Amla Navami 2024 : देवउठावनी एकादशी से दो दिन पहले अक्षय नवमी, करें विष्णु पूजा

Authored By: स्मिता

Published On: Saturday, November 2, 2024

Updated On: Saturday, November 2, 2024

amla navami 2024

आंवला नवमी या अक्षय नवमी 10 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह त्योहार देवोत्त्थान एकादशी से दो दिन पहले मनाया जाता है। मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी। यह छठ के बाद मनाया जाता है।

अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन धार्मिक कर्म करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस अवसर पर आंवला के वृक्ष के नीचे पूजा की जाती है। पेड़ के नीचे भोजन पकाकर खाया भी जाता है। इस अवसर पर दान-पुण्य का कार्य करने की महत्ता है।

आंवला नवमी या अक्षय नवमी 2024 (Amla Navami 2024)

दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान विष्णु की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है। इससे धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसे आंवला नवमी और अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य, घर में शांति, आर्थिक लाभ और अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। आंवला के पेड़ को एक पवित्र पेड़ माना जाता है। माना जाता है कि इसमें भगवान विष्णु का निवास होता है।

शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि (9 नवंबर 2024) को पूजा

पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 9 नवंबर 2024 को रात 10:45 बजे शुरू होगी और अगले दिन 10 नवंबर 2024 को रात 9:01 बजे समाप्त होगी।
अक्षय नवमी का समय सुबह 6:40 बजे – दोपहर 12:05 बजे तक रहेगा। यह अवधि 5 घंटे और 25 मिनट रहेगी।

आंवला वृक्ष के नीचे भोजन पकाना और खाना

जैसा कि ‘अक्षय’ नाम से पता चलता है, इस दिन किए गए किसी भी दान या भक्ति कार्य से अनंत फल मिलता है। मान्यता है कि आंवला नवमी से किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है। इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन पकाना और खाना विशेष रूप से सार्थक होता है। इससे उत्तम स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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पवित्र नदियों में स्नान

कार्तिक का पूरा महीना पवित्र नदियों में स्नान के लिए महत्वपूर्ण होता है। नवमी पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा भी की जाती है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति को वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। इस शुभ दिन पर भगवान कृष्ण अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए वृंदावन से मथुरा आए थे और यह वह दिन था जब सत्य युग शुरू हुआ था।

About the Author: स्मिता
धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का लंबा अनुभव। समसामयिक मुद्दों पर आम और ख़ास से बातचीत करना और उन्हें नए नजरिये के साथ प्रस्तुत करना यूएसपी है।

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