Loneliness Effect : जापान में अकेलेपन से जूझ रहीं बुजुर्ग महिलाएं जाना चाहती हैं जेल, भारत में क्या है स्थिति

Loneliness Effect : जापान में अकेलेपन से जूझ रहीं बुजुर्ग महिलाएं जाना चाहती हैं जेल, भारत में क्या है स्थिति

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, January 20, 2025

Updated On: Monday, January 20, 2025

Loneliness Effect: Elderly women in Japan want to go to jail, how is the situation in India?
Loneliness Effect: Elderly women in Japan want to go to jail, how is the situation in India?

इन दिनों जापान में अकेलेपन से जूझ रहीं बुजुर्ग महिलाएं जेल जाना चाहती हैं. स्थिति इतनी बदतर है कि अकेलापन मिटाने के लिए वे पैसे देकर भी जेल में रहना चाहती हैं. अकेलापन ह्रदय रोग के साथ-साथ समय से पहले मौत का भी जिम्मेदार (Loneliness Effect) हो सकता है.

Authored By: स्मिता

Updated On: Monday, January 20, 2025

इन दिनों जापान के ज्यादातर जेल बुजुर्ग महिला कैदियों से भरे हुए हैं. झुर्रीदार हाथ और झुकी कमर के सहारे स्त्री कैदी जेल में चहलकदमी करती रहती हैं. महिलायें चोरी के जुर्म में पकड़ी जाती हैं और फिर जेल चली जाती हैं. जापान के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 80 प्रतिशत से ज्यादा महिला बुजुर्ग कैदी चोरी के लिए जेल में थीं.ज्यादातर महिलाएं भूख और ठंड से बचने खासकर अकेलेपन से शिकार होने के कारण जानबूझकर जेल जाती हैं. जेल में रहने के लिए वे पैसे देने के लिए भी तैयार (Loneliness Effect) रहती हैं. भारत में भी अकेलेपन के शिकार लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

क्या है कारण (Cause of Loneliness)

रिसर्च एंड डेटा संस्था आवर वर्ल्ड इन डेटा के प्रमुख एडौर्ड मैथ्यू के अनुसार, जापान में कामकाजी उम्र के लोगों की अपेक्षा बुज़ुर्ग लोगों का अनुपात वैश्विक स्तर पर सबसे ज़्यादा है. वर्ष 2021 में ही जापान में 50% से अधिक आबादी बुजुर्गों की थी. यहां कई बुजुर्ग महिलाएं जानबूझकर छोटे अपराध कर जेल जाना पसंद करती हैं। इनके लिए बाहर की कठिन जिंदगी से बेहतर जेल का जीवन है.ये सबसे अधिक अकेलेपन की शिकार हैं. वे पैसे देकर भी जेल में रहने के लिए तैयार हैं, ताकि साथी कैदियों से वे बातचीत कर सकें. वे अपने बच्चों के तिरस्कार और अकेलेपन के कारण (Loneliness Effect) निराश हो जाती हैं.

भारत में कितने लोग हैं अकेलेपन के शिकार (Loneliness Data in India)

भारत में अकेलापन एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गया है. 2017 और 2018 के बीच भारत में Longitudinal Ageing Study in India संस्था (LASI) के प्रारंभिक चरण में पूरे भारत में लगभग 72,000 व्यक्तियों की जांच की गई. निष्कर्षों से पता चला कि 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के 20.5% वयस्कों ने मोडरेट अकेलेपन का अनुभव किया, जबकि 13.3% ने गंभीर अकेलेपन (severe loneliness) की सूचना दी. वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइज़ेशन के हाल की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया की 33 प्रतिशत आबादी अकेलेपन का शिकार है. अकेलेपन का स्तर हर देश में अलग-अलग होता है. रिपोर्ट के अनुसार, अकेलेपन की सबसे ज़्यादा दर ब्राज़ील जैसे देशों में पाई जा सकती है. वहां 50 प्रतिशत आबादी अकेलेपन की शिकार है.

अकेलापन है कई बीमारियों की जड़ (Loneliness causes Premature Death)

वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइज़ेशन के अनुसार, अकेलापन बुरी भावना से कहीं ज़्यादा है. यह व्यक्तिगत और सामाजिक स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचाता है. यह हृदय रोग (cardiovascular disease), डिमेंशिया (dementia), स्ट्रोक (stroke), डिप्रेशन (depression), एंग्जायटी (anxiety) और समय से पहले मौत (premature death) के जोखिम से जुड़ा है. अकेलेपन (Loneliness) से गंभीर मानसिक और शारीरिक जटिलतायें हो सकती हैं, जो नज़रअंदाज़ किए जाने पर और भी बदतर हो सकती हैं. उन्होंने आगे कहा कि, “सामाजिक अलगाव और अकेलेपन से हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा (obesity), अवसाद, स्मृति संबंधी समस्या (Memory Loss) का जोखिम भी बढ़ जाता है.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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