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नीले ग्रह के संरक्षण के लिए उत्साहपूर्ण सामूहिक हरित पहल
नीले ग्रह के संरक्षण के लिए उत्साहपूर्ण सामूहिक हरित पहल
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Published On: Wednesday, April 23, 2025
Last Updated On: Wednesday, April 23, 2025
वृक्षों को धरती और प्राणी जगत के लिए प्राण-वायु माना जाता है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण साल दर साल बढ़ता धरती का तापमान मानव सहित हर प्राणी के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. हालांकि इन सबके लिए मानव ही जिम्मेदार है, जिसने विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करके उसे भीषण नुकसान पहुंचाया है. इसका परिणाम यह है कि बढ़ती गर्मी के कारण समूचे प्राणी जगत का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. अच्छी बात यह है कि लोग भी इस चिंता को समझ रहे हैं. यही कारण है कि पर्यावरण संरक्षण और अधिक से अधिक पौधे लगाने व वृक्षों को संरक्षित करने के प्रति जागरूकता लगातार बढ़ रही है. लोग ऐसे अभियानों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं...
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Last Updated On: Wednesday, April 23, 2025
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) के अवसर पर गाज़ियाबाद (यूपी) के वैशाली क्षेत्र में प्रकृति के प्रति समर्पण और पर्यावरणीय चेतना का अनुपम उदाहरण देखने को मिला. स्थानीय निवासियों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने मिलकर एक उत्साही पौधारोपण अभियान में हिस्सा लिया, जिसमें हरियाली के प्रति प्रेम और पृथ्वी के संरक्षण का संदेश पूरे समुदाय में गूंज उठा.
सुबह की ताजगी से भरी हवाओं में आशा और संकल्प की सुगंध तैर रही थी जब चंद्रशेखर आज़ाद पार्क से लेकर चित्रगुप्त पार्क, सेक्टर-4 वैशाली (गाजियाबाद) तक नीम, अशोक, सहजन और अन्य देशी प्रजातियों के सैकड़ों पौधे स्नेहपूर्वक रोपे गए.
इस हरित पहल का नेतृत्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. प्रशांत सिन्हा ने किया, जिन्होंने पर्यावरणीय चेतना को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ते हुए प्रतिभागियों को वैदिक श्लोकों का संगीतमय उच्चारण कराया. इन श्लोकों ने प्रकृति और मानव जीवन के बीच के गहरे रिश्ते की अनुभूति कराई.
कार्यक्रम को सांस्कृतिक समृद्धि प्रदान करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बीरबल झा ने भारतीय परंपरा में प्रकृति के प्रति सम्मान और श्रद्धा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हम पेड़ केवल लगाते नहीं, उन्हें पूजते भी हैं। पीपल का वृक्ष, जो प्राकृतिक ऑक्सीजन का स्रोत है और तुलसी का पौधा, जो प्रत्येक भारतीय घर में पाया जाता है-ये केवल वनस्पति नहीं, हमारे परिवार के दिव्य सदस्य हैं।”
डॉ. झा ने मिथिला क्षेत्र की लोक परंपरा ‘जूड़ी शीतल’ का भी उल्लेख किया, जिसमें पेड़ों की जड़ों में जल अर्पित कर प्रकृति की आराधना की जाती है। उन्होंने कहा, “यह केवल एक पर्व नहीं, संतुलन के लिए की जाने वाली सामूहिक प्रार्थना है, जिसे अप्रैल माह में गर्मी शुरू होने के साथ पूरे उत्साह से मनाया जाता है।”
यह पौधारोपण कार्यक्रम एक सामुदायिक उत्सव का रूप ले चुका है। बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों की सहभागिता ने यह सिद्ध कर दिया कि जब लोग किसी पवित्र उद्देश्य से एकत्र होते हैं, तो हर लगाया गया पौधा आशा, विश्वास और भविष्य की समृद्धि का प्रतीक बन जाता है।
इस अवसर पर कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भी पौधारोपण कर प्रेरणादायक संदेश दिए। इनमें शामिल थे: अजीत ठाकुर, आनंद वर्मा, विशाल रस्तोगी, धनंजय चौरसिया, कैलाश उपाध्याय, भुवनेश्वर सिंह, प्रेस्टन जोहान्स, राजू चोपड़ा, संदीप खुराना, अशोक गोयल, राजीव गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता सुनील वैद्य, हरीश श्रीवास्तव, ए.के. गांगुली, वी.बी. सक्सेना, चार्टर्ड अकाउंटेंट पी.के. जिंदल, एवं प्रो. सुधीर सक्सेना।
जैसे ही अंतिम पौधा धरती से जुड़ा और श्लोकों की ध्वनि प्रातः कालीन वायु में विलीन हुई, एक स्पष्ट संदेश सबके मन में अंकित हो गया :
“हम आज जो पौधा लगाते हैं, वही कल के लिए हमारा वचन है’’.