प्रेम आनंद और भक्ति के प्रतीक श्रीकृष्ण : साध्वी ऋतंभरा
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, August 13, 2025
Last Updated On: Wednesday, August 13, 2025
Janmashtami 2025: आध्यात्मिक गुरु साध्वी ऋतंभरा के अनुसार, श्रीकृष्ण प्रेम, आनंद और भक्ति के प्रतीक हैं. श्रीराधा के प्रति उनका प्रेम आध्यात्मिक अनुभूति की ओर ले जाता है. श्रीकृष्ण और श्रीराधा का नाम जप हर सांसारिक दुख से दूर ले जाता है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Wednesday, August 13, 2025
कृष्ण जन्माष्टमी को जन्माष्टमी और गोकुलाष्टमी के रूप में जाना जाता है. (Lord Krishna by Sadhvi Ritambhara) यह त्योहार विष्णुजी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनंदोत्सव के लिए मनाया जाता है. आध्यात्मिक गुरु साध्वी ऋतंभरा के अनुसार, श्रीकृष्ण प्रेम, आनंद और भक्ति के प्रतीक हैं. 16 अगस्त 2025 को जन्माष्टमी है.
श्रीविष्णु के पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण
आध्यात्मिक गुरु साध्वी ऋतंभरा श्रीकृष्ण को श्रीविष्णु जी का पूर्ण अवतार मानती हैं. उनके अनुसार, श्रीकृष्ण की पूजा परम शक्ति के रूप में करनी चाहिए. श्रीकृष्ण आदर्श व्यक्तित्व के स्वामी हैं, जो प्रेम, आनंद और भक्ति के प्रतीक हैं. अपने प्रवचन में साध्वी श्रीकृष्ण के जीवन आदर्शों, जैसे- कर्म योग, निष्ठा और प्रेम के महत्व पर जोर देती हैं.
राधा-कृष्ण का आध्यात्मिक प्रेम
श्रीकृष्ण के साथ राधा का प्रेम और भक्ति आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक है. उनके भक्तों को श्रीकृष्ण के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए. जब ह्रदय में परमात्मा का निवास हो,तो विचारों में शांति, वाणी में माधुर्य और कर्मों में पवित्रता अपने आप आ जाती है. उनपर भरोसा रखने पर विपत्ति के दिन बीत जाते हैं.
प्रेम और भक्ति की शक्ति
श्री कृष्ण की शिक्षा इस बात पर जोर देती है कि प्रेम और भक्ति आध्यात्मिक अनुभूति के परम मार्ग हैं. परम सत्ता से जुड़ने के साधन के रूप में निःस्वार्थ प्रेम, समर्पण और ईश्वर की सेवा महत्वपूर्ण हैं. ईश्वर भक्ति के माध्यम से व्यक्ति सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर दिव्य प्रेम का अनुभव कर सकता है.
परम सत्य है प्रेम
साध्वी ऋतंभरा के अनुसार, श्रीकृष्ण कह गए हैं कि प्रेम केवल एक भावना नहीं, बल्कि सृष्टि के मूल में स्थित परम सत्य है. यदि कोई भी व्यक्ति यदि कर्म करता है, तो उसके कर्मों को परिणाम की आसक्ति किए बिना करने के महत्व पर बल देना चाहिए. परिणाम की चिंता किए बिना श्रीकृष्ण के भक्तों को निःस्वार्थ सेवा और भक्ति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
निःस्वार्थ प्रेम की अनुभूति
श्री कृष्ण के प्रति अगाध प्रेम रखती थीं राधा. यह प्रेम निःस्वार्थ था. निःस्वार्थ प्रेम आध्यात्मिक अनुभूति का सबसे सीधा मार्ग है. यह अनुभूति व्यक्ति को ईश्वर को जानने में सक्षम बनाता है.
मुक्ति के मार्ग के रूप में भक्ति
भक्ति के माध्यम से निःशर्त प्रेम, समर्पण और निःस्वार्थ सेवा का विकास आध्यात्मिक मुक्ति और ईश्वर से मिलन की ओर ले जा सकता है. राधा और कृष्ण का संबंध हिंदू दर्शन में दिव्य प्रेम और भक्ति का एक सुंदर उदाहरण है. यह आत्मा की दिव्यता की लालसा के बारे में बताता है.
हरि नाम जप
श्रीकृष्ण का नाम जप, जैसे- ‘हरे कृष्ण’ उनके दिव्य प्रेम का अनुभव करने के लिए एक शक्तिशाली अभ्यास माना जाता है. यह जप हर तरह के सांसारिक दुखों से दूर ले जाता है.
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