श्रीरामलला मंदिर में रक्षाबंधन : मधुबनी शैली में तैयार रक्षा सूत्र बांधेंगे रामलला और उनके भाई

Authored By: स्मिता

Published On: Monday, August 4, 2025

Last Updated On: Monday, August 4, 2025

अयोध्या में रामलला को मधुबनी शैली में तैयार राखी बांधते हुए रक्षाबंधन उत्सव 2025 की झलक.
अयोध्या में रामलला को मधुबनी शैली में तैयार राखी बांधते हुए रक्षाबंधन उत्सव 2025 की झलक.

इस वर्ष अयोध्या के श्रीरामलला मंदिर में रक्षाबंधन विशिष्ट तरीके से मनाई जाएगी. मधुबनी शैली में तैयार की गई राखी श्रृंगी ऋषि आश्रम से रामलला और उनके भाइयों के लिए भेजी गई है.

Authored By: स्मिता

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अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का यह दूसरा वर्ष है. (Ram Lalla Raksha Bandhan 2025) यहां राम जन्म, राम सीता विवाह का विधि-विधान से आयोजन किया जा चुका है. अब बारी है रक्षाबंधन मनाने का. इस साल यहां रक्षाबंधन विशिष्ट रूप से मनाया जाएगा. राजा Ram के साथ-साथ माता सीता और तीनों भाई के लिए पहला रक्षा बंधन एतिहासिक होने जा रहा है.

कब है श्रीराम जन्मभूमि में रक्षाबंधन

श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त में श्रीराम जन्मभूमि में रक्षाबंधन मनाया जाएगा. यह तिथि 9 अगस्त और दिन रविवार है.
अयोध्या राम जन्मभूमि में भगवान राम सहित सभी विग्रहों को बहन शांता की ओर से श्रृंगी ऋषि आश्रम से भेजी गई राखियां बांधी जाएंगी. यह राखी मधुबनी शैली में जरी और मोतियों से तैयार की गई है. श्रीराम मंदिर के मुख्य पुजारी को श्रृंगी ऋषि आश्रम के पुजारी की ओर से ये राखियां समर्पित की जा रही हैं. पवित्र पुजारी के रूप में समर्पित किया जाएगा.

कहां है श्रृंगी ऋषि आश्रम

बिहार के मिथिला क्षेत्र के मधुबनी जिले के सिंगिया गांव स्थित है श्रृंगी ऋषि आश्रम. यह रामायण में वर्णन किए गए वैदिक ऋषि श्रृंगी से संबंधित एक प्राचीन आश्रम है. आश्रम परिसर में एक प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिर है, जिसे श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.

श्रीराम की बहन शांता

रामायण के अनुसार, भगवान राम के जन्म से पहले राजा दशरथ और रानी कौशल्या की एक पुत्री थी जिनका नाम शांता था. कहीं-कहीं यह भी उल्लेख मिलता है कि राम के जन्म से पहले शांता को अंगदेश के राजा रोमपद और रानी वर्शिनी को गोद दे दिया गया था. अंगदेश के राजा निःसंतान थे. श्रृंगी ऋषि से शांता का विवाह हुआ था.
शांता को समर्पित मंदिर विभिन्न स्थानों पर पाए जाते हैं, जैसे उत्तर प्रदेश में श्रृंगी नारी धाम और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बागा गांव. मधुबनी के श्रृंगी ऋषि आश्रम में भी उनका मंदिर है.

पुत्र कामेष्टि यज्ञ और शांता

स्थानीय लोग शांता के आश्रम को महत्वपूर्ण तीर्थस्थल मानते हैं. मान्यता है कि जो लोग विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करना चाहते हैं या संतान प्राप्ति चाहते हैं, वे यहां जरूर आयें. असल में देवी शांता ने पिता की इच्छापूर्ति के लिए श्रृंगी ऋषि से विवाह करना स्वीकार किया, क्योंकि यज्ञ के बाद शांता का ऋषि को अर्पित करना निश्चित किया गया था. ऋषि श्रृंगी ने राजा दशरथ की पुत्र कामना की पूर्ति के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया था. इसके परिणामस्वरूप भगवान राम और उनके भाइयों का जन्म हुआ. इसके बाद शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि से कर दिया गया.

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स्मिता धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोधपरक और प्रभावशाली पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव समसामयिक और जटिल विषयों को सरल और नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने में उनकी दक्षता को उजागर करता है। धर्म और आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और साहित्य के विविध पहलुओं को समझने और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में उन्होंने विशेषज्ञता हासिल की है। स्वास्थ्य, जीवनशैली, और समाज से जुड़े मुद्दों पर उनके लेख सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी गहराई से शोध पर आधारित होती है और पाठकों से सहजता से जुड़ने का अनोखा कौशल रखती है।


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