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UNESCO की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल हुआ ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप’, मान्यता प्राप्त करने वाली 44वीं संपत्ति बनी
UNESCO की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल हुआ ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप’, मान्यता प्राप्त करने वाली 44वीं संपत्ति बनी
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Saturday, July 12, 2025
Last Updated On: Saturday, July 12, 2025
मराठा काल के 12 किलों को UNESCO की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल किया गया है. इनमें महाराष्ट्र के 11 किले हैं. वहीं, तमिलनाडु का एक जिंजी किला भी सूची का हिस्सा है. सभी किले 17वीं से 19वीं सदी के बीच बने थे. इस मौके पर पीएम मोदी ने देश के लोगों को बधाई दी है.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Saturday, July 12, 2025
UNESCO: मराठा मिलिट्री लैंडस्केप ऑफ इंडिया यूनेस्को की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल होने और मान्यता प्राप्त करने वाली 44वीं संपत्ति बनी है. विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र में यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है. यह वैश्विक सम्मान भारत की चिरस्थायी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करता है, जो इसकी स्थापत्य प्रतिभा, क्षेत्रीय पहचान और ऐतिहासिक निरंतरता की विविध परंपराओं को प्रदर्शित करता है.
यह प्रस्ताव जनवरी 2024 में विश्व धरोहर समिति के विचारार्थ भेजा गया था और सलाहकार निकायों के साथ कई तकनीकी बैठकों एवं स्थलों की समीक्षा के लिए आईसीओएमओएस के मिशन के दौरे सहित 18 महीने की कठोर प्रक्रिया के बाद शुक्रवार की शाम पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में विश्व धरोहर समिति के सदस्यों द्वारा यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया.
महाराष्ट्र और तमिलनाडु में फैले चयनित स्थलों में महाराष्ट्र में साल्हेर, शिवनेरी, लोहगढ़, खंडेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग के साथ-साथ तमिलनाडु में गिंगी किला शामिल हैं.
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि की सराहना की और देश के लोगों को बधाई दी. समिति की बैठक के दौरान 20 में से 18 सदस्य देशों ने इस महत्वपूर्ण स्थल को सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया. प्रस्ताव पर 59 मिनट तक चर्चा चली और 18 सदस्य देशों की सकारात्मक सिफारिशों के बाद सभी सदस्य देशों, यूनेस्को, विश्व विरासत केंद्र और यूनेस्को के सलाहकार निकायों (आईसीओएमओएस, आईयूसीएन) ने इस महत्वपूर्ण अवसर के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल को बधाई दी.
क्या हैं ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’?
‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ उन 12 दुर्गों और किलाबंद स्थलों का समुच्चय है जिन्हें 17वीं से 19वीं सदी के बीच मराठा साम्राज्य ने अपनी सैन्य रणनीति, वास्तुकला और सामरिक कुशलता के प्रतीक के रूप में विकसित किया था. ये किले न केवल दुश्मनों से रक्षा के लिए, बल्कि भौगोलिक स्थिति के अनुसार रणनीतिक नियंत्रण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
कौन-कौन से किले हैं शामिल?
इस सूची में महाराष्ट्र के साल्हेर, शिवनेरी, लोहगढ़, खांदेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग किलों के साथ-साथ तमिलनाडु का प्रसिद्ध जिन्जी किला भी शामिल है. इन सभी किलों को अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों में इस तरह से बनाया गया कि वे मराठा साम्राज्य की रणनीतिक और युद्धक क्षमता का सजीव प्रमाण बनें. इन दुर्गों में समुद्र तटीय, पहाड़ी और मैदानी इलाकों की विविधता देखने को मिलती है, जो इन्हें और भी विशिष्ट बनाती है.
शिवनेरी किला, लोहागढ़, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और गिंगी किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित हैं, जबकि साल्हेर किला, राजगढ़, खंडेरी किला और प्रतापगढ़ पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय, महाराष्ट्र सरकार द्वारा संरक्षित हैं.
तटीय चौकियों से लेकर पहाड़ी गढ़ों तक विविध भूभागों में स्थित ये किले भूगोल और रणनीतिक रक्षा योजना की परिष्कृत समझ को दर्शाते हैं. साथ मिलकर ये एक सुसंगठित सैन्य परिदृश्य का निर्माण करते हैं, जो देश में दुर्ग निर्माण परंपराओं के नवाचार और क्षेत्रीय अनुकूलन को उजागर करता है.
साल्हेर, शिवनेरी, लोहागढ़, रायगढ़, राजगढ़ और जिंजी पहाड़ी इलाकों में स्थित हैं और इसलिए इन्हें पहाड़ी किले कहा जाता है. घने जंगलों में बसा प्रतापगढ़ एक पहाड़ी वन किले के रूप में वर्गीकृत है. पठारी पहाड़ी पर स्थित पन्हाला एक पहाड़ी पठार किला है. तटरेखा के किनारे स्थित विजयदुर्ग एक उल्लेखनीय तटीय किला है, जबकि समुद्र से घिरे खंडेरी, सुवर्णदुर्ग और सिंधुदुर्ग को द्वीपीय किले के रूप में जाना जाता है.
(आईएएनएस इनपुट के साथ)