Kartik Month 2024: सुबह रूप चौदस शाम को दिवाली, करें महीने भर दीपदान

Authored By: स्मिता

Published On: Thursday, October 31, 2024

Updated On: Friday, November 1, 2024

diwali deepdaan celebration

यम के निमित्त दीपदान का अनुक्रम वैसे तो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर के कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक माना जाता है। जो निरंतर दीपदान नहीं कर सकते हैं, वे एकादशी से अमावस्या तक करें।

कल सुबह रूप चौदस और शाम को दिवाली मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य शैलेश शास्त्री के अनुसार, कार्तिक माह दीपदान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस माह में वैसे तो पूरे तीस दिन दीपदान का विधान है, लेकिन एकादशी से अमावस्या तक दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यम के निमित्त दीपक जलाने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हुआ जा सकता है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि से अमावस्या तक पांच पर्व विशेष माने जाते हैं। इनमें रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी, धन्वंतरि जयंती, धनतेरस, रूप चौदस और दीपावली महालक्ष्मी पूजन यह पांच प्रमुख त्योहार सामान्यत: 5 दिनों (Kartik Month 2024) के माने जाते हैं।

एकादशी से अमावस्या तक दीपदान (Kartik Month 2024)

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पंचांग का बड़ा महत्व है। 5 अंगों के अलग-अलग प्रकार के दिवस, नक्षत्र का योग का संयोग किसी विशेष संयोग की ओर संकेत करता है। निर्णय सिंधु की मान्यता के अनुसार देखें, तो यम के निमित्त दीपदान का अनुक्रम वैसे तो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर के कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक माना जाता है। जो निरंतर दीपदान नहीं कर सकते हैं, वे एकादशी से अमावस्या तक करें।

कार्तिक कृष्ण एकादशी- लक्ष्मी की साधना का आरंभ (Deepawali 2024) 

ज्योतिषाचार्य शैलेश शास्त्री के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। इस तिथि पर व्रत करने के साथ-साथ माता लक्ष्मी की विशिष्ट साधना का आरंभ किया जा सकता है, जो पांच दिवसीय निरंतर चलती है। शास्त्र में इस प्रकार से विधिवत पांच दिवसीय संकल्प साधना से आर्थिक प्रगति के द्वार खुलते हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी 28 अक्टूबर सोमवार को थी। तिथि परिवर्तन के चलते इसी दिन मध्याह्न में गोवत्स द्वादशी मनाई जाएगी। गोवत्स का पूजन किया जाएगा।

सुबह रूप चौदस, शाम को दिवाली (Roop Chaudas 2024)

पंचांग की गणना के अनुसार 31 अक्टूबर की सुबह रूप चौदस और शाम को दीपावली का पर्व काल रहेगा। रूप चौदस दिवाली से जुड़ा एक त्योहार है, जो दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस बार दिवाली वाले दिन सुबह रूप चौदस मनाया जायेगा। दिवाली रोशनी का भारतीय उत्सव है। ‘रूप चौदस’ में रूप सुंदरता का प्रतिनिधित्व करता है और चौदस 14 तारीख का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन महिलाएं सजती-संवरती हैं। कुछ पंचांगों में दीपावली एक नवंबर की तारीख को दर्शाई गई है, तो वह स्थान और गणित के अंतर से है। शास्त्रीय गणना से 31 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व काल मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा।

(हिन्दुस्थान समाचार के इनपुट के साथ) 

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About the Author: स्मिता
धर्म-अध्यात्म, संस्कृति-साहित्य और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का लंबा अनुभव। समसामयिक मुद्दों पर आम और ख़ास से बातचीत करना और उन्हें नए नजरिये के साथ प्रस्तुत करना यूएसपी है।

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