भावनात्मक स्वतंत्रता पाने के लिए अपने मन के स्वामी बनें : बीके शिवानी
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, August 11, 2025
Last Updated On: Monday, August 11, 2025
आध्यात्मिक गुरु ब्रह्माकुमारी शिवानी के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस बाह्य और आंतरिक स्वतंत्रता दोनों पर चिंतन करने का अवसर है. भारत अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता का उत्सव मनाता है, वहीं सच्ची स्वतंत्रता आंतरिक निर्भरताओं और बुराइयों पर विजय पाना है. भावनात्मक स्वतंत्रता पाने के लिए अपने मन के स्वामी बनें.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, August 11, 2025
Emotional Freedom by BK Shivani: आध्यात्मिक गुरु ब्रह्माकुमारी शिवानी बताती हैं कि स्वतंत्रता दिवस देश की स्वतंत्रता का जश्न मनाने का समय है. इसके साथ ही इस दिन अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का परीक्षण करने की भी कोशिश करें. भावनाओं, बाहरी विचारों या निर्भरताओं से नियंत्रित नहीं होने से सच्ची स्वतंत्रता आती है.
मन पर नियंत्रण
बुराइयों पर विजय पाने के लिए बीके शिवानी सुझाव देती हैं. सच्ची खुशी और आनंद का अनुभव करने के लिए नकारात्मक आदतों और बुराइयों के बंधन से खुद को मुक्त करना बेहद ज़रूरी है. व्यक्तियों को विचारों, प्रतिक्रियाओं या बाहरी कारकों से नियंत्रित होने के बजाय अपने मन के स्वामी बनने की कोशिश करें.
भावनात्मक स्वतंत्रता सच्ची स्वतंत्रता की कुंजी
बाहरी परिस्थितियों की बजाय भावनात्मक स्वतंत्रता सच्ची स्वतंत्रता की कुंजी है. हम सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक स्वतंत्रता की तलाश तो कर सकते हैं, लेकिन लोगों, परिस्थितियों और चीजों पर भावनात्मक निर्भरता सच्ची मुक्ति का अनुभव करने की हमारी क्षमता में बाधा डालती है. वास्तव में हम अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों के निर्माता स्वयं हैं. इसलिए हमारी भावनात्मक स्थिति अंततः हमारी जिम्मेदारी है. सच्ची स्वतंत्रता का स्वाद हम तभी चख सकते हैं जब हम भावनात्मक स्वतंत्रता पाएंगे.
त्याग दें अपेक्षा करना
सच्ची स्वतंत्रता भीतर से आती है. हम बाहरी परिस्थितियों की परवाह किए बिना परिस्थितियों पर स्थिरता और शांति से प्रतिक्रिया करने का विकल्प चुन सकते हैं. भावनात्मक स्वतंत्रता विकसित करने के लिए क्षमा का अभ्यास करना, अपेक्षाओं को त्यागना और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी शांति और स्थिरता के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए सचेत रहना जैसी व्यावहारिक गुणों को अपनाना होगा. व्यक्ति को अपनी निर्भरता, जैसे- मोबाइल फोन, सोशल मीडिया या विशिष्ट लोगों की पहचान कर उन पर निर्भरता कम करने की दिशा में सचेत रूप से काम करना होगा.
स्वतंत्रता और आंतरिक शांति का विकास
बी के शिवानी के अनुसार, हमारी भावनात्मक प्रतिक्रिया अक्सर बाहरी कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे कि दूसरे लोग हमारे साथ कैसा व्यवहार करते हैं या हमारे आस-पास क्या-क्या होता रहता है. ये सारी क्रियाएं भावनात्मक अशांति का एक चक्र बनाती हैं. आंतरिक स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक उपाय अपनाना जरूरी है. किसी स्थिति पर प्रतिक्रिया करने से पहले रुकना, वैकल्पिक प्रतिक्रियाओं की कल्पना करना और सीमित मान्यताओं को बदलना जरूरी है.
बाहरी कारकों से ध्यान हटाकर अपनी मनःस्थिति पर केंद्रित करें. अपने विचारों और भावनाओं पर नियंत्रण रखकर हम स्वतंत्रता और आंतरिक शांति की भावना विकसित कर सकते हैं. सच्ची स्वतंत्रता आत्म-जागरूकता, आत्म-नियंत्रण और आत्म-संप्रभुता से आती है. इसलिए भावनात्मक स्वतंत्रता पाने के लिए अपने मन के स्वामी बनें न कि मन के गुलाम.
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