सच्ची आजादी का उत्सव : माता अमृतानंदमयी
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, August 11, 2025
Last Updated On: Monday, August 11, 2025
आध्यात्मिक गुरु माता अमृतानंदमयी के अनुसार, सच्ची आजादी सिर्फ भौतिक या बाह्य नहीं, बल्कि नकारात्मकता और आसक्तियों से मुक्ति की एक आंतरिक अवस्था है. सच्ची आजादी का अनुभव करने के लिए समता, सत्य व अहिंसा जैसे मूल्यों पर जीना होगा. सच्ची आजादी तब मिलती है जब कोई समाज की भलाई के लिए काम करता है.
Authored By: स्मिता
Last Updated On: Monday, August 11, 2025
True Freedom by Mata Amritanandamayi: आध्यात्मिक गुरु माता अमृतानंदमई बताती हैं किं स्वतंत्रता दिवस का जश्न कोई सस्ता, तलवारें लहराने वाला राष्ट्रवाद नहीं है. भारत और सनातन धर्म को अलग नहीं किया जा सकता है. इसलिए भारत का स्वतंत्रता दिवस वास्तव में राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है. इसकी धरती पर जन्म लेने वाले अनगिनत महात्माओं का उत्सव, धर्म, करुणा और अहिंसा के पालन का उत्सव और अपने जीवन को समस्त मानवता को समर्पित करने के आदर्श का यह उत्सव है. यह उस सत्य का उत्सव है, जो समस्त सृष्टि को एक करता है. अम्मा अमृतानंदमई ने बताया कि ध्वज की गेरुआ पट्टी त्याग के आदर्श का प्रतीक, तो उसकी सफेद पट्टी सत्य के मार्ग का प्रतीक है. उसकी हरी पट्टी जीवन का प्रतीक है.
पश्चिम में है आंतरिक खुशी का अभाव
अम्मा ने अपने 18 वर्षों के विश्व भ्रमण के दौरान पश्चिम में ऐसी कई चीजें देखी, जिन्हें भारत में वर्जित माना जाता है. पश्चिम में लोग अपने बालों का रंग बदलने की तरह अपनी पसंद को बदलने के लिए स्वतंत्र है. वे हर हफ्ते अपने प्रेमी या प्रेमिका को बदलने के लिए भी स्वतंत्र हैं. वे जब चाहें तलाक लेने के लिए स्वतंत्र हैं. लड़के लड़कों से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं. लड़कियां लड़कियों से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं. पुरुष महिला भी बन सकते हैं और महिलाएं पुरुष भी बन सकती हैं. उनके पास इतनी स्वतंत्रता है.” फिर भी वे खुश नहीं हैं.
अम्मा के अनुसार, हमें अपने भीतर आजादी का विकास करना होगा. तभी हम इस दुनिया को अंदर और बाहर से सुंदर बना सकते हैं. असली आजादी अंदर है. जीवन में सफल होने के लिए सभी परिस्थितियों में मन की शांति बनाए रखने की क्षमता जरूरी है. “स्वतंत्रता दिवस पर हम गांधीजी की स्तुति आकाश तक करते हैं, लेकिन सत्य और अहिंसा जैसे मूल्य, जिन्हें उन्होंने अपने प्राणों से भी ज्यादा प्रिय माना, हम लगभग हर क्षेत्र में उनकी उपेक्षा कर रहे हैं. वे इन आदर्शों की बात नहीं कर रहे थे, वे इन्हें जी रहे थे.
करुणामयी नजर से देखें
हर किसी की उस दुनिया के प्रति जिम्मेदारी है, जिसने हमें सहारा दिया और पाला है, जिससे हम अपनी वर्तमान स्थिति तक पहुंच पाए हैं. अम्मा के अनुसार, पृथ्वी हमारी मां है. प्रकृति हमारी मां है. हमें अपनी मां के प्रति अपने कर्तव्य को नहीं भूलना चाहिए. हमें अपने भाइयों और बहनों की पुकार पर ध्यान देना नहीं भूलना चाहिए. भले ही आप उन्हें पैसा या रोजगार न दे पाएं, लेकिन उन्हें एक मुस्कान, एक प्यार भरा शब्द और एक करुणामयी नजर जरूर दें. इससे आपका और उनका जीवन धन्य हो जाएगा. जीवन का मूल्य ‘हमने क्या दिया है’ निर्धारित करता है. अगर हम किसी दूसरे प्राणी का दुख दूर कर सकें—एक पल के लिए भी—तो हम धन्य हैं.
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