Diabetes Risk in Indian Professional : शोध बताते हैं तनाव और जीन बढ़ा रहा भारतीय प्रोफेशनल में डायबिटीज का जोखिम

Diabetes Risk in Indian Professional : शोध बताते हैं तनाव और जीन बढ़ा रहा भारतीय प्रोफेशनल में डायबिटीज का जोखिम

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, January 28, 2025

Updated On: Tuesday, January 28, 2025

Diabetes Risk in Indian Professional: Tanav aur Gene Badhata Hai Diabetes Ka Khataara
Diabetes Risk in Indian Professional: Tanav aur Gene Badhata Hai Diabetes Ka Khataara

एनएमसी जेनेटिक्स इंडिया ने भारत के कॉर्पोरेट कर्मचारियों में डायबिटीज होने के कारणों (Diabetes Risk in Indian Professional) पर स्टडी की। स्टडी के निष्कर्ष के अनुसार, तनाव और जीन दोनों मिलकर एक विशेष प्रक्रिया करते हैं, जो डायबिटीज का जोखिम बढ़ा देते हैं।

Authored By: स्मिता

Updated On: Tuesday, January 28, 2025

Diabetes Risk in Indian Professional: मधुमेह मेलिटस (Diabetes Mellitus) एक चयापचय रोग (Metabolic Disease) है। इसमें ब्लड शुगर लेवल हाई हो जाता है। डायबिटीज मेलिटस की कई श्रेणियां हैं, जिनमें टाइप 1, टाइप 2, युवावस्था में परिपक्वता-प्रारंभ मधुमेह (maturity onset diabetes of the young -MODY), गर्भावधि मधुमेह (gestational diabetes), नवजात में होने वाला मधुमेह (neonatal diabetes) हैं। एंडोक्राइनोपैथी, स्टेरॉयड उपयोग आदि के कारण होने वाले दूसरे कारण भी डायबिटीज के कारण हो सकते हैं। भारत में हाल में कॉर्पोरेट पेशेवरों पर आनुवंशिक डायबिटीज पर आधारित शोध किया गया। शोध के निष्कर्ष के अनुसार, जेनेटिक वेरिएंट और तनाव तथा आहार जैसे कारकों के बीच परस्पर क्रिया होती है। यह संभावित रूप से मधुमेह के जोखिम (Diabetes Risk in Indian Professional) को बढ़ाती है।

भारत में डायबिटीज के मरीजों का आंकड़ा (Diabetes in India)

वर्ष 2023 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत में 10.1 करोड़ लोगों को डायबिटीज है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के 7.7 करोड़ लोग टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) से पीड़ित हैं। लगभग 2.5 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक हैं (निकट भविष्य में मधुमेह विकसित होने का अधिक जोखिम)। अमेरिका की प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 22 जून 2023 तक दुनिया भर में आधे बिलियन से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हो चुके थे। यह हर देश में सभी उम्र के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को प्रभावित कर रहा है। यह संख्या अगले 30 वर्षों में दोगुनी से अधिक होकर 1.3 बिलियन (130 करोड़) लोगों तक पहुंचने का अनुमान है। हर देश में डायबिटीज के मरीज की वृद्धि देखी जा रही है।

तनाव, आहार और जीन भी बनते हैं कारण (genetic effect)

हाल ही में एनएमसी जेनेटिक्स इंडिया द्वारा भारत के कॉर्पोरेट कर्मचारियों का आनुवंशिक विश्लेषण किया गया। इससे पता चलता है कि जेनेटिक वेरिएंट और तनाव और आहार जैसे कारकों के बीच परस्पर क्रिया होती है। यह संभावित रूप से लोगों में मधुमेह के जोखिम को बढ़ाती है। अध्ययन में पता लगाया गया है कि आनुवंशिकी पर्यावरणीय कारकों के साथ कैसे परस्पर क्रिया करती है, जो सभी क्षेत्रों में समान जांच की आवश्यकता का सुझाव देती है। शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि देश भर में मधुमेह प्रबंधन बेहतर होना चाहिए।

व्यावसायिक तनाव का प्रभाव (Professional Stress Effect)

एनएमसी जेनेटिक्स इंडिया के अनुसार, अध्ययन के लगभग आधे प्रतिभागी प्री-डायबिटिक थे। शोध में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की प्रवृत्ति बढ़ाने वाले 42 आनुवंशिक वेरिएंट की पहचान की गई। इसमें व्यावसायिक तनाव(Professional Stress Effect), आहार और शारीरिक गतिविधि के स्तर प्रमुख रूप से कारण बने। अध्ययन में अलग-अलग भारतीय आबादी में मधुमेह को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए व्यक्तिगत आनुवंशिक प्रोफाइल के आधार पर व्यक्तिगत देखभाल पर जोर दिया गया है।

कैसे तनाव है डायबिटीज का कारण (stress cause Diabetes)

तनाव विभिन्न हार्मोनों के स्राव को उत्तेजित करता है। यह एक स्वस्थ प्रक्रिया है, लेकिन मधुमेह में तनाव-प्रेरित ग्लूकोज में वृद्धि और इंसुलिन की कमी के कारण ठीक से चयापचय नहीं हो पाता है। इसके कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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