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टॉक्सिक्स लिंक की स्टडी में नमक के 10 और चीनी के 5 नमूनों में पाया गया 0.1 मिमी से 5 मिमी तक आकार वाला माइक्रोप्लास्टिक
टॉक्सिक्स लिंक की स्टडी में नमक के 10 और चीनी के 5 नमूनों में पाया गया 0.1 मिमी से 5 मिमी तक आकार वाला माइक्रोप्लास्टिक
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, August 14, 2024
Updated On: Wednesday, August 14, 2024
हम जो रोज नमक और चीनी खाते हैं, उसके पैकेट में हानिकारक माइक्रोप्लास्टिक (microplastics) मौजूद होते हैं। आयोडीन युक्त नमक में सबसे अधिक, सेंधा नमक में सबसे कम मइक्रोप्लास्टिक पाया गया। माइक्रोप्लास्टिक का आकार 0.1 मिमी से 5 मिमी तक था। हाल में यह निष्कर्ष पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक के अध्ययन में निकाला गया।
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, August 14, 2024
पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक ने भारतीय नमक और चीनी ब्रांडों पर लगातार अध्ययन किया गया। इसके निष्कर्ष में पाया गया कि सभी परीक्षण किए गए भारतीय नमक और चीनी ब्रांडों में माइक्रोप्लास्टिक (microplastics) होते हैं। शोध में विभिन्न नमक और चीनी के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक के अलग-अलग रूपों का पता चला। इसमें आयोडीन युक्त नमक में सबसे अधिक स्तर दिखा। इस अध्ययन का उद्देश्य लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना और इस बढ़ती चिंता को दूर करने के लिए नीतिगत बदलावों को प्रोत्साहित करना था।
सभी भारतीय नमक और चीनी ब्रांड में माइक्रोप्लास्टिक (microplastics in salt and sugar)
टॉक्सिक्स लिंक द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सभी भारतीय नमक और चीनी ब्रांड, चाहे वे पैकेज्ड हों या अनपैक्ड, उनमें माइक्रोप्लास्टिक होते हैं। “नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक” विषय पर आधारित अध्ययन में ऑनलाइन और स्थानीय बाजारों से प्राप्त 10 प्रकार के नमक और पांच प्रकार की चीनी की जांच की गई। निष्कर्षों से पता चलता है कि सभी परीक्षण किए गए नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की व्यापक उपस्थिति है। सभी चीनी, नमक ब्रांड के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया।
अध्ययन में सभी नमक और चीनी के नमूनों में फाइबर, छर्रे, फिल्म और टुकड़ों सहित माइक्रोप्लास्टिक के विभिन्न रूपों की पहचान की गई। इन माइक्रोप्लास्टिक का आकार 0.1 मिमी से 5 मिमी तक था। आयोडीन युक्त नमक में माइक्रोप्लास्टिक का सबसे अधिक कंसन्ट्रेशन पाया गया। विशेष रूप से अलग-अलग रंग के पतले रेशों और फिल्मों के रूप में।
आयोडीन युक्त नमक में सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक कंसन्ट्रेशन (microplastics concentration)
अध्ययन का उद्देश्य माइक्रोप्लास्टिक पर मौजूदा वैज्ञानिक डेटाबेस में योगदान देना था। माइक्रोप्लास्टिक जोखिम को कम करने के लिए लोगों को सतर्क भी रहना होगा। अध्ययन में सभी नमक और चीनी के नमूनों में पर्याप्त मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक पाया जाना चिंताजनक है। इससे लंबे समय में मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव पड़ता है।
नमक के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक कंसन्ट्रेशन 6.71 से 89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक थी। आयोडीन युक्त नमक में सबसे अधिक सांद्रता 89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम थी, जबकि ऑर्गेनिक सेंधा नमक में सबसे कम 6.70 टुकड़े प्रति किलोग्राम थी। चीनी के नमूनों में कंसन्ट्रेशन 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक थी, जिसमें नॉन ऑर्गेनिक चीनी में माइक्रोप्लास्टिक का उच्चतम स्तर देखा गया।
अजन्मे शिशुओं सहित मानव अंगों में माइक्रोप्लास्टिक का प्रवेश (microplastics hazard)
स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए संभावित नुकसान के कारण माइक्रोप्लास्टिक एक बढ़ती वैश्विक चिंता बन गया है। ये छोटे प्लास्टिक कण भोजन, पानी और हवा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। हाल के शोध में फेफड़े, हृदय, स्तन के दूध और यहां तक कि अजन्मे शिशुओं सहित मानव अंगों में माइक्रोप्लास्टिक का पता चला है।
नमक और चीनी के सेवन से होने वाले जोखिम (microplastics health risks)
पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि औसत भारतीय प्रतिदिन 10.98 ग्राम नमक और लगभग 10 चम्मच चीनी का सेवन करता है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसित सीमा से काफी अधिक है। ऐसे आम तौर पर उपभोग किए जाने वाले उत्पादों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में और अधिक चिंता पैदा करती है।