Children Eye Health: बच्चों की आंखों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना है जरूरी

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, August 5, 2025

Last Updated On: Tuesday, August 5, 2025

Children Eye Health – बच्चा आंखों की जांच कराते हुए और स्क्रीन से दूर बैठा हुआ.
Children Eye Health – बच्चा आंखों की जांच कराते हुए और स्क्रीन से दूर बैठा हुआ.

Children Eye Health: अपने बच्चे की आंखों के स्वास्थ्य को हल्के में न लें. उनकी आईसाइट को प्राथमिकता दें. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने अगस्त को बच्चों के आई हेल्थ और आंखों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने का महीना माना है.

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Tuesday, August 5, 2025

बच्चों के आई हेल्थ (Children Eye Health) और आंखों की सुरक्षा के लिए पूरे अगस्त माह को जागरूकता माह माना गया है. बच्चों को आई ब्लाइंडनेस से बचाने के लिए कई संगठन बच्चों के लिए नियमित नेत्र परीक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनकी दृष्टि को सुरक्षा प्रदान करने वाले आयोजनों और कार्यों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

स्वस्थ रहने के लिए आई हेल्थ पर ध्यान (Eye Health)

बच्चे विशेष होते हैं और उनकी दृष्टि भी. नेत्र स्वास्थ्य और सुरक्षा संपूर्ण बचपन के लिए बहुत महत्वपूर्ण घटक हैं. बचपन में अधिकांश शिक्षा दृष्टिगत रूप से होती है. अच्छी दृष्टि बच्चे के शारीरिक और बौद्धिक दोनों रूप से स्वस्थ रहने के लिए अत्यंत जरूरी है.

किन लक्षणों पर दें ध्यान (Eye Disease Symptoms)

बच्चों की आंखों के स्वास्थ्य चिंता के सामान्य लक्षण हैं आंखों को बार-बार रगड़ना, आंखें सिकोड़ना, वस्तुओं को देखने के लिए सिर को झुकाना या घुमाना. बच्चा अपनी आंखें भींच भी सकता है या यह देखा जा सकता है कि उसकी आंखें इधर-उधर घूम रही हैं.
बच्चों की आंखों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अगस्त को बाल नेत्र स्वास्थ्य एवं सुरक्षा जागरूकता माह के रूप में नामित किया गया है.

बच्चों में मायोपिया (Myopia in children)

निकट दृष्टि दोष या मायोपिया की समस्या इन दिनों बच्चों में सबसे अधिक देखा जा रहा है. इसे मायोपिया भी कहा जाता है. यह एक नेत्र रोग है, जिसमें व्यक्ति को बिना सुधारात्मक लेंस के दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई होती है. मायोपिया आमतौर पर बचपन में शुरू होता है और जीवन के शुरुआती वर्षों में बढ़ता जाता है.
ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की लगभग आधी आबादी मायोपिया से ग्रस्त हो जाएगी. शहरी आबादी में खासकर सिंगापुर जैसे एशिया-प्रशांत देशों में स्कूल जाने वाले बच्चों में मायोपिया बहुत आम है. सिंगापुर में 18 वर्ष की आयु के 80% युवा मायोपिया से पीड़ित हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है.

क्या है मायोपिया (What is Myopia)

मायोपिया एक बहुक्रियात्मक स्थिति है. ये कारक आनुवंशिक, जैसे, मायोपिया का पारिवारिक इतिहास और पर्यावरणीय, जैसे अत्यधिक आंखों के नजदीक का कार्य, बाहरी गतिविधियों का अभाव, आंख से देखकर किए जाने वाले कार्यों के दौरान कम रोशनी हो सकते हैं. पर्यावरणीय कारक बदल भी सकते हैं. इनसे निपटने से मायोपिया की प्रगति को संभावित रूप से कम किया जा सकता है.

मायोपिया के कारण होने वाली समस्या (Myopia Problems)

निकट दृष्टि दोष या मायोपिया के कारण जीवन में आगे चलकर मैक्युलर डिजनरेशन, रेटिनल टियर, रेटिनल डिटैचमेंट, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी गंभीर नेत्र संबंधी समस्याओं का खतरा काफी बढ़ जाता है. इनमें से कुछ स्थितियों में स्थायी अंधेपन का भी खतरा होता है.

मायोपिया का इलाज (Myopia Treatment)

बचपन में निकट दृष्टि दोष का इलाज आमतौर पर निर्धारित चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से किया जाता है, खासकर बड़े बच्चों में. निकट दृष्टि दोष की प्रगति पर नजर रखने के लिए नियमित नेत्र परीक्षण की सलाह दी जाती है. बच्चों में निकट दृष्टि दोष की प्रगति को कम करने और आंखों की मांसपेशियों को आराम देने के लिए विशेष आई ड्रॉप्स, जैसे, एट्रोपिन 0.01% दी जाती हैं.

नियमित रूप से आंखों की जांच (Regular Eye Checkup)

छोटे बच्चे अक्सर अपनी दृष्टि संबंधी समस्याओं के बारे में खुलकर बात नहीं करते, इसलिए माता-पिता और बच्चों की देखभाल और पालन-पोषण में शामिल अन्य वयस्कों का यह कर्तव्य है कि वे नियमित रूप से उनकी आंखों की जांच करवायें. यह सुनिश्चित करें कि आंखों को हानिकारक चोटों से उचित रूप से सुरक्षित रखा जाए.
दृष्टि संबंधी लक्षणों वाले बच्चों को सलाह दी जाती है कि वे जल्द से जल्द विशेषज्ञ की सलाह लें. अपने बच्चे की आंखों के स्वास्थ्य को हल्के में न लें. अपने बच्चे की दृष्टि को प्राथमिकता दें.

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।


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