जम्मू-कश्मीर की घटना पर बिहार में उठा सियासी तूफान, हजरतबल का मामला बना गरम मुद्दा
Authored By: सतीश झा
Published On: Sunday, September 7, 2025
Updated On: Sunday, September 7, 2025
हजरतबल दरगाह शिलान्यास स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक को क्षतिग्रस्त करने का वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इस घटना को लेकर देशभर में विरोध दर्ज हो रहा है. अब यह मामला बिहार की राजनीति में भी गरमा गया है और एनडीए (NDA) व विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं. विपक्ष ने इसे धार्मिक आस्था और लोकतांत्रिक अधिकारों से छेड़छाड़ करार देते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Sunday, September 7, 2025
उन्होंने सवाल उठाया कि राष्ट्रीय चिह्न को लेकर विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है. “क्या राष्ट्रीय चिह्न अंदर था या बाहर? यह बाहर था. जहां भी सरकारी पैसा खर्च होता है, वहां संबंधित विभाग की अनुमति से राष्ट्रीय चिह्न लगाया जा सकता है और हर नागरिक के लिए उसका सम्मान करना अनिवार्य है.”
भाजपा सांसद ने भीड़ द्वारा किए गए हमले को कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की साजिश करार दिया. उन्होंने कहा, “इसे बदमाशों द्वारा तोड़ा जाना इस बात का सबूत है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस कश्मीर को बैकफुट पर लाने की साजिश रच रही हैं.”
सम्राट चौधरी ने उमर अब्दुल्ला को आड़े हाथों लिया
जम्मू-कश्मीर के हजरतबल दरगाह शिलान्यास स्थल पर राष्ट्रीय चिह्न क्षतिग्रस्त करने वाली भीड़ के वायरल वीडियो को लेकर बिहार में भी राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) ने इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (CM Omar Abdullah) के बयान को “शर्मनाक” करार दिया. सम्राट चौधरी ने कहा, “जिस तरह कांग्रेस पार्टी और महागठबंधन के नेताओं ने लगातार अपमानजनक बयान दिए—सबसे पहले प्रधानमंत्री की मां के खिलाफ अपशब्द बोले, फिर केरल कांग्रेस ने बिहार को ‘बीड़ी’ शब्द से संबोधित किया—आज कश्मीर में जो घटना हुई है, उससे कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों में गुस्सा है.”
उन्होंने आगे कहा कि उमर अब्दुल्ला का बयान भारत की अस्मिता पर सवाल खड़ा करता है. यह केवल कश्मीर का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश की अस्मिता और सम्मान से जुड़ा मुद्दा है. बिहार और देश की जनता सब कुछ देख रही है.
हजरतबल दरगाह पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को क्षतिग्रस्त किए जाने के वायरल वीडियो को लेकर सियासी बवंडर के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (CM Omar Abdullah) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों पर प्रतीक चिह्न लगाने की अनावश्यकता है. प्रतीक चिह्न सरकारी कार्यालयों में होते हैं, धार्मिक स्थलों में नहीं. हजरतबल दरगाह पर इसे लगाए जाने का कोई औचित्य नहीं था.
उमर अब्दुल्ला ने इस मामले में वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष आसिया अंद्राबी की आलोचना भी की. उन्होंने कहा, “लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना गलत था. इस घटना के लिए वक्फ बोर्ड को माफी मांगनी चाहिए थी.”
मुख्यमंत्री के इस बयान ने नए राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया. जहां विपक्षी दल इसे कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के रुख के अनुरूप बता रहे हैं, वहीं भाजपा और एनडीए नेताओं ने इसे भारत की अस्मिता पर सवाल खड़ा करने जैसा करार दिया है.
अशोक स्तंभ विवाद पर गिरिराज सिंह का पलटवार, कांग्रेस और तेजस्वी से मांगी माफ़ी
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने कांग्रेस और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर तीखा हमला बोला. गिरिराज सिंह ने कहा, “मैं कांग्रेस और तेजस्वी यादव से पूछना चाहता हूं कि आखिर बिहार का कितना अपमान करोगे, कितनी गालियां दोगे? गालियां देते-देते तो आपने प्रधानमंत्री की मां तक के लिए अपशब्द कहलवा दिए.”
उन्होंने आगे कहा कि अशोक स्तंभ सिर्फ़ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि उसमें भारत की भावना, संविधान की भावना और बाबा साहेब अंबेडकर की आत्मा जुड़ी हुई है. सिंह ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “आपने हाइड्रोजन बम कहा था लेकिन बीड़ी बम छोड़ दिया, यानी आप बिहारियों की तुलना बीड़ी से करेंगे?”
केंद्रीय मंत्री ने चेतावनी दी कि अगर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव सार्वजनिक रूप से माफ़ी नहीं मांगते और नेशनल कॉन्फ्रेंस से अपना गठबंधन जारी रखते हैं, तो उन्हें इसके गंभीर राजनीतिक परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
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