Mahakumbh 2025 : अमृत नहीं साधारण स्नान कर रहे साधु-संत, क्या है अमृत स्नान और साधारण स्नान में अंतर

Mahakumbh 2025 : अमृत नहीं साधारण स्नान कर रहे साधु-संत, क्या है अमृत स्नान और साधारण स्नान में अंतर

Authored By: स्मिता

Published On: Wednesday, January 29, 2025

Mahakumbh 2025, difference between Amrit Snan and normal snan.

महाकुंभ मेले (Mahakumbh 2025) में मची भगदड़ के बाद अखाड़ों के साधु-संतों ने अमृत स्नान की बजाय साधारण स्नान करने का संकल्प लिया। इस आलेख में जानते हैं अमृत स्नान और साधारण स्नान में क्या अंतर है?

Authored By: स्मिता

Updated On: Wednesday, January 29, 2025

महाकुंभ मेले (Mahakumbh 2025) में संगम तट पर हुई भगदड़ के बाद 13 में से 10 अखाड़ों ने अमृत स्नान (Amrit Snan) के स्थान पर साधारण स्नान की घोषणा कर दी। 3 संन्यासी अखाड़ों ने स्नान से दूरी बनाने का निर्णय लिया। दुखी होकर संत समाज ने भी साधारण स्नान करने का निर्णय लिया। संत समाज ने श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने और अपने निकटवर्ती नदी में मौनी अमावस्या का स्नान करने की अपील की। जानते हैं साधारण स्नान और अमृत स्नान (Amrit Snan in Mahakumbh) में क्या है अंतर?

 

साधारण स्नान (Common Holy Dip)

महाकुंभ के अवसर पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाना आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि संगम के पवित्र जल में स्नान करने से शुभ आशीर्वाद मिलता है। साथ ही पूर्वजों की आत्मा को शांति और संतुष्टि भी मिलती है। धार्मिक और आध्यात्मिक उत्कर्ष के लिए यह पवित्र स्नान किया जाता है। स्वयं को ईश्वर से जोड़ने के लिए अखाड़े और साधु-संत राजयोगी और अमृत स्नान करते हैं। जब संत और साधु बिना किसी धार्मिक प्रदर्शन और विशिष्ट अनुष्ठान के नदी में डुबकी लगाते हैं, तो यह साधारण स्नान (Common Holy Dip) होता है।

राजयोगी स्नान या शाही स्नान (Rajyogi snan or Shahi snan)

सनातन परंपरा के अनुसार महत्वपूर्ण तिथि पर अखाड़ों के शंकराचार्य, साधु-सन्यासियों और उनके शिष्यों के स्नान को राजयोगी स्नान (Rajyogi snan) कहा जाता है। मान्यता है कि जो लोग त्रिवेणी संगम में राजयोगी स्नान के अवसर पर डुबकी लगाते हैं, उन्हें ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है। व्यक्ति में आंतरिक स्तर पर भी बदलाव आ सकता है। वे सकारात्मक कर्म की ओर अग्रसर होते हैं और उन्हें मोक्ष मिल सकता है। राजयोगी स्नान या अमृत स्नान को पहले शाही स्नान कहा जाता था। शाही स्नान शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1801 में पेशवाओं के शासनकाल के दौरान किया गया था। यह शब्द भारतीय संस्कृति पर मुगल प्रभाव को दर्शाता है। ‘शाही’ एक उर्दू शब्द है, जिसका अनुवाद राजसी होता है।

‘अमृत स्नान’

महाकुंभ मेले का सबसे भव्य और पवित्र अनुष्ठान है। यह दुनिया भर से लाखों तीर्थयात्रियों को त्रिवेणी संगम के तट पर स्नान करने के लिए प्रेरित करता है। अमृत स्नान का मुख्य आकर्षण 13 अखाड़ों के संतों और साधुओं -तपस्वियों का भव्य जुलूस है।

मौनी अमावस्या अमृत स्नान का महत्व (Mauni Amavasya Amrit Snan)

मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस वर्ष यह अवसर ‘त्रिवेणी योग (Triveni Yog)’ नामक एक दुर्लभ खगोलीय घटना के कारण आध्यात्मिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण है। यह हर 144 साल में एक बार होता है।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)

यह भी पढ़ें :- Saraswati Puja at Home : जानें घर पर कैसे करें सरस्वती पूजा स्टेप बाई स्टेप

About the Author: स्मिता
स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।
Leave A Comment

यह भी पढ़ें

Email marketing icon with envelope and graph symbolizing growth

news via inbox

समाचार जगत की हर खबर, सीधे आपके इनबॉक्स में - आज ही हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करें।

खास आकर्षण