Special Coverage
कारगिल विजय दिवस पर उत्तराखंड के वीर सपूतों को धामी का मिला तोहफा
कारगिल विजय दिवस पर उत्तराखंड के वीर सपूतों को धामी का मिला तोहफा
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Published On: Saturday, July 27, 2024
Updated On: Friday, March 7, 2025
कारगिल युद्ध (Kargil War) में उत्तराखंड के 75 सपूत शहीद हुए थे। कारगिल विजय दिवस पर प्रदेश सरकार शहीद वीर सपूतों को खास तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित करती है। इस बार प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक के बाद एक चार घोषणाएं की।
Authored By: गुंजन शांडिल्य
Updated On: Friday, March 7, 2025
आज देश भर में कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया गया। इस दौरान केंद्र सहित राज्यों ने भी कई कार्यक्रम आयोजित किये। उत्तराखंड को सैनिकों का प्रदेश माना जाता है। यहां लगभग हर घर में एक लोग सेना में है। कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 सपूत शहीद हुए थे। कारगिल विजय दिवस पर प्रदेश सरकार शहीद वीर सपूतों को खास तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित करती है। इस बार प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक के बाद एक चार घोषणाएं की। प्रदेश सरकार के मुताबिक देश सैनिकों के बलिदान को भूल नहीं सकते।
सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों को तोहफा
प्रदेश की भाजपा सरकार ने आज उत्तरराखंड के शहीद वीर सपूतों के परिजनों को मिलने वाली अनुग्रह अनुदान राशि 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 50 लाख रूपए की। इसके अलावा शहीद सैनिक के परिवारजनों को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने की समय सीमा को 2 साल से बढ़ाकर 5 साल करने की घोषणा धामी सरकार ने की। इन दो घोषणाओं के अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो और घोषणा की। वे हैं, अब उत्तराखंड में शहीदों के आश्रितों को अब जिलाधिकारी कार्यालयों में समूह ‘ग’ और समूह ‘घ’ के अलावा अन्य विभागों में भी समूह ‘ग’ और समूह ‘घ’ के पदों पर भी नियुक्ति प्रदान की जायेगी। इसके अलावा सैनिक कल्याण विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों को उपनल कर्मियों की भांति अवकाश प्रदान किये जाएंगे।
क्या कहते हैं मुख्यमंत्री धामी
कारगिल विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं, ‘कारगिल युद्ध में मां भारती की रक्षा के लिये हमारे वीर जवानों ने पराक्रम और अदम्य साहस का परिचय दिया। भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में जिस प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में वीरता का परिचय देते हुए घुसपैठियों को सीमा पार खदेड़ा, उससे पूरे विश्व ने भारतीय सेना का लोहा माना। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।’
कारगिल विजय गाथा उत्तराखंड वीरों के बिना अधूरा
धामी ने कहा कि कारगिल की विजय गाथा उत्तराखंड के वीरों के बिना अधूरी है। कारगिल युद्ध में उत्तराखंड ने अपने 75 सपूतों का बलिदान दिया है। इस बलिदान को उत्तराखंड की वीर भूमि कभी नहीं भुलाएगी। जिस सांस्कृतिक परिवेश और विचारों ने हम सभी को पोषित किया है, उस संस्कृति में मान्यता है कि देशभक्ति सभी प्रकार की भक्तियों में सर्वश्रेष्ठ है। कारगिल युद्ध के समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। तब हमने युद्ध भी जीता और वैश्विक स्तर पर कूटनीति में भी जीते। कारगिल युद्ध के बाद से ही अटल जी ने शहीदों का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ करने की व्यवस्था की।
वॉर मेमोरियल की तरह उत्तराखंड में सैन्य धाम
कार्यक्रम में प्रदेश के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी भी उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता अनुसार सरकार द्वारा सेवायोजित किया जा रहा है। अभी तक 26 आश्रितों को सेवायोजित किया जा चुका है। देहरादून के गुनियालगांव में प्रदेश के शहीदों की स्मृति में अत्याधुनिक एवं समस्त सुविधाओं युक्त ‘शौर्य स्थल’ (सैन्य धाम) का निर्माण किया जा रहा है। इस धाम में प्रदेश के समस्त शहीदों के नाम अंकित किये जाएंगे।