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Diabetes Biobank : चेन्नई में भारत का पहला डायबिटीज बायोबैंक लॉन्च
Diabetes Biobank : चेन्नई में भारत का पहला डायबिटीज बायोबैंक लॉन्च
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, December 18, 2024
Updated On: Wednesday, December 18, 2024
भारत ने चेन्नई में अपना पहला डायबिटीज बायोबैंक (Diabetes Biobank) स्थापित किया है। इसका उद्देश्य बायोलॉजिकल सैंपल के विशाल भंडार तक पहुंच बनाकर रिसर्च को बढ़ावा देना है।
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, December 18, 2024
भारत ने चेन्नई में अपना पहला डायबिटीज बायोबैंक (Diabetes Biobank) स्थापित किया है। इसका उद्देश्य बायोलॉजिकल सैंपल के विशाल भंडार तक पहुंच बनाकर रिसर्च को बढ़ावा देना है।
चेन्नई में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) और मद्रास मधुमेह अनुसंधान फाउंडेशन (Madras Diabetes Research Foundation) ने मिलकर डायबिटीज बायोबैंक की स्थापना की है। यह भारत का पहला डायबिटीज बायोबैंक है। इस साझेदारी का उद्देश्य बायोलॉजिकल नमूनों के विशाल भंडार तक पहुंच प्रदान करके अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
अब डायबिटीज देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है। इससे निपटने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। बायोबैंक शोधकर्ताओं और हेल्थकेयर प्रोफेशनल के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन होगा। इससे मधुमेह के बारे में गहन जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
भारत में कितने हैं डायबिटीज के मरीज (Diabetes Patient in India)
वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेश्न के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 10 करोड़ से अधिक मधुमेह के मामले और 13.6 करोड़ प्रीडायबिटीज के मामले हैं। दुनिया भर में डायबिटीज के मरीज की संख्या सबसे अधिक भारत में ही है। मधुमेह के व्यापक प्रभाव के बावजूद देश में जैविक नमूनों के भंडार की बड़े पैमाने पर कमी है, जो रोग का अध्ययन करने में मदद कर सकते हैं। डायबिटीज बायोबैंक इस स्थिति को बदल सकता है। पूरे भारत से जैविक नमूनों को संग्रहीत करके बायोबैंक वैज्ञानिकों को डायबिटीज के पीछे आनुवंशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों का अध्ययन करने में मदद करेगा। इससे बेहतर उपचार, बेहतर रोकथाम रणनीतियां बन सकती हैं।
भारत में मधुमेह पर सबसे बड़ा अध्ययन (Indian Journal of Medical Research Study)
बायोबैंक में भारत भर के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों से एकत्र किए गए 1.5 लाख से अधिक जैविक नमूने हैं। ये नमूने शोधकर्ताओं को मधुमेह के पैटर्न, विशेष रूप से भारतीयों में इसके बदलावों को समझने में मदद करेंगे। यह पहल इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित दो महत्वपूर्ण अध्ययनों पर आधारित है, यह भारत में मधुमेह पर सबसे बड़ा अध्ययन है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। यह अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय रजिस्ट्री जो कम उम्र में शुरू होने वाले मधुमेह पर केंद्रित है।
क्या है फायदा (Biobank Benefits)
इन अध्ययनों के निष्कर्ष पहले से ही भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य में खतरनाक रुझानों को उजागर करते हैं। उदाहरण के लिए 31 करोड़ से अधिक भारतीय हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं, जबकि मोटापा और लिपिड विकार भी बढ़ रहे हैं। बायोबैंक में ब्लड, टिश्यू और डीएनए जैसे नमूनों को अत्यधिक निगरानी वाली स्थितियों में संग्रहित किया जाएगा। इन नमूनों को सावधानीपूर्वक सूचीबद्ध और ट्रैक किया जाता है, ताकि शोध उद्देश्यों के लिए उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए MDRF बायोबैंक ICMR के सख्त दिशानिर्देशों का पालन करता है।
कैंसर, जेनेटिक्स और लीवर डिजीज बायोबैंक पहले से हैं मौजूद
भारत में कैंसर, आनुवंशिकी और लीवर डिजीज जैसे क्षेत्रों में जैव चिकित्सा और स्वास्थ्य अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित कई बायोबैंक हैं। प्रमुख उदाहरणों में चेन्नई में नेशनल कैंसर टिश्यू बायोबैंक, नई दिल्ली में नेशनल लीवर डिजीज बायोबैंक, बेंगलुरु में NIMHANS और हैदराबाद में सैपियन बायोसाइंसेज शामिल हैं। इसके बावजूद डायबिटीज बायोबैंक दुर्लभ हैं, जो भारत में मधुमेह की बड़ी संख्या को देखते हुए जरूरी था।
MDRF बायोबैंक ICMR दिशानिर्देशों का पालन करता है और अपने भंडार को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए उन्नत ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग करता है। AI और रोबोटिक्स का उपयोग करके स्वचालन के लिए भविष्य की योजनाओं के साथ, बायोबैंक के बुनियादी ढांचे में निवेश मधुमेह अनुसंधान में तेजी लाने, उपचार के परिणामों में सुधार करने और भारत में व्यापक स्वास्थ्य अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान कर सकता है।