Lifestyle News
Vrindavan Holi 2025: बहुत अधिक उत्साह और भव्य तरीके से खेली जाती है वृंदावन में होली, यहां आने से पहले जानें 6 टिप्स
Vrindavan Holi 2025: बहुत अधिक उत्साह और भव्य तरीके से खेली जाती है वृंदावन में होली, यहां आने से पहले जानें 6 टिप्स
Authored By: स्मिता
Published On: Monday, March 3, 2025
Updated On: Monday, March 3, 2025
Vrindavan Holi 2025: कृष्ण और राधा की नगरी वृंदावन में होली रंगों, आनंद और अद्भुत उत्सवों से भरी होती है. यहां होली उत्सव 7 मार्च से 14 मार्च तक बहुत अधिक उत्साह और भव्य कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा.
Authored By: स्मिता
Updated On: Monday, March 3, 2025
ब्रजभूमि में होली की तैयारी एक महीने पहले से शुरू हो जाती है. यह पर्व यहां बहुत अधिक उत्साह, प्रेम और उल्लास के साथ मनाया जाता है. मधुर परंपराएं, अनुष्ठान और होली खेलने का अनूठा तरीका सभी के आकर्षण का केंद्र बन जाता है. खासकर फूलों से खेली जाने वाली होली और लट्ठ से खेली जाने वाली होली की चर्चा देश-विदेश में भी होती है. बरसाना नंदगांव और मथुरा के साथ वृंदावन में लोग पर्यटकों के स्वागत के साथ पूरे एक सप्ताह तक होली का जश्न (Vrindavan Holi 2025) मनाते हैं.
वृंदावन होली 2025 (Vrindavan Holi 2025)
वृंदावन में होली के बहुत से कार्यक्रम स्थानीय लोगों और पर्यटकों द्वारा देखे जाते हैं! भव्य समारोहों के कारण यह दुनिया भर में इतना लोकप्रिय हो गया है कि लोग विशेष रूप से वृंदावन में होली उत्सव देखने के लिए आते हैं. जानते हैं अलग -अलग दिन कौन-सी होली खेली जाएगी
- 7 मार्च (शुक्रवार), बरसाना – लड्डू होली
- 8 मार्च (शनिवार), बरसाना – लट्ठमार होली
- 9 मार्च (रविवार), नंदगांव – लट्ठमार होली
- 10 मार्च (सोमवार), वृंदावन – फूलों की होली
- 11 मार्च (मंगलवार), गोकुल – कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में उत्सव
- 13 मार्च (गुरुवार), वृंदावन – होलिका दहन
- 14 मार्च (शुक्रवार) – धुलंडी होली
कैसे खेली जाती है लड्डू होली (Laddu Holi in Vrindavan)
नृत्य के साथ हर जगह लड्डू फेंके जाते हैं. वृंदावन में लड्डू होली उत्सव में लड्डू फेंके जाते हैं और लोग इस उत्सव को बेहद मिठास के साथ मनाते हैं. एक-दूसरे पर लड्डू फेंक कर लोग उत्सव का आनंद लेते हैं. यह बरसाना में श्री राधा रानी मंदिर में विशेष रूप से आयोजित होता है.
बरसाना में लट्ठमार होली (Latthmar Holi 2025)
मज़ेदार उत्सव का जश्न, जिसमें स्त्रियां पुरुषों को लाठी से पीटने के लिए उनका पीछा करती हैं. वृंदावन में लट्ठमार होली के जश्न के साथ उत्सव की शुरुआत की जाती है. पुरुषों को स्त्रियों की लट्ठ से खुद को बचाने के लिए अपने सिर के ऊपर एक ढाल पकड़नी होती है.
कथा है कि कृष्ण गोपियों और राधा को चिढ़ाने आए थे, लेकिन वे लट्ठ लेकर बाहर आ गईं और मस्ती के साथ उनका पीछा कर उन्हें भगाने का उपक्रम किया.
वृंदावन और मथुरा में फूलों वाली होली (Flower Holi 2025 in Vrindavan)
वृंदावन में फूलों की होली में लोग भक्तों पर फूल फेंकते हैं. पुजारी भक्तों को आशीर्वाद के रूप में फूल फेंकते हैं. लोग समूहों में एक साथ आते हैं, नृत्य करते हैं और एक साथ जयकारे लगाते हैं. फूल और पंखुड़ियां एक-दूसरे पर फेंकते हैं. 20 मार्च को आयोजित होने वाला एक और बड़ा उत्सव मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में है. उत्सव, नृत्य और मंदिर के चारों ओर सबसे मधुर मंत्रोच्चार की आवाज़ें सुनाई देती हैं.
द्वारकाधीश मंदिर डोला और मथुरा विश्राम घाट, बांके बिहारी वृंदावन
मथुरा और वृंदावन में होली भगवान कृष्ण की किंवदंतियों से जुड़ा है. मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में उत्सव रंगों, भक्ति और सांस्कृतिक प्रदर्शनों का एक मंत्रमुग्ध करने वाला मिश्रण होता है. मंदिर में मंत्रोच्चार और भजनों की गूंज के साथ बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं, जबकि हवा में सुगन्धित गुलाल उड़ाया जाता है. डोला उत्सव में भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों को एक सुंदर सजी हुई पालकी पर रखा जाता है, जिसके साथ भक्त खुशी में गाते और नाचते हैं.
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में उत्सव
विश्राम घाट पर उत्सव पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है, जिसमें भक्त पवित्र यमुना नदी में रंग चढ़ाते हैं, जो शुद्धिकरण और दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है. सबसे प्रसिद्ध उत्सव वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली के दौरान होता है, जहां यह त्योहार बेमिसाल उत्साह के साथ मनाया जाता है. मंदिर के द्वार हज़ारों भक्तों के लिए खुलते हैं, जो रंगों में सराबोर हो जाते हैं. पुजारी उन पर फूलों की पंखुड़ियां और रंगीन पानी फेंकते हैं, जिससे राधा और कृष्ण की चंचल होली फिर से बन जाती है। पूरा शहर भक्ति के जीवंत कैनवास में बदल जाता है, जो उत्सव में भाग लेने वाले सभी लोगों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।
धुलंडी होली (Dhulandi Holi)
वृंदावन में यह होली उत्सव मुख्य रूप से विधवाओं के लिए होता है, जो पारंपरिक उत्सव को बेहद खुशी के साथ मनाने के लिए बाहर आती हैं. इन महिलाओं को समाज द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है. इसलिए उन्हें भी बाहर आकर इस उत्सव को मनाने का मौका दिया जाता है. सुलभ इंटरनेशनल ने यह सराहनीय पहल की, जिसकी शुरुआत 2013 में ही हुई। इसके अगले दिन होलिका दहन मनाया जाता है.
यदि आप वृंदावन में होली सेलिब्रेट करना चाहते हैं, तो ये टिप्स आपके लिए है (Tips for Vrindavan Holi)
- पहले से रहने के लिए स्थान बुक कर लें : होली के लिए गेस्टहाउस और होटल महीनों पहले से ही पूरी तरह से बुक हो जाते हैं. इसलिए अपने रहने के लिए स्थान पहले से बुक करना सबसे अच्छा है.
- उचित पोशाक पहनें : पुराने कपड़े पहनें, जिन्हें रंगने की आपको परवाह नहीं हो. सफ़ेद कपड़े सबसे अच्छे होते हैं, क्योंकि सुंदर सजीले रंग परिधान को आकर्षक बना देते हैं.
- अपनी त्वचा और बालों की सुरक्षा करें : अपनी त्वचा और बालों पर नारियल का तेल या सरसों का तेल लगा लें, ताकि रंग अवशोषित न हो.
- ज़रूरी सामान साथ रखें – एक छोटा बैग पैक करें, जिसमें अपना चेहरा ढकने के लिए कपड़ा, गोगल्स, जरूरी क्रीम और पानी की बोतलें हों.
- भीड़ से सावधान रहें – वृंदावन में होली एक शानदार अनुभव है, लेकिन इन दिनों यहां होली में भारी भीड़ होती है. भीड़ में कुछ भी दिक्कत हो सकती है. इसलिए अपने समूह के पास रहें और अनावश्यक जोखिम न लें.
स्थानीय लोगों के साथ विनम्र रहें – त्योहार मनाते समय यह कभी न भूलें कि यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधि है। ज़्यादा शराब नहीं पिएं या अस्वीकार्य व्यवहार न करें.