अबकी बार 400 पार?

Authored By: Political Bureau, New Delhi

Published On: Sunday, April 14, 2024

Updated On: Thursday, June 20, 2024

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार के आम चुनाव में राजग के लिए 400 पार का नारा दिया है और सरकार के व्यापक विकास कार्यों के कारण इस संख्या को पार करने के प्रति वे आश्वस्त भी दिखते हैं। आइए जानते हैं, आखिर भाजपा कैसे पहुंचेगी चार सौ पार...

भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में 370 सीटें जीतने का बड़ा लक्ष्य रखा है, जो 2019 के परिणामों से 67 अधिक है। इससे उसे अपने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 400 का आंकड़ा पार करने के एक और बड़े लक्ष्य तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इस पार्टी ने लोकसभा की 543 सीटों में से 2014 में 282 और 2019 में 303 सीटों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में, 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बहुत ही मजबूत और बहुध्रुवीय रणनीति अपनाई है। पार्टी जहां एक ओर 10 वर्षों में देश में किए गए बहुस्तरीय विकास कार्यों और गरीबों के लिए लागू की गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के फायदों को लेकर चुनाव में इनका मुखर प्रचार कर रही है, वहीं सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए भी रणनीति बनाई है। इसके तहत भाजपा ने अपने संसदीय क्षेत्रों में विकास कार्यों एवं जनता के बीच सक्रियता में कमजोर पाए गए करीब 100 मौजूदा सांसदों को टिकट न देकर नए चेहरों पर दांव लगाया है। इसमें केंद्रीय मंत्री से लेकर कई दिग्गज माने जाने वाले बड़े नेताओं का भी टिकट कटा है। इसके साथ ही भाजपा ने लोगों तक सफलता से यह संदेश भी पहुंचाया है कि जनता का हित ही उसकी प्राथमिकता है। भाजपा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और विदेश तथा आर्थिक नीति की उपलब्धियों को लेकर मुखर प्रचार कर रही है जिसमें नीति आयोग की 25 करोड़ से अधिक गरीबों का गरीबी से मुक्ति पर विशेष जोर है। इसके साथ ही दक्षिण भारत के राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत करने पर भी भाजपा ने विशेष ध्यान रखा है। विभिन्न सांस्कृतिक विकास कार्यों और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ने भी दक्षिण भारतीय हिंदुओं के मन को भाजपा से जोड़ा है।

भाजपा ने चुनाव जीतने के लक्ष्य को केंद्रित करके विभिन्न समीकरणों पर पैनी नजर रखकर टिकटों का बंटवारा किया है। इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू पूर्व मुख्यमंत्रियों को उनके स्थापित कद को भुनाने के लिए लोकसभा चुनाव में उतारना है। मध्य प्रदेश और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्रियों क्रमश: शिवराज सिंह चौहान और मनोहर लाल खट्टर को उम्मीदवार बनाना इसी रणनीति का अंग है। पार्टी ने उन नेताओं को भी टिकट दिया है जो लंबे समय से राज्यसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और लोकसभा चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं। धर्मेंद्र प्रधान और भूपेन्द्र यादव जैसे केंद्रीय मंत्री रहे नेताओं को चुनाव मैदान में उतारना इसी रणनीति का हिस्सा है। इसके अलावा भाजपा ने कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों से आए लोगों जैसे नवीन जिंदल और अशोक तंवर जैसे नेताओं का भी स्वागत किया है, जिनका जनाधार चुनाव में परिणाम को पक्ष में करने में मददगार साबित होगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद भी भाजपा के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं। एक सोची-समझी रणनीति के साथ भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटी है और इसी को लक्ष्य करके चुनावी सफलता सुनिश्चित करने के लिए नए चेहरों के साथ-साथ स्थापित नेताओं को प्राथमिकता दे रही है। इस सधी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरी एनडीए अपने 400 पार के लक्ष्य तक पहुंचने में कितनी सफल होगी, यह तो चार जून को चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल की स्थितियां बिखरते इंडि अलाएंस के सामने भाजपा की मजबूती को बयां कर रही हैं।

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