Satyapal Malik Death: कभी कांग्रेसी तो कभी भाजपाई, ऐसे बदलता गया सत्यपाल मलिक का सियासी सफर
Authored By: Ranjan Gupta
Published On: Tuesday, August 5, 2025
Last Updated On: Tuesday, August 5, 2025
जम्मू-कश्मीर, बिहार, गोवा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त को दिल्ली में निधन हो गया. 79 वर्षीय मलिक का राजनीतिक सफर कांग्रेस, जनता दल और भाजपा जैसी पार्टियों से होते हुए राज्यपाल पद तक पहुंचा. अपने बेबाक बयानों और निडर रवैये के लिए पहचाने जाने वाले मलिक के निधन पर देशभर के नेताओं ने शोक जताया.
Authored By: Ranjan Gupta
Last Updated On: Tuesday, August 5, 2025
जम्मू कश्मीर और बिहार के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार (5 अगस्त) को निधन हो गया (Satyapal Malik Death). 79 वर्षीय सत्यपाल मलिक लंबे समय से बीमार थे. दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत कई पार्टियों के नेताओं ने दुख जाहिर किया है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मलिक अपने आखिरी वक्त तक बेबाकी और निडरता से सत्ता को सच का आईना दिखाते रहे वो बिना डरे सच बोलते रहे.
मलिक के निधन पर नेताओं ने जताया शोक
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,”पूर्व राज्यपाल व किसान हितैषी नेता, सत्यपाल मलिक के निधन का समाचार बेहद दुखद है. वे बेबाकी और निडरता से सत्ता को सच्चाई का आईना दिखाते रहे. शोकाकुल परिवारजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं.”
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी के निधन की ख़बर सुनकर बेहद दुख हुआ. मैं उन्हें हमेशा एक ऐसे इंसान के रूप में याद करूंगा, जो आख़िरी वक्त तक बिना डरे सच बोलते रहे और जनता के हितों की बात करते रहे. मैं उनके परिवारजनों, समर्थकों और शुभचिंतकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.”
कौन थे सत्पाल मलिक ?
- 25 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक जाट परिवार में सत्यपाल मलिक का जन्म हुआ. मेरठ से उन्होंने अपनी शिक्षा हासिल की. राजनीतिक सफर की बात करें तो सत्यपाल मलिक ऐसे राजनेता थे, जो मौका देख कांग्रेस, जनता दल और भाजपा की नाव पर सवार हुए.
- सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर 1965-66 में शुरू हुआ, जब वे डॉ. राममनोहर लोहिया की समाजवादी सोच से प्रभावित होकर सक्रिय राजनीति में कूद पड़े. वर्ष 1974 में उन्होंने भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत विधानसभा सीट से जीत हासिल की और विधानसभा में मुख्य सचेतक की भूमिका निभाई.
- 1980 में वे लोकदल के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे, लेकिन कुछ वर्षों बाद पार्टी बदलकर कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने 1986 में उन्हें राज्यसभा भेजा और प्रदेश कांग्रेस का महासचिव भी नियुक्त किया. मगर 1987 में बोफोर्स घोटाले से आहत होकर उन्होंने कांग्रेस और राज्यसभा, दोनों से इस्तीफा दे दिया और अपनी नई पार्टी ‘जन मोर्चा’ का गठन किया. बाद में यह पार्टी जनता दल में विलीन हो गई.
- 1989 में वे जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा सांसद बने. 2004 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और बागपत से चुनाव लड़ा. 2012 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद कुछ समय तक राजनीति से दूरी बनाई और फिर 2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया.
- 23 अगस्त 2018 को सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद की शपथ ली. इस दौरान उन्होंने भारत के संवैधानिक इतिहास में एक बड़ी भूमिका निभाई. 5 अगस्त 2019 को उनके कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया.
- बाद में वे गोवा और फिर मेघालय के राज्यपाल भी बने. अपने खुले विचारों और निर्भीक बयानों के चलते वे हमेशा सुर्खियों में रहे.