती है कि इस आंकड़े को कैसे पाटा जाए।
भाजपा के दबंगों में कितना दम






