25 जून हो गया अब संविधान हत्या दिवस (Constitution Assassination Day), क्या इशारा करते हैं नेताओं के बोल

25 जून हो गया अब संविधान हत्या दिवस (Constitution Assassination Day), क्या इशारा करते हैं नेताओं के बोल

Authored By: सतीश झा

Published On: Saturday, July 13, 2024

Updated On: Tuesday, August 27, 2024

25 June constitution assassination day
25 June constitution assassination day

देश में कई दिवस मनाया जा रहा है। अब एक नया दिवस की शुरुआत हो गई। केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। 25 जून को प्रत्येक वर्ष संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1975 में आपात काल लगाया था।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Tuesday, August 27, 2024

12 जुलाई की तारीख खास हो गयी।  भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ (Constitution Assassination Day) के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 में इंदिरा गाँधी और कांग्रेस सरकार के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। 25जून 1975 वह काला दिवस था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही मानसिकता ने संविधान में निहित लोकतंत्र की हत्या कर देश पर ‘आपातकाल’ (Emergency) थोपा था। केंद्र सरकार ने प्रत्येक वर्ष 25जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने जारी किया ये बयान

संविधान हत्या दिवस मनाए जाने की जानकारी देते हुए अमित शाह ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है- 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर सोशल मीडिया में पोस्ट लिखा और कहा- 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि उस दिन क्या हुआ था और भारत के संविधान को कैसे कुचला गया था। ये भारत के इतिहास में कांग्रेस द्वारा लाया गया एक काला दौर था।

प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने दी सहमति

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था, तब क्या हुआ था। यह प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।”

विपक्षी नेताओं के रहे ये बोल

कांग्रेस पार्टी ने सरकार के इस फैसले को एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद बताया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- यह नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की एक और सुर्खियां बटोरने वाली कवायद है, जिसने दस साल तक अघोषित आपातकाल लगाया था। उसके बाद भारत के लोगों ने उसे चार जून, 2024 को एक निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार दी, जिसे इतिहास में मोदी मुक्ति दिवस के रूप में जाना जाएगा।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “भाजपा के लोग लोकसभा चुनाव के परिणाम से बहुत परेशान हो गए हैं। अब उनको समझ नहीं आ रहा है कि हम कौन सा रास्ता ले, कौन सा हथियार इस्तेमाल करें जिससे INDIA गठबंधन की चीजों को रोक सकते हैं। वो अब बार-बार आपातकाल की बात कर रहे हैं। इन्होंने उस पर तमाम कार्यक्रम भी किए पर कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हुआ। कारण ये है कि इस वक्त सबसे खराब स्थिति में देश खड़ा है…”

राजद नेता मनोज झा ने कहा, “देखो कौन बोल रहे हैं ये बात?…उन्होंने संविधान को नष्ट कर दिया है…उन्हें अपने सामने एक दर्पण रखना चाहिए। कुछ साल पहले विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की घोषणा की गई थी, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं कर रहे हैं… भारत के लोग अब आपके ‘जुमलों’ में नहीं फंसेंगे…”

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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