Traditional Medicine : शरीर और मन का उपचार करती है पारंपरिक चिकित्सा पद्धति

Traditional Medicine : शरीर और मन का उपचार करती है पारंपरिक चिकित्सा पद्धति

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Published On: Friday, December 13, 2024

Updated On: Thursday, December 12, 2024

Traditional Medicine
Traditional Medicine

पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धतियां अक्सर शरीर और मन दोनों को एक साथ स्वस्थ रखने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जो आधुनिक चिकित्सा की तुलना में अधिक समग्र दृष्टिकोण है। यह जीवनशैली संबंधी बीमारियों की रोकथाम में कारगर रूप से मदद कर सकती हैं।

Authored By: अरुण श्रीवास्तव

Updated On: Thursday, December 12, 2024

सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों याचिका दाखिल कर प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को भी शामिल करने की मांग की गई है। यह बिल्कुल ठीक है कि ऐसा करने से देश की बड़ी आबादी को सस्ती और असरदार स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा। साथ ही, पारंपरिक चिकित्सा को भी पर्याप्त बढ़ावा मिलेगा और वे पहले की भांति फिर लोकप्रिय (Traditional Medicine) हो सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि यह मामला ऐसा नहीं है, जिस पर सरकार को फैसला लेने में बहुत दिक्कत हो।

कौन कौन हैं पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां (Traditional Medicine)

पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां जैसे कि आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी आदि हैं। योग और ध्यान भी इसी में स्थान पाते हैं। गरीब जनता के लिए ये कई मायनों में वरदान रही हैं। सरकारी संरक्षण प्राप्त होने पर ये और भी लोकप्रिय साबित हो सकती हैं। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में आमतौर पर आधुनिक चिकित्सा की तुलना में उपचार की लागत काफी कम होती है। यह गरीब लोगों के लिए जो महंगे अस्पताल और दवाओं का खर्च वहन नहीं कर सकते, उनके लिए बहुत लाभकारी होती हैं।

किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला का पारम्परिक चिकित्सा प्रेम

ब्रिटेन के किंग चार्ल्स पिछले दिनों एक निजी यात्रा पर भारत आए हुए थे। उनके साथ उनकी पत्नी क्वीन कैमिला भी थीं। वे बेंगलुरु के पास एक आधुनिक आरोग्यशाला “होलिस्टिक हेल्थ सेंटर’ में ठहरे। तीन दिनों की यात्रा के दौरान किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला ने योग, मेडिटेशन सेशन और योग थेरेपी का भरपूर आनंद उठाया। यानी सामान्य रोगियों से लेकर ब्रिटेन के किंग को भी अब समझ में आ गया है कि सेहतमंद रहने और स्मार्ट दिखने के लिए भारत के आधुनिक डॉक्टरों और परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों से इलाज करवाना कहीं ज़्यादा सही रहेगा।

लागत है कम (Traditional Medicine)

पारंपरिक चिकित्सक अक्सर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी आसानी से उपलब्ध होते हैं, जहां आधुनिक चिकित्सा सुविधायें कुछ “मल्टी स्पेशलिटी “अस्पतालों तक ही सीमित होती हैं। अतः यह पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां ग्रामीण गरीबों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं और इनमें गरीब ग्रामीणों का अटूट विश्वास भी है। ज्यादातर पारंपरिक उपचार स्थानीय रूप से उपलब्ध जड़ी-बूटियों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर ही आधारित होते हैं, जिसकी लागत कम होती है। खास बात यह है कि ये पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धतियां अक्सर शरीर और मन दोनों को एक साथ स्वस्थ रखने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जो आधुनिक चिकित्सा की तुलना में अधिक समग्र दृष्टिकोण है। यह जीवनशैली संबंधी बीमारियों की रोकथाम में मदद कर सकती हैं।

गहन शोध होना चाहिए (Traditional Medicine Research)

कुछ पारंपरिक उपचारों की प्रभावशीलता के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाणों का अभाव गिना दिया जाता है क्योंकि आधुनिक वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य प्रयोगों पर आधारित साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। सरकार को चाहिये कि आधुनिक प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक शोध के आधार पर इनके कारगर परिणाम के साक्ष्य उपलब्ध करवाए। इससे रोगियों की सुरक्षा और उपचार की गुणवत्ता वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सिद्ध और स्थापित हो सकेगी, नहीं तो पारम्परिक सिद्ध चिकित्सा पद्धतियों पर सवाल उठते ही रहेंगे। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े लोगों और भारत सरकार के आयुष मंत्रालय को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। इनमें गहन शोध होना ही चाहिए। यह भी मानना होगा कि पारंपरिक चिकित्सा व्यवसाय का नियमन और गुणवत्ता नियंत्रण अक्सर अपर्याप्त होता है। सरकार को इस तरफ भी देखना होगा।

वैज्ञानिक रूप से प्रामाणिकता जरूरी

इनके कुछ चिकित्सक ऐसे दावा करते हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता है, जिससे रोगियों को भ्रमित किया जा सकता है और उनका स्वास्थ्य जोखिम में पड़ सकता है। अतः आयुष मंत्रालय को वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर इन दावों की प्रमाणिकता या तो सिद्ध करनी होगी या फिर ख़ारिज करना होगा। हालांकि, इन पद्धतियों की सीमाओं और चुनौतियों को भी स्वीकार करना और उनका समाधान करना महत्वपूर्ण है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह उपचार पद्धति भी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणिक है।

भारतीय समाज के स्वास्थ्य और कल्याण का अभिन्न अंग

भारत अपनी विविधता और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है, जिसमें अनेकों पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां हज़ारों वर्षों से चली आ रही हैं। आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा, होमियोपैथी और अनेक अन्य प्रणालियां सदियों से भारतीय समाज के स्वास्थ्य और कल्याण का अभिन्न अंग रही हैं। आज, जब आधुनिक चिकित्सा पद्धति तेज़ी से आगे बढ़ रही है, तब भी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का महत्व कम नहीं हुआ है, बल्कि यह और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है। विश्व भर से प्रतिवर्ष हज़ारों अत्यंत पढ़े- लिखे और समृद्ध लोग आख़िर भारत आकर इन चिकित्सा पद्धतियों पर लाखों खर्च क्यों करते हैं।

स्वस्थ जीवन को बढ़ावा (Traditional Medicine Benefits)

पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां केवल बीमारियों के इलाज पर ही केंद्रित नहीं हैं बल्कि रोगों की रोकथाम पर भी जोर देती हैं। आयुर्वेद और योग जैसे पद्धतियां जीवनशैली में बदलाव, आहार और व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं, जिससे कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। ये पद्धतियां शरीर और मन के बीच संबंध को समझती हैं और समग्र स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)

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अरुण श्रीवास्तव पिछले करीब 34 वर्ष से हिंदी पत्रकारिता की मुख्य धारा में सक्रिय हैं। लगभग 20 वर्ष तक देश के नंबर वन हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण में फीचर संपादक के पद पर कार्य करने का अनुभव। इस दौरान जागरण के फीचर को जीवंत (Live) बनाने में प्रमुख योगदान दिया। दैनिक जागरण में करीब 15 वर्ष तक अनवरत करियर काउंसलर का कॉलम प्रकाशित। इसके तहत 30,000 से अधिक युवाओं को मार्गदर्शन। दैनिक जागरण से पहले सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल (हिंदी), चाणक्य सिविल सर्विसेज टुडे और कॉम्पिटिशन सक्सेस रिव्यू के संपादक रहे। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, करियर, मोटिवेशनल विषयों पर लेखन में रुचि। 1000 से अधिक आलेख प्रकाशित।

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