Govardhan Puja or Annakut Puja 2024 : दो नवंबर को होगी गोवर्धन पूजा

Govardhan Puja or Annakut Puja 2024 : दो नवंबर को होगी गोवर्धन पूजा

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, October 23, 2024

Last Updated On: Wednesday, October 23, 2024

govardhan puja or annakut puja
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देव पंचांग का अनुसरण करने पर धनतेरस 30 अक्टूबर को मनाया जायेगा। 31 को नरक चतुर्दशी, एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा, दो नवंबर को गोवर्धन पूजा और तीन नवंबर को भाईदूज मनाना शुभ रहेगा। प्रदोष काल के अलावा अमावस्या भी पड़ रहा है, इसलिए एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा (Laxmi Puja 2024) करना शुभ है।

Authored By: स्मिता

Last Updated On: Wednesday, October 23, 2024

इस साल त्योहार मनाने की तिथियों को लेकर विद्वानों के अलग-अलग विचार सामने आ रहे हैं। अमावस्या की 2 तारीख सामने आने के कारण दिवाली के साथ-साथ गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर भी संशय है।विप्र विद्वत परिषद के अध्यक्ष पंडित अशोक शास्त्री के अनुसार, इस वर्ष अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दिन में तीन बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होकर एक नवंबर को शाम छह बजकर 17 मिनट तक रहेगी। इस वजह से इस साल एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा और दो नवंबर को गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja or Annakut Puja 2024) होगी।

धनतेरस 29 अक्टूबर को (Dhanteras 2024) 

कैलेंडर के अनुसार, धनतेरस 29 अक्टूबर और देव पंचांग के अनुसार धनतेरस 30 अक्टूबर को मनाना शुभ रहेगा। भक्तगणों के बीच लक्ष्मी पूजा को लेकर संशय की स्थिति है। इस संशय को विप्र विद्वत परिषद के पंड़ितों ने दूर कर स्पष्ट किया है। जानकारी के अनुसार, साल 2022 में 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण था। जिस कारण दीपावली के बाद एक दिन खाली रहा और फिर गोवर्धन पूजा संपन्न हुई थी। 24 अक्टूबर को एक दिन में ही नरक चौदस व दिवाली मनाई गई थी। पंडितों के अनुसार, 25 अक्टूबर की शाम को खंडग्रास सूर्यग्रहण की वजह से सूतक 12 घंटे पहले लग गया था।

31 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी, तीन को भाईदूज (Bhai Dooj or Narak Chaturdashi 2024)

विप्र विद्वत परिषद के अनुसार, देव पंचांग का अनुसरण करने पर धनतेरस 30 अक्टूबर को मनाया जायेगा। 31 को नरक चतुर्दशी, एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा, दो नवंबर को गोवर्धन पूजा और तीन नवंबर को भाईदूज मनाना शुभ रहेगा। प्रदोष काल के अलावा अमावस्या भी पड़ रहा है, इसलिए एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा (Laxmi Puja 2024) करना शुभ है। गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट (Annakut Puja 2024) के नाम से भी जाना जाता है। श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति समर्पित करने के लिए अन्नकूट यानी भोजन का पहाड़ भक्तगण तैयार करते हैं।

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा (Govardhan Puja or Annakut Puja 2024) 

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के पहले चंद्र दिवस पर दिवाली के चौथे दिन मनाया जाने वाला त्योहार है। यह शनिवार के दिन 2 नवंबर को मनाया जायेगा। भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में कृष्ण को कई तरह के शाकाहारी भोजन तैयार करके चढ़ाते हैं। कथा है कि गोकुल के सरल और निश्छल लोगों को इंद्रा के कोप से बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण कर लिया था। तभी से भगवान श्रीकृष्ण (Shree Krishna) और गोवर्धन पर्वत के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा प्रकट करने के लिए गोवर्धन पूजा की जाने लगी। अन्नकूट भगवान की रक्षा करने की शक्ति का प्रतीक है। यह सांसारिक या भौतिकवादी कारकों का प्रतीक नहीं है। इसे दुनिया भर के मंदिरों में सच्ची श्रद्धा, स्नेह और महिमा के साथ मनाया जाता है। इसे नूतन वर्ष और बेस्टु वर्ष के नाम से भी जाना जाता है।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
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