नए साल पर लें प्रतिबद्धता का संकल्प: सद्गुरु जग्गी वासुदेव

नए साल पर लें प्रतिबद्धता का संकल्प: सद्गुरु जग्गी वासुदेव

Authored By: स्मिता

Published On: Tuesday, December 31, 2024

Updated On: Tuesday, December 31, 2024

Naye saal par Sadhguru Jaggi Vasudev ka sandesh: Sankalp aur pratibaddhata ka samay.

मन की समस्या यह है कि यह हर पल बदलता रहता है। मन बदलते रहने पर मंजिल तक पहुंचने की संभावना बहुत कम हो जाती है। आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव बताते हैं कि यदि मंजिल पाना लक्ष्य है, तो नए साल पर होना होगा प्रतिबद्ध। प्रतिबद्धता सबसे अधिक जरूरी है।

Authored By: स्मिता

Updated On: Tuesday, December 31, 2024

आप कहीं जाना चाहते हैं और हर दो कदम पर अपनी दिशा बदल रहे हैं। ऐसी हालत में आपके लिए मंजिल तक पहुंचने की संभावना बहुत कम हो जाती है। संयोग से अगर पहुंच गए तो बात दूसरी है। दरअसल, अपने मन को व्यवस्थित करने का बुनियादी मतलब है काम करने की विवशतापूर्ण तरीके को सचेतन तरीके में बदलना। इसके लिए सबसे जरूरी है प्रतिबद्धता। प्रतिबद्धता के अभाव में छोटा से छोटा काम बिगड़ सकता है। जिन लोगों का विश्वास पक्का होता है, उनकी बुद्धि सरल होती है। विश्वास केवल उन्हीं लोगों के लिए काम करता है, जो सरल मन के होते हैं। विचारशील व्यक्ति, जो बहुत ज्यादा सोचते हैं, उनके लिए यह कभी कारगर नहीं होता। एक बच्चे जैसा सरल इंसान जब कहता है, ’शिवजी, मुझे एक घर चाहिए। मुझे नहीं पता कैसे, पर आपको मेरे लिए इसे बनाना होगा।’ तब उसके मन में कोई नकारात्मक विचार नहीं होता, कोई शक नहीं होता। उसे अटल विश्वास (New Year Resolution) होता है कि शिवजी उसकी इच्छा पूरी करेंगे।

सोचने पर निर्भर करती है प्रतिबद्धता

भगवान सृष्टि के स्रोत हैं। सृष्टि ही उसके लिए यह काम करेगी। क्या संभव है और क्या नहीं, यह सोचना आपका काम नहीं है। यह प्रकृति का काम है। आपका कर्तव्य तो बस उस चीज के लिए कोशिश करना है जो आपको चाहिए। अगर जीवन को वैसा होना है, जैसा आप सोचते हैं, तो वह जरूर हो सकता है। लेकिन यह इस पर निर्भर है कि आप कैसे सोचते हैं, कितनी गहराई से सोचते हैं, आपके विचारों में कितनी स्थिरता है। यही तय करेगा कि आपका विचार हकीकत बनता है या यह सिर्फ एक सतही विचार ही बना रह जाता है।

प्रतिबद्धता देती है सहजता

एक ही विकल्प है और वह है प्रतिबद्धता। जिन चीजों को आप चाहते हैं, उन्हें हासिल करने के लिए अगर आप खुद को झोंक दें, तो आपके विचार इतने गहरे हो जाते हैं कि ’यह संभव है या नहीं’ जैसा कुछ बचता ही नहीं। आपकी विचार प्रक्रिया में कोई बाधा पैदा नहीं आती। आप जिस दिशा में चाहते हैं, उसी दिशा में आपके विचार सहज रूप से बहने लगते हैं। एक बार जब ऐसा हो जाता है, फिर उनका साकार होना भी सहज हो जाता है।

तनाव और उदासी का कारण

जब चीजें आपकी योजना के अनुसार नहीं होतीं, या चीजों पर आपका कोई वश नहीं होता, तब आपको तनाव और उदासी होती है। जब उदासी लम्बे समय तक कायम रहती है, तो आप अवसाद के शिकार हो जाते हैं। आप उम्मीद करते हैं कि दुनिया या आपकी किस्मत आपके सोचने के मुताबिक चले, लेकिन ऐसा नहीं होता। दूसरे शब्दों में कहें तो बात सिर्फ इतनी है कि आप हो रही चीजों के खिलाफ होते हैं, आप उन्हें स्वीकार नहीं कर पाते।

सीखें मन को इस्तेमाल करने की कला

अगर तनाव, नाराजगी, डर, और गुस्सा आपके मन में पैदा हो रहे हैं तो इसका मतलब है कि आपने अपने मन की बागडोर अपने हाथों में नहीं ली है। ये वो जहर हैं जो आप अपने मन में पैदा करते हैं। सारे तनाव और संघर्ष मन के होते हैं। अगर आप अपने मन को इस्तेमाल करने की कला सीख लें, तो आप आनंद का रसायन भी पैदा कर सकते हैं। तनाव से मुक्ति के लिए एकमात्र तरीका ध्यान है, क्योंकि यह मन से परे का आयाम है।

विचारों में स्पष्टता है जरूरी

जो चीज आपको चाहिए, उसे हासिल करने के लिए सबसे अहम बात है कि उस चीज की तस्वीर आपके मन में पूरी तरह से साफ होनी चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि यही वह चीज है, जो मैं चाहता हूं। क्या यह वही है, जो आप सच में चाहते हैं? इस पर गौर करना जरूरी है, क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि आपने कुछ चीजों की इच्छा की, लेकिन जैसे ही वे चीजें आपको मिलीं, तभी आपको एहसास हुआ कि ’ये वे चीजें नहीं हैं, जो मुझे चाहिए। जो मुझे चाहिए, वह तो कुछ और है।’

प्रतिबद्धता दिलाती है सफलता

सबसे पहले हमें इस बात का पता लगाना होगा कि हमें वाकई क्या चाहिए। एक बार जब यह बात स्पष्ट हो जाए और हम इसे साकार करने के लिए समर्पित हो जाएं, तो उस दिशा में विचार की एक निरंतर प्रक्रिया होगी। जब आप बिना दिशा बदले विचारों की स्थायी धारा को कायम रखेंगे, तो आपका लक्ष्य निश्चित रूप से एक सच्चाई के रूप में प्रकट होगा। आप जो करेंगे उसमें सफल होंगे। यही प्रतिबद्धता है।

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About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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