International Stuttering Awareness Day 2024 : छोटी उम्र से हकलाने का शुरू कर देना चाहिए इलाज
Authored By: स्मिता
Published On: Tuesday, October 22, 2024
Updated On: Tuesday, October 22, 2024
इंटरनेशनल स्टटरिंग अवेयरनेस डे एक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जो हर साल 22 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस वर्ष इस जागरूकता दिवस का विषय (International Stuttering Awareness Day 2024 Theme) सुनने की शक्ति ('The Power of Listening) है।
कुछ विकार जन्मजात होते हैं। बोलते हुए हकलाना भी एक स्वास्थ्य विकार है। सबसे बड़ी समस्या तब होती है जब व्यक्ति के हकलाने पर सामने वाला व्यक्ति उसका मजाक उड़ाने लगता है। इस कारण से विकार वाला व्यक्ति दूसरे से मिलने से कतराने लगता है। इससे व्यक्ति का पर्सनेलिटी डेवलपमेंट भी सही तरीके से नहीं हो पाता है। पीड़ित तनाव और अवसाद से भी ग्रस्त हो सकता है। हकलाने की समस्या को जानने और उसके उपचार के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इंटरनेशनल स्टटरिंग अवेयरनेस डे (International Stuttering Awareness Day 2024) मनाया जाने लगा। जानते हैं क्या है समस्या और इसका उपचार।
इंटरनेशनल स्टटरिंग अवेयरनेस डे (International Stuttering Awareness Day 2024)
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की आबादी का एक प्रतिशत, यानी 8 करोड़ लोग हकलाने की समस्या से पीड़ित हैं। इंटरनेशनल स्टटरिंग अवेयरनेस डे का उद्देश्य हकलाने की समस्या से पीड़ित लोगों के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना है। अंतर्राष्ट्रीय हकलाना जागरूकता दिवस या इंटरनेशनल स्टटरिंग अवेयरनेस डे (International Stuttering Awareness Day 2024) एक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जो हर साल 22 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस जागरूकता दिवस 2024 का विषय (International Stuttering Awareness Day 2024 Theme) सुनने की शक्ति (‘The Power of Listening) है। यह सभी को यह सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है कि हम हकलाने वाले लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।
सहजता से बोलने की क्षमता को प्रभावित करता है हकलाना (Stuttering Disorder)
मनोचिकित्सक डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं, ‘हकलाना व्यक्ति की सहजता से बोलने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसके कारण व्यक्ति शब्दों, वाक्यों के कुछ हिस्सों या किसी ख़ास प्रकार के साउंड को दोहरा देते हैं। जिन लोगों के साथ यह परेशानी होती है, वह किसी एक शब्द या ध्वनि के उच्चारण को लंबा खींच देता है। विकारग्रस्त व्यक्ति को बोलने में कठिनाई होने पर उनके चेहरे की मांसपेशियां तनावग्रस्त हो सकती हैं।’
बचपन से होती है हकलाने की शुरुआत (Stuttering Problem)
बोलने के समय हकलाने के ज्यादातर मामले बच्चे के 2 से 6 साल के बीच के होने पर होते हैं। इस समय वे अपनी शब्दावली विकसित कर रहे होते हैं। लड़कों में हकलाने के विकार अधिक देखे जाते हैं। हालांकि इसका अभी तक कोई ठोस वैज्ञानिक कारण पता नहीं लगाया जा सका है। बच्चे के स्कूल में प्रवेश करने के साथ ही हकलाना बंद हो सकता है, लेकिन बड़े भी हकला सकते हैं।
न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम के कारण समस्या (Cause of Stuttering)
डॉ. अरविंद के अनुसार, हकलाने का अभी तक ठोस कारण पता नहीं चल पाया है। हकलाने का न्यूरोलॉजिकल आधार है, जो ब्रेन के स्पीच और लैंग्वेज को प्रभावित करने वाले क्षेत्र को नियंत्रित करते हैं। डीएनए म्युटेशन के कारण भी यह समस्या हो सकती है। हकलाने की फैमिली हिस्ट्री, इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी, स्पीच मोटर कंट्रोल में समस्या होने पर व्यक्ति हकला सकता है। मस्तिष्क में लगी चोट, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी कारण हो सकती हैं।
तुरंत इलाज शुरू कर देने से हो सकता है बचाव (Prevention from Stuttering)
अभी तक हकलाने की वजह के बारे में पता नहीं चल पाया है। इसलिए इसे रोकने और बचाव के उपाय नहीं किए जा सकते हैं। बच्चे के हकलाने के बारे में पता चलने पर इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। तुरंत इलाज शुरू कर देने से समस्या पर रोक लग सकती है।
स्पीच थेरेपिस्ट से उपचार (Stuttering Treatment)
यदि बच्चा हकलाता है, तो तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए। जल्दी उपचार शुरू करने से हकलाने की समस्या को रोका जा सकता है। हकलाने की गंभीरता और फ्रीक्वेंसी पर उपचार निर्भर करता है। स्पीच थेरेपिस्ट इलाज कर सकते हैं। स्पीच थेरेपिस्ट के ट्रीटमेंट प्लान का पालन जरूरी है। घर पर भी आरामदायक वातावरण होना चाहिए। बच्चे को बोलते हुए बीच में रोकें टोकें नहीं। उनके द्वारा अपनी बात पूरी करने का इंतज़ार करें।
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