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भार्गवास्त्र एंटी-ड्रोन सिस्टम: भारत की नई ताकत, दुश्मनों के लिए खतरे की घंटी!
भार्गवास्त्र एंटी-ड्रोन सिस्टम: भारत की नई ताकत, दुश्मनों के लिए खतरे की घंटी!
Authored By: Nishant Singh
Published On: Thursday, May 15, 2025
Last Updated On: Friday, May 16, 2025
Bharghavastra anti-drone system: ड्रोन तकनीक ने युद्ध की दुनिया में क्रांति ला दी है, और अब सबसे बड़ा खतरा ‘स्वार्म अटैक’ यानी ड्रोन के झुंड से है. ऐसे हमलों से निपटने के लिए भारत ने स्वदेशी और अत्याधुनिक एंटी-ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ को विकसित किया है. यह मल्टी-लेयर डिफेंस सिस्टम एक साथ 64 ड्रोन तक को पहचान कर उन्हें नष्ट कर सकता है. रडार, सेंसर और माइक्रो-मिसाइल से लैस यह प्रणाली हार्ड किल और सॉफ्ट किल – दोनों तरीकों से ड्रोन को निष्क्रिय करती है. इसकी माइक्रो-मिसाइलें किफायती होने के साथ-साथ अत्यधिक सटीक भी हैं. पूरी तरह से ‘मेड इन इंडिया’ तकनीक पर आधारित भार्गवास्त्र, आने वाले समय में भारत की सीमाओं के साथ-साथ शहरों की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाएगा. यह लेख विस्तार से बताता है कि कैसे भार्गवास्त्र भारत की सुरक्षा को एक नई दिशा देता है.
Authored By: Nishant Singh
Last Updated On: Friday, May 16, 2025
Bharghavastra anti-drone system : पिछले कुछ वर्षों में युद्ध की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है. अब युद्ध सिर्फ टैंक और बंदूकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब तकनीक के सहारे लड़े जा रहे हैं. खासकर ड्रोन्स (Drone) ने युद्ध की दिशा और दशा दोनों बदल दी है. ये छोटे-छोटे उड़ने वाले यंत्र दिखने में खिलौने जैसे लगते हैं, लेकिन इनकी मारक क्षमता किसी मिसाइल से कम नहीं. अब ज़रा सोचिए, अगर एक साथ 100-200 ड्रोन हमला कर दें तो क्या होगा?
ऐसी ही एक स्थिति “सिंदूर” अभ्यास के दौरान सामने आई थी, जब पाकिस्तान ने भारत पर एक ही समय में 400 से अधिक ड्रोन भेजे थे. यह हमला ‘स्वार्म अटैक’ कहलाता है, जिसमें ड्रोन एक झुंड की तरह एक साथ हमला करते हैं. लेकिन भारत ने भी जवाब देने में देर नहीं लगाई. हमारी सेनाओं ने अपने दमदार एयर डिफेंस सिस्टम से उन सभी ड्रोनों को हवा में ही ध्वस्त कर दिया.
अब भारत ने इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए एक ऐसा हथियार विकसित किया है, जो सिर्फ ड्रोनों से ही नहीं, बल्कि उनके झुंड से निपटने में सक्षम है – इसका नाम है “भार्गवास्त्र“.
क्या है भार्गवास्त्र?
भार्गवास्त्र एक उन्नत एंटी-ड्रोन सिस्टम है, जिसे खास तौर पर ड्रोन के झुंड से निपटने के लिए विकसित किया गया है. इसे भारत की स्वदेशी कंपनी स्पेशल डिफेंस एयरोस्पेस लिमिटेड ने बनाया है. यह पूरी तरह से ‘मेड इन इंडिया’ तकनीक पर आधारित है, जो भारतीय सेना को भविष्य के युद्धों में बड़ी ताकत देगा.
यह सिस्टम एक साथ दर्जनों ड्रोन को पहचान सकता है, ट्रैक कर सकता है और उन्हें नष्ट भी कर सकता है. यह न केवल हार्ड किल तकनीक का इस्तेमाल करता है (जहां लक्ष्य को मिसाइल से उड़ाया जाता है), बल्कि सॉफ्ट किल तकनीक (जैसे जैमिंग और स्पूफिंग) से भी ड्रोन को बेअसर किया जा सकता है.
ड्रोन हमलों का बढ़ता खतरा
पाकिस्तान जैसे देश, जो खुले युद्ध से डरते हैं, अब छिपकर वार करने की रणनीति अपना रहे हैं. सस्ते, छोटे और तेज़ ड्रोन्स की मदद से वे भारत की सीमाओं में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे हमलों को रोकने के लिए पुराने एयर डिफेंस सिस्टम से काम नहीं चल सकता. उन्हें मार गिराने के लिए अगर बड़ी और महंगी मिसाइलों का उपयोग किया जाए, तो यह आर्थिक रूप से बहुत नुकसानदायक हो सकता है.
इसलिए भारत ने एक ऐसा समाधान खोजा जो किफायती, तेज़ और प्रभावी हो – और यही समाधान है भार्गवास्त्र.
कैसे काम करता है भार्गवास्त्र?
भार्गवास्त्र एक मल्टी-लेयर एंटी-ड्रोन डिफेंस सिस्टम है, जो तीन मुख्य चरणों में काम करता है:
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खतरे की पहचान:
इसमें रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और इन्फ्रारेड सेंसर लगे होते हैं, जो 6 से 10 किलोमीटर की दूरी से ड्रोन की पहचान कर सकते हैं. सिस्टम का एडवांस्ड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर C4I (Command, Control, Communication, Computer & Intelligence) तकनीक का इस्तेमाल करता है, जो खतरे का विश्लेषण करके तेजी से निर्णय लेता है.
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टारगेट को ट्रैक और लॉक करना:
ड्रोन या उसके झुंड की पहचान होते ही सिस्टम उसे ट्रैक करता है. इसके बाद सिस्टम यह तय करता है कि किस ड्रोन को पहले नष्ट करना है या पूरे झुंड को एक साथ उड़ाना है.
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नष्ट करना (हार्ड किल और सॉफ्ट किल):
- हार्ड किल मोड: इसमें दो लेयर की मिसाइलें होती हैं.
- पहली लेयर – अनगाइडेड माइक्रो मिसाइल, जो 2.5 किलोमीटर तक 20 मीटर के दायरे में एक साथ कई ड्रोन को तबाह कर सकती है.
- दूसरी लेयर – गाइडेड माइक्रो मिसाइल, जो किसी खास टारगेट को सटीकता से निशाना बनाती है.
- सॉफ्ट किल मोड: इसमें ड्रोन को जैमिंग या स्पूफिंग के जरिए रुकने पर मजबूर किया जाता है.
भार्गवास्त्र की ताकत – एक साथ 64 ड्रोन तबाह
भार्गवास्त्र की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह एक साथ 64 ड्रोन को निशाना बना सकता है. यह क्षमता इसे दुनिया के सबसे एडवांस एंटी-ड्रोन सिस्टम्स में शुमार करती है. इसकी माइक्रो-मिसाइलें न केवल सस्ती हैं, बल्कि तेज़ी से लॉन्च की जा सकती हैं, जिससे किसी भी अचानक हुए हमले का तत्काल जवाब दिया जा सकता है.
क्यों है यह गेम चेंजर?
आज के समय में हर बड़ा देश ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा रहा है. अमेरिका, चीन, रूस, इज़रायल जैसे देशों के पास एडवांस ड्रोन हैं और वे उन्हें युद्ध में तेजी से इस्तेमाल कर रहे हैं. भारत जैसे देश के लिए जरूरी है कि वह इन खतरों से निपटने के लिए तैयार रहे.
भार्गवास्त्र न सिर्फ इन खतरों से निपटने में कारगर है, बल्कि यह तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत का एक बड़ा कदम भी है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह स्वदेशी है और इसमें कोई विदेशी तकनीक इस्तेमाल नहीं की गई है.
वैश्विक तुलना में भार्गवास्त्र
दुनिया के कई विकसित देश अभी भी एंटी-ड्रोन सिस्टम पर काम कर रहे हैं, लेकिन भारत का भार्गवास्त्र मल्टी-लेयर प्रोटेक्शन, कम लागत, तेज कार्रवाई, और झुंड पर अचूक निशाना जैसी खूबियों के कारण सबसे अलग और उन्नत है.
अभी तक ऐसा कोई अन्य सिस्टम पूरी दुनिया में तैनात नहीं किया गया है जो इतने प्रभावी और किफायती तरीके से स्वार्म ड्रोन से निपट सके.
भविष्य की तैयारी
जैसे-जैसे ड्रोन तकनीक सस्ती और सुलभ हो रही है, वैसे-वैसे इसका इस्तेमाल अपराधी संगठन, आतंकवादी और दुश्मन देश करने लगे हैं. भारत को न केवल सीमाओं की सुरक्षा करनी है, बल्कि अपने शहरों, महत्वपूर्ण स्थलों और औद्योगिक केंद्रों को भी ऐसे खतरों से बचाना होगा.
भार्गवास्त्र जैसे सिस्टम भविष्य की इसी जरूरत को पूरा करते हैं. आने वाले वर्षों में इस प्रणाली को हर प्रमुख सैन्य ठिकाने, हवाई अड्डे और संवेदनशील इलाकों में तैनात किया जाएगा.
एक नया सुरक्षा कवच
भार्गवास्त्र न केवल तकनीक का चमत्कार है, बल्कि यह भारत की रक्षा नीति का एक ठोस प्रतीक भी है. यह सिस्टम दिखाता है कि हम सिर्फ खतरे का जवाब नहीं दे रहे, बल्कि उसे मात देने के लिए तैयार हैं.
अब भारत सिर्फ एक रक्षक नहीं, बल्कि स्मार्ट डिफेंडर बन चुका है. जब दुश्मन ड्रोन भेजेगा, तो भार्गवास्त्र जवाब देगा – और ऐसा जवाब देगा कि अगली बार सोचने पर मजबूर हो जाएगा.