सुशासन बनाम कुशासन: बिहार की राजनीति में फिर गरमाई बहस

सुशासन बनाम कुशासन: बिहार की राजनीति में फिर गरमाई बहस

Authored By: सतीश झा

Published On: Monday, March 17, 2025

Updated On: Monday, March 17, 2025

बिहार की राजनीति में सुशासन बनाम कुशासन की बहस एक बार फिर तेज हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल को "कुशासन और जंगलराज" करार देते हुए कहा कि वर्ष 2000 से पहले का बिहार अराजकता और भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका था. उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके शासनकाल में राज्य ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है.

Authored By: सतीश झा

Updated On: Monday, March 17, 2025

Bihar Politics: बिहार विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान जब पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने राज्य में विकास कार्यों पर सवाल उठाया, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीखा पलटवार किया. राबड़ी देवी का कहना था कि बिहार में वास्तविक रूप से विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके दावे को खारिज करते हुए राजद शासनकाल पर तंज कसा और कहा कि उनकी सरकार के आने के बाद ही बिहार में वास्तविक विकास कार्य शुरू हुए.

बिहार में सुशासन बनाम कुशासन की यह बहस कोई नई नहीं है. नीतीश कुमार लंबे समय से लालू-राबड़ी शासनकाल को ‘जंगल राज’ करार देते रहे हैं, जबकि राजद इस आरोप को सिरे से खारिज करता आया है. इस बार विधान परिषद में यह बहस फिर तेज हो गई जब राबड़ी देवी ने सरकार पर सवाल उठाए. नीतीश कुमार ने सीधे तौर पर कहा कि 2000 से पहले के राजद शासन में कोई ठोस विकास कार्य नहीं हुआ था, जबकि उनकी सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और कानून-व्यवस्था में बड़े बदलाव किए.

नीतीश कुमार ने क्यों कहा 2000 से पहले था कुशासन?

नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) लंबे समय से यह तर्क देती आई है कि लालू यादव के 15 साल के शासन (1990-2005) में बिहार में अपराध, अपहरण और भ्रष्टाचार चरम पर था. नीतीश कुमार के अनुसार—

  1. कानून-व्यवस्था ध्वस्त थी और बिहार में अपहरण उद्योग जैसा चल रहा था.
  2. सड़कें जर्जर हालत में थीं, बिजली और पानी की गंभीर समस्या थी.
  3. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल थीं, उद्योग और रोजगार के अवसर नगण्य थे.
  4. “जंगलराज” शब्द पहली बार बिहार की राजनीति में चर्चा में आया, जब राज्य में प्रशासनिक कुप्रबंधन को लेकर सवाल उठने लगे.

राबड़ी देवी ने क्यों किया पलटवार?

पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अन्य नेता इस बयान पर भड़क गए हैं. उनका कहना है कि लालू-राबड़ी सरकार के कार्यकाल में भी विकास के काम हुए थे, लेकिन राजनीतिक साजिश के तहत उनकी छवि खराब की गई. राबड़ी देवी ने पलटवार करते हुए कहा—

  • अगर बिहार में पहले कोई विकास नहीं हुआ था, तो रेलवे में लालू यादव के कार्यकाल को क्यों सराहा गया?
  • गरीबों को राजनीतिक हिस्सेदारी दिलाने का काम लालू यादव ने ही किया, जिसके कारण उन्हें निशाना बनाया गया.
  • नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि पिछले 19 साल में बिहार में कितना रोजगार आया?
  • अगर लालू का शासन जंगलराज था, तो नीतीश कुमार क्यों बार-बार उन्हीं के साथ गठबंधन करते रहे?

आखिर किसकी सरकार बेहतर?

इस मुद्दे पर बिहार में राजनीति गरमा गई है. जहां जेडीयू और बीजेपी “सुशासन” की दुहाई दे रही हैं, वहीं राजद और महागठबंधन इसे एक राजनीतिक हथकंडा बता रहे हैं. सवाल यह भी उठता है कि अगर लालू का दौर इतना खराब था, तो 2022 में नीतीश ने फिर से राजद के साथ सरकार क्यों बनाई? क्या 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले इस बहस को फिर हवा दी जा रही है? बिहार की जनता के लिए असली मुद्दा क्या है—सुशासन बनाम कुशासन या रोजगार और बुनियादी सुविधाएं? बिहार की राजनीति में यह बहस अभी और तेज होने वाली है.

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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