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Digital Dementia: लगातार मोबाइल स्क्रीन पर बने रहने पर हो सकते हैं डिजिटल डिमेंशिया के शिकार, क्या है यह टर्म
Digital Dementia: लगातार मोबाइल स्क्रीन पर बने रहने पर हो सकते हैं डिजिटल डिमेंशिया के शिकार, क्या है यह टर्म
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, August 21, 2024
Last Updated On: Thursday, May 1, 2025
लंबे समय तक लगातार स्क्रीन स्क्रॉल करते रहने के कारण मस्तिष्क का प्रभावित होना ही डिजिटल डिमेंशिया है। डिजिटल डिमेंशिया के कारण अल्ज़ाइमर तक हो सकता है। इससे बचाव के लिए लॉन्ग स्क्रीन टाइम को कम करना होगा।
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Thursday, May 1, 2025
जैसे ही देश-दुनिया की कोई खबर हम जानते हैं, हमारा हाथ स्वतः मोबाइल की ओर चला जाता है। हम मोबाइल पर उसकी पूरी जानकारी घंटों स्क्रॉल करते रहते हैं। पिछले एक दशक में दैनिक जीवन में मोबाइल फोन के कारण स्क्रीन टाइम तेजी से बढ़ा है। इस डिजिटल युग ने हमें कई सहूलियतें तो दी हैं, लेकिन इसका हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह सभी के लिए जानना महत्वपूर्ण है कि स्क्रीन टाइम हमारे मानसिक स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक कार्य को कैसे प्रभावित करता है। यह डिमेंशिया, मेमोरी लॉस, भाषा और तर्क में गिरावट जैसे मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों से भी जुड़ा हो सकता है। इसे शोधकर्ता और विशेषज्ञ डिजिटल डिमेंशिया (digital dementia) का नाम देते हैं। जानते हैं क्या है डिजिटल डिमेंशिया और अत्यधिक स्क्रीन टाइम (excess screen time) कैसे हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
क्या है डिजिटल डिमेंशिया (Digital Dementia)
जर्मन न्यूरोसाइंटिस्ट मैनफ़्रेड स्पिट्जर ने वर्ष 2012 में डिजिटल डिमेंशिया (digital dementia) नाम का एक शब्द गढ़ा। अत्यधिक तकनीक के उपयोग से उत्पन्न होने वाले संज्ञानात्मक मुद्दों को डिजिटल डिमेंशिया संदर्भित करता है। शोध बताते हैं कि स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग से डिमेंशिया में देखे जाने वाले परिवर्तनों की तरह मस्तिष्क में परिवर्तन हो सकते हैं। यह अत्यधिक स्क्रीन टाइम यानी स्मार्टफोन के इस्तेमाल से दिमाग में होने वाले नकारात्मक परिवर्तनों के बारे में बताता है। इसमें फोन पर लगातार कई तरह की सामग्री स्क्रॉल करने, पढ़ने, देखने और इस सभी जानकारी को समझने और संसाधित करने की कोशिश शामिल है। इसके कारण याददाश्त, एकाग्रता और सीखने की क्षमता कम होना शामिल है। आधिकारिक तौर पर डिजिटल डिमेंशिया का कोई निदान और इलाज (digital dementia treatment) नहीं है।
क्या कहती है स्टडी (Study on Digital Dementia)
2023 में ब्रिटेन में हुए शोध को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ साइकोलॉजी में प्रकाशित किया गया। इसके निष्कर्ष बताते हैं कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों और किशोरों में एग्जीक्यूटिव फंक्शनिंग और वर्किंग मेमोरी को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। एक बड़े अध्ययन में पाया गया कि प्रतिदिन 4 घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम विभिन्न प्रकार के डिमेंशिया जैसे कि वैस्कुलर डिमेंशिया (Vascular dementia) और अल्जाइमर (Alzheimer’s) के जोखिम को बढ़ा देता है और मस्तिष्क में फिजिकल चेंज ला देता है। वैस्कुलर डिमेंशिया मस्तिष्क में ब्लड फ्लो में कमी के कारण होता है।
डिजिटल डिमेंशिया के क्या हो सकते हैं लक्षण (Digital Dementia Symptoms)
सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना सिंह बताती हैं, ‘डिजिटल डिमेंशिया के लक्षणों में शार्ट टर्म मेमोरी प्रॉब्लम (short-term memory problems), शब्दों को याद करने में कठिनाई (difficulty recalling words) और मल्टीटास्किंग में परेशानी हो सकती है। अत्यधिक स्क्रीन समय नींद, मूड और समग्र मस्तिष्क के कामकाज को भी प्रभावित कर सकता है। “डिजिटल डिमेंशिया” शब्द का अर्थ है स्मृति संबंधी समस्याएं और संज्ञानात्मक गिरावट। यह स्मार्टफोन, कंप्यूटर आदि जैसे डिजिटल उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण होती है। ‘
कैसे हो सकता है बचाव (Digital Dementia Prevention)
डॉ. भावना सिंह (Dr. Bhavana Singh) बताती हैं, ‘गैजेट्स पर अत्यधिक निर्भरता से जुड़ी संभावित समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है जरूरी।
- फोन के नोटिफिकेशन को कम करना सबसे जरूरी है। गैर जरूरी चीज़ों की नोटिफिकेशन बंद कर दें।
- ध्यान केंद्रित करने के लिए चीज़ें तलाशें जैसे कि किताब पढ़ना, वॉकिंग, एक्सरसाइज आदि।
- फोन के इस्तेमाल के लिए समय सीमा तय करें।’