Deepawali 2024 : दीपावली पर गौमाता के गोबर से बन रहे दीये-अगरबत्ती, अयोध्या तक पहुंचेगी इसकी खुशबू
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, October 30, 2024
Updated On: Wednesday, October 30, 2024
अयोध्या कार्यालय से कई मठ-मंदिरों एवं घाटों में यहां निर्मित धूपबत्ती भेजी जाती हैं। इस बार अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव के लिए धूपबत्ती व दीये को भेजा जा चुका है। हाथों से बने दीपक भोलेनाथ की नगरी छोटी काशी कही जाने वाली गोला गोकर्णनाथ व लक्ष्मण नगरी लखनऊ में भी उजियारा बिखेरेंगे।
सीतापुर नगर के रहने वाले एवं पेशे से अधिवक्ता गोविन्द मिश्र पिछले दो वर्षों से लगातार गौ गोबर से निर्मित उत्पाद बनाने पर जोर दे रहे हैं। इन दिनों वे वकालत कार्य से निपटने के बाद सुबह-शाम दीये व मूर्ति बनाने के लिए पूरी तन्मयता से जुटे जाते हैं। बिना किसी लाभ के मिश्र दीये और मूर्तियों को अपनी लागत पर ही दूसरों को देने का कार्य कर रहें हैं। गोविन्द मिश्र गौसेवा गतिविधि से भी जुड़े हैं। अयोध्या सहित कई अन्य जनपदों में गौ उत्पाद से बनी धूपबत्ती भेजी जा रही है। श्री मिश्र गौ उत्पाद से निर्मित धूपबत्ती पिछले दो वर्ष से लगातार बनाने का काम कर रहें हैं। उनके द्वारा बनाई गई धूपबत्ती अयोध्या, लखनऊ, लखीमपुर, बाराबंकी, हरदोई एवं उन्नाव, कानपुर जनपद में भेजी जा रही हैं। वे कहते हैं कि माता सीता की नगरी सीतापुर में तैयार की गई यह हर्बल धूपबत्ती वातावरण सुगंधित करने का काम कर रही हैं। साथ ही इस धूपबत्ती के जलाने से प्रदूषण से भी लोग बचे रहते हैं। राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद से प्रत्येक माह उनके द्वारा बनाई धूपबत्ती अयोध्या भेजी जा रही है। शुरुआत में बहुत कम पैकेट जाते थे, परंतु अब मांग बढ़ी है, तो तकरीबन 250 पैकेट (Deepawali 2024) भेजे जा रहे हैं।
अयोध्या के घाटों को सुगन्धित बनाती है धूपबत्ती (Deepawali 2024)
अयोध्या कार्यालय से कई मठ-मंदिरों एवं घाटों में यहां निर्मित धूपबत्ती भेजी जाती हैं। इस बार अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव के लिए धूपबत्ती व दीये को भेजा जा चुका है। इसके अलावा गोविन्द मिश्र के हाथों से बने दीपक भोलेनाथ की नगरी छोटी काशी कही जाने वाली गोला गोकर्णनाथ व लक्ष्मण नगरी लखनऊ में भी उजियारा बिखेरेंगे। इन सभी उत्पादों को गाय के गोबरों, जड़ी-बूटियों से तैयार किया जा रहा है। श्री मिश्र दीपावली के चार दिन शेष रहने के बावजूद दीपक व धूपबत्ती बनाने का वृहद स्तर पर कार्य कर रहे हैं। दीपावली के दीयों को वह करीब दो माह पहले से तैयार करना शुरू करते हैं। अभी तक 10 हजार के आसपास दीये जनपद के अलावा अन्य जनपदों में बाहर भेज दिया गया है, जबकि करीब पांच हजार दीये की मांग सीतापुर में है।
#उत्तर_प्रदेश– #अयोध्या में ‘#दीपोत्सव‘ की तैयारी पूरी। #सरयू_नदी के किनारे राम की पैड़ी को लाखों मिट्टी के दीपक से सजाया गया है।#DiwaliCelebration #Deepavali2024 #Deepotsav2024 #DeepotsavAyodhya #Deepotsav #ayodhyarammandir pic.twitter.com/FY9svWcRs5
— Galgotias Times (@galgotiastimes) October 30, 2024
16 जड़ी-बूटियों से तैयार होती है धूपबत्ती (Herbal Dhoop batti)
मिश्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गौसेवा गतिविधि से जुड़ने पर ऐसा करने की प्रेरणा मिली। अखिल भारतीय गौ प्रशिक्षण प्रमुख राघवन से भी उन्होंने पांच बार गौ उत्पाद व गौ आधारित कृषि का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। वर्ष 2020 में गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार, महाराष्ट एवं 2022 में आनंद गुजरात में कामधेनु विश्वविद्यालय से गौ पालन व गौ संवर्धन का प्रशिक्षण लिया है। श्री मिश्र के अनुसार, अब मेरे द्वारा भी गौ उत्पादों से निर्मित वस्तुओं के प्रयोग एवं बढ़ावा देने के लिए कई अन्य लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस समय गतिविधि से जुड़े लोगों को वह प्रशिक्षित भी करते हैं। गाय के गोबर, घी, कपूर, लौंग, चंदन, आम की लकड़ी का बुरादा सहित अन्य 16 जड़ी-बूटियों से युक्त धूपबत्ती तैयार करते हैं। इसके अलावा गाय के गोबर, मुल्तानी मिट्टी से दीयों व गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति बनाते हैं। धूपबत्ती का एक पैकेट दस रुपये जबकि दो प्रकार के दीये बड़ा व छोटा बनाते हैं, जो दस व पांच रुपये के हैं।
दीपावली पर विशेष योजना (Deepawali 2024)
दीपावली में प्रत्येक घर में श्रीगणेश-माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना होती है। दीप मालिकाएं सजाई जाती हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए इस बार भी एक विशेष पैक भी तैयार किया है। इस पैक में गोबर से तैयार किए गए श्रीगणेश-माता लक्ष्मी की मूर्ति, 21 गोबर दिये, दो पैकेट धूपबत्ती व गिरिजा हैं। एक पैकेट करीब दो सौ रुपये का तैयार होता है। गौ उत्पाद से निर्मित दीप के टूटने का कोई खतरा नहीं होता है। दीपक में तेल-घी डालकर जलाने के बाद दीपक पूरी तरह से सुरक्षित रहता है।
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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