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PK की ‘बिहार बदलाव यात्रा’: क्या 2025 में बदलेगा बिहार का राजनीतिक नक्शा
PK की ‘बिहार बदलाव यात्रा’: क्या 2025 में बदलेगा बिहार का राजनीतिक नक्शा
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, May 22, 2025
Last Updated On: Thursday, May 22, 2025
प्रशांत किशोर की 'बिहार बदलाव यात्रा' ने राज्य की राजनीति में नई हलचल जरूर पैदा की है, लेकिन इसकी असरकारिता पर सवाल उठ रहे हैं. 120 दिनों में 243 विधानसभा क्षेत्रों की यात्रा में ठहराव नहीं होगा, तो जनता से गहराई से संवाद कैसे संभव होगा? बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों, संगठन की ताकत और संसाधनों पर निर्भर करती है, जहां तीसरा विकल्प बन पाना कठिन है. हालांकि पीके का अनुभव और जनसंपर्क मजबूत है, पर राजनीति में स्थायी जनाधार बनाना बड़ी चुनौती है. पुष्पम प्रिया की तरह यह यात्रा भी सीमित प्रभाव वाली बनकर रह जाएगी या असल बदलाव का वाहक बनेगी — इसका फैसला जनता और 2025 के चुनाव नतीजे तय करेंगे.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Thursday, May 22, 2025
Prashant Kishor Jan Badlav Yatra: 120 दिनों में 243 विधानसभा की यात्रा आसान नहीं है. जब कोई एक विधानसभा में एक दिन भी नहीं रूकेगा, तो वह जनता से संवाद कैसे करेगा ? बिहार के लोग आराम से गप्प करते हैं और अंतिम क्षणों में अपना राजनीतिक निर्णय के रूप में वोट करते हैं. ऐसे में प्रशांत किशोर (PK) ने जो जन बदलाव यात्रा (Jan Badlav Yatra) की शुरुआत की है, वह जनता को अच्छे से मथ पाएगा, इसको लेकर सियासी जानकारों में आशंका है. भले ही इस यात्रा को मीडिया ने नोटिस में लिया हो, लेकिन जनता का मूड अभी कहना, आसान नहीं है.
जन बदलाव यात्रा ने बिहार की राजनीतिक बहस में मुद्दों को फिर से केंद्र में ला दिया है, यह एक सकारात्मक संकेत है. लेकिन क्या यह यात्रा सिर्फ संवाद तक सीमित रहेगी या नीति और शासन में बदलाव लाने वाली ताकत बन पाएगी — इसका जवाब भविष्य के चुनाव और जन समर्थन तय करेंगे.
जन सुराज पदयात्रा के जरिए बिहार का एक राउंड लगा चुके
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ‘मिशन 2025’ (Bihar Assembly Election 2025) को लेकर एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं. सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. इससे पहले दो अक्टूबर 2022 से जन सुराज पदयात्रा के जरिए वे लगभग दो साल बिहार का एक राउंड लगा चुके हैं. इस बार यात्रा का नाम ‘बिहार बदलाव यात्रा’ है. यात्रा की शुरुआत लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली सिताबदियारा से. हर दिन 2-3 विधानसभा क्षेत्रों में प्रशांत किशोर जाएंगे.
क्या पीके बन सकते हैं तीसरी ताकत?
बिहार की राजनीति पर पारंपरिक रूप से आरजेडी (RJD), जेडीयू (JDU) और बीजेपी (BJP) का दबदबा रहा है. ऐसे में PK की यात्रा को ‘तीसरे विकल्प’ के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, कई राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि ज़मीन पर संगठन की ताकत, जातिगत समीकरणों की समझ और संसाधनों की उपलब्धता अब भी बड़ी चुनौती हैं. हालांकि PK का अनुभव और नेटवर्क मजबूत है, लेकिन राजनीति में विश्वसनीयता और स्थायी जनाधार बनाना इतना आसान नहीं है. जनता पूछ रही है कि क्या यह यात्रा भी एक और राजनीतिक प्रयोग बनकर रह जाएगी या वाकई इससे कुछ बदलेगा?
क्या पुष्पम प्रिया वाला हाल तो नहीं होगा प्रशांत किशोर का
बिहार यात्रा के दौरान जब अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से बातचीत होती है, तो एक आशंका यह भी बलवती है कि कहीं PK की यह यात्रा कहीं पुष्पम प्रिया चौधरी (Pusham Priya Choudhary) की ‘द प्लुरल्स’ पार्टी की तरह सीमित प्रभाव वाली न बन जाए.
पुष्पम प्रिया चौधरी ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में ‘द प्लुरल्स’ पार्टी के माध्यम से एक नई राजनीतिक शुरुआत की थी. उनकी पार्टी ने व्यापक प्रचार किया, लेकिन चुनाव परिणामों में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली. अब, 2025 के चुनावों के मद्देनजर, वह गठबंधन की संभावनाओं पर विचार कर रही हैं, जिससे उनकी रणनीति में बदलाव के संकेत मिलते हैं. दूसरी ओर, प्रशांत किशोर ने ‘जन सुराज’ के माध्यम से बिहार में एक व्यापक जन आंदोलन की शुरुआत की है. उनका उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना नहीं, बल्कि राज्य में वास्तविक बदलाव लाना है. उन्होंने कोविड महामारी के दौरान सरकार की असंवेदनशीलता को अपनी राजनीतिक सक्रियता का प्रमुख कारण बताया है.