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DPS द्वारका फीस विवाद: छात्रों को स्कूल से निकाला, हाईकोर्ट का दखल बना सहारा!
DPS द्वारका फीस विवाद: छात्रों को स्कूल से निकाला, हाईकोर्ट का दखल बना सहारा!
Authored By: Sharim Ansari
Published On: Saturday, May 17, 2025
Last Updated On: Tuesday, May 20, 2025
दिल्ली पब्लिक स्कूल, द्वारका (DPS Dwarka) में फीस वृद्धि विवाद ने गंभीर मोड़ ले लिया है. स्कूल ने 15% फीस वृद्धि के विरोध में 32 छात्रों को स्कूल से निकाल दिया और कथित रूप से बाउंसरों की मदद से उन्हें स्कूल में प्रवेश से रोका. इस अमानवीय व्यवहार और शिक्षा निदेशालय के आदेशों की अवहेलना पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई. अदालत ने स्कूल से पूछा कि छात्रों को हटाने से पहले नोटिस क्यों नहीं दिया गया. वहीं, अभिभावकों ने शिक्षा निदेशालय और उपराज्यपाल से स्कूल का प्रशासन अपने हाथ में लेने की माँग की है. जांच में कई अनियमितताओं की पुष्टि हुई और DoE ने स्कूल को छात्रों को फिर से प्रवेश देने व अतिरिक्त वसूली गई फीस लौटाने का निर्देश दिया. यह मामला निजी स्कूलों की जवाबदेही और छात्रों के मौलिक अधिकारों की रक्षा से जुड़ा एक बड़ा सवाल बनकर सामने आया है.
Authored By: Sharim Ansari
Last Updated On: Tuesday, May 20, 2025
DPS Dwarka fee hike : दिल्ली के प्रतिष्ठित स्कूलों में शुमार दिल्ली पब्लिक स्कूल, द्वारका (DPS Dwarka) एक गंभीर विवाद के केंद्र में है. मामला है फीस वृद्धि को लेकर 32 छात्रों को स्कूल से निकाल देने और उनके साथ अमानवीय व्यवहार का. यह विवाद अब न सिर्फ अदालत की चौखट तक पहुँच चुका है, बल्कि दिल्ली सरकार और शिक्षा निदेशालय को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है.
15% फीस वृद्धि और छात्रों का निष्कासन
DPS द्वारका ने 2024-25 सत्र में लगभग 15% फीस वृद्धि की, जिसे लेकर कई अभिभावकों ने आपत्ति जताई. विरोध करने वाले छात्रों स्कूल पोर्टल से हटा दिया गया और उनमें से 32 छात्रों को स्कूल परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया. आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने बच्चों को स्कूल गेट पर ही रोकने के लिए बाउंसरों की तैनाती की.
कुछ मामलों में तो छात्रों को स्कूल बस में चढ़ने से भी रोक दिया गया और स्कूल आने के बाद उन्हें लाइब्रेरी में बैठा कर न तो कक्षा में भेजा गया और न ही वॉशरूम तक जाने दिया गया.
न्यायपालिका की सख्ती: “नोटिस कहां है?”
दिल्ली उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा,
“इन बच्चों को लिस्ट से हटाने से पहले, दिल्ली स्कूल शिक्षा नियम के नियम 35(4) के तहत नोटिस कहां है? प्रत्येक छात्र को दिया गया नोटिस कहां है जिसमें बताया गया हो कि यदि फीस का भुगतान नहीं किया गया, तो नाम हटा दिया जाएगा?”
स्कूल की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि स्कूल को पिछले वर्ष में लगभग ₹49 करोड़ का नुकसान हुआ था, इसलिए वित्तीय संकट के चलते यह कदम उठाना पड़ा. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सोमवार को करने और आदेश पारित करने की बात कही.
50% फीस जमा करने का सुझाव और अभिभावकों का इनकार
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति विकास महाजन ने सुझाव दिया कि जब तक याचिका का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक अभिभावक बढ़ी हुई फीस का 50% जमा कर दें. लेकिन वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए अभिभावकों ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया.
शिक्षा निदेशालय और एल-जी से प्रशासनिक हस्तक्षेप की माँग
इस पूरे विवाद को लेकर DPS द्वारका के 100 से अधिक छात्रों के अभिभावकों ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और शिक्षा निदेशालय (DoE) तथा उपराज्यपाल वीके सक्सेना से अनुरोध किया कि वे स्कूल का प्रशासन अपने हाथ में लें.
अभिभावकों ने याचिका में कहा कि 2022–23 सत्र के दौरान स्कूल ने अतिरिक्त और बिना अनुमति के फीस वसूली, जिसे DoE ने कई आदेशों के माध्यम से वापस करने का निर्देश दिया था. साथ ही, छात्रों को फीस बकाया के कारण मानसिक प्रताड़ना से दूर रखने का निर्देश भी दिया गया था. लेकिन स्कूल ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया और आगे बढ़ते हुए 2025–26 सत्र के लिए भी बिना अनुमति फीस बढ़ा दी. कोर्ट में शिक्षा निदेशालय की ओर से स्टैंडिंग काउंसल समीर वशिष्ठ ने पक्ष रखा.
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शिक्षा निदेशालय की जांच और कार्रवाई
इससे पहले, दक्षिण पश्चिम ज़िले के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित 8 सदस्यीय निरीक्षण समिति ने स्कूल में कई अनियमितताओं की रिपोर्ट अप्रैल में दी थी. इसके आधार पर शिक्षा निदेशालय (DoE) ने 22 मई और 28 मई को स्कूल को निर्देश दिए कि:
- 32 छात्रों को तुरंत पुनः प्रवेश दिया जाए.
- छात्रों से वसूली गई अतिरिक्त और अनधिकृत फीस लौटाई जाए.
- किसी भी छात्र को फीस विवाद के चलते शैक्षणिक नुकसान या प्रताड़ना का सामना न करना पड़े.
DOE ने स्कूल को कोर्ट के 16 अप्रैल के आदेश की याद दिलाई जिसमें साफ कहा गया था कि छात्रों को फिर से नामांकित किया जाए और किसी तरह का ज़ोर-ज़बरदस्ती या भेदभाव न किया जाए.
बिना अनुमति के 2025–26 के लिए फीस बढ़ाई
अभिभावकों ने अदालत में यह भी आरोप लगाया कि DPS द्वारका ने शिक्षा निदेशालय की अनुमति के बिना ही 2025–26 सत्र के लिए भी फीस बढ़ा दी है. जबकि DoE पहले ही कह चुका है कि स्कूल अनधिकृत रूप से अतिरिक्त फीस न वसूले और छात्रों को डराए-धमकाए नहीं.
इस केस में शिक्षा निदेशालय की ओर से स्टैंडिंग काउंसल सीनियर एडवोकेट समीर वशिष्ठ ने अदालत में पक्ष रखा.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस पूरे प्रकरण में आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी मोर्चा खोला और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा. AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने आरोप लगाया कि दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों को छात्रों के भविष्य से खेलने की खुली छूट दी गई है.
निष्कर्ष
DPS द्वारका का यह मामला दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में गहराई से मौजूद चुनौतियों को उजागर करता है. शिक्षा जैसे मौलिक अधिकार को अगर फीस के नाम पर बाधित किया जाएगा, तो यह केवल कानून का उल्लंघन नहीं बल्कि समाज के भविष्य के साथ अन्याय है. यह विवाद इस बात की चेतावनी है कि निजी शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही तय करना अब समय की माँग है.