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Sri Ramanujacharya Jayanti 2025 : महाकुंभ में मन रही रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी जयंती, 40 हजार लोटे से हो रहा जलाभिषेक
Sri Ramanujacharya Jayanti 2025 : महाकुंभ में मन रही रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी जयंती, 40 हजार लोटे से हो रहा जलाभिषेक
Authored By: स्मिता
Published On: Wednesday, January 22, 2025
Updated On: Wednesday, January 22, 2025
तीर्थराज प्रयाग की त्रिवेणी संगम पर श्री रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी जयंती मनाई जा रही है। हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इनकी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 2 मई (Sri Ramanujacharya Jayanti 2025) को है। 12 लाख कलश अभिषेक के साथ यह उत्सव मनाया जा रहा है।
Authored By: स्मिता
Updated On: Wednesday, January 22, 2025
तीर्थराज प्रयाग की त्रिवेणी संगम (Prayagraj Mahakumbh 2025) पर आध्यात्म का एक अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। भारतीय दर्शनशास्त्र के अध्येता और गुरु श्री रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी जयंती मनाई जा रही है। इसके लिए महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर नंबर 8 में एक विश्व प्रसिद्ध संत शिविर में 40 हजार लोटे से जलाभिषेक हो रहा है। यह जलाभिषेक श्री त्रिदंडी स्वामी के शिष्य श्री जियर स्वामी के शिविर में हो रहा है। इस अवसर पर 40 हजार लोटे से श्रद्धालु प्रतिदिन अभिषेक कर रहे हैं। उनकी सहस्त्राब्दी जयंती पर कुल 12 लाख कलश अभिषेक होना है। यह अभिषेक 12 फरवरी (Sri Ramanujacharya Jayanti 2025) को सम्पन्न होगा।
मर्यादा पुरुषोत्तम बनने के लिए संघर्ष जरूरी
श्री जियर स्वामी जी महाराज के अनुसार, यह रामानुजाचार्य जी का 1000वीं जयंती वर्ष चल रहा है। इस अवसर पर शिविर में प्रमुख आचार्यों की ओर से विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है। इसके लिए 40 हजार लोटे मंगाए गए हैं। इनमें जल भरकर श्रद्धालु श्रीरामानुजाचार्य जी के स्मृति में ‘श्रीरामानुजाय नम:’ के मंत्रोच्चार से अभिषेक कर रहे हैं। श्री जियर स्वामी जी महाराज के अनुसार, श्रीरामानुजाचार्य जी का जीवन श्रीराम की तरह संघर्षों से भरा था। श्री रामचंद्र को मर्यादा पुरुषोत्तम बनने के लिए वन-वन भटकना पड़ा। अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा तब वह श्री राम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बने। किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में कितनी भी बड़ी परेशानी आ जाए विचलित नहीं होना चाहिए। श्रीलक्ष्मी नारायण भगवान का ध्यान करना चाहिए। भगवान का ध्यान करने से बड़ा से बड़ा कष्ट समाप्त हो हो जाता है।
कौन थे श्री रामानुजाचार्य (Shree Ramanujacharya)
रामानुज, जिन्हें हम रामानुजाचार्य के नाम से भी जानते हैं। श्री रामानुजाचार्य एक हिंदू दार्शनिक, गुरु और समाज सुधारक थे। उन्हें हिंदू धर्म के भीतर श्री वैष्णववाद परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिपादकों में से एक माना जाता है। भक्ति आंदोलन के लिए उनके दार्शनिक आधार महत्वपूर्ण साबित हुए।
श्रीविष्णु और श्रीलक्ष्मी इष्टदेव (Shree Vishnu)
“श्री रामानुजाचार्य का जीवन” पुस्तक के अनुसार, बहुत अधिक तीर्थयात्रा करने के बाद रामानुज श्रीरंगम में बस गए। वहां उन्होंने मंदिर पूजा का आयोजन किया और भगवान विष्णु और श्रीलक्ष्मी के प्रति अपनी भक्ति के सिद्धांत का प्रसार करने के लिए केंद्रों की स्थापना की। श्री वैष्णव विष्णु को ब्रह्म के रूप में पहचानते हैं, जबकि कृष्ण-केंद्रित परंपरा परब्रह्म को कृष्ण के साथ जोड़ती है। रामानुजाचार्य के विचार के मुताबिक, ब्रह्म व्यक्तिगत है। वास्तव में वह सर्वोच्च व्यक्ति, निर्माता और भगवान है, जो आत्माओं को मोक्ष की ओर ले जाता है।
ब्रह्म सूत्र और श्री भाष्य के रचयिता (Braham Sutra)
“श्री रामानुजाचार्य का जीवन” पुस्तक के अनुसार, रामानुज वेदांत के विशिष्टाद्वैत संप्रदाय के मुख्य प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनके शिष्य संभवतः शतयायनीय उपनिषद जैसे ग्रंथों के लेखक थे। रामानुज ने स्वयं भी ब्रह्म सूत्र, श्री भाष्य और भगवद गीता पर संस्कृत भाष्य जैसे प्रभावशाली ग्रंथ लिखे हैं।
(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ)
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