हेमंत सोरेन के केस में टिप्पणी करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार, क्या है पूरा मामला

हेमंत सोरेन के केस में टिप्पणी करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार, क्या है पूरा मामला

Authored By: सतीश झा

Published On: Monday, July 29, 2024

सुप्रीम कोर्ट के  न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का 28 जून का आदेश 'बहुत ही तर्कसंगत' था। पीठ ने कहा, 'हम विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन ने 31 जनवरी को ED द्वारा मामले में गिरफ्तार किए जाने से कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

Authored By: सतीश झा

Updated On: Monday, July 29, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ( Chief Minister Hemant Soren) को जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें हेमंत सोरेन को जमानत देने का आदेश दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को मान्यता देता है, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी गई थी। यह निर्णय अदालत के उस आदेश को यथावत रखता है और इसमें किसी प्रकार की कोई नई दिशा-निर्देश नहीं जोड़ता है। इसके परिणामस्वरूप, हेमंत सोरेन इस समय जमानत पर हैं और मामले की आगामी कानूनी प्रक्रिया का सामना करेंगे।

क्या है मामला

यह मामला झारखंड में भूमि घोटाले से जुड़ा है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। इसमें आरोप है कि अनियमितताओं के माध्यम से भूमि सौदों में भ्रष्टाचार हुआ है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों के चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा किया गया था।

सीएम हेमंत सोरेन ने कहा, न्यायालय है सर्वोपरि

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, “सोरेन परिवार पर बहुत तरीके से लांछन लगे और मेरा कीमती समय भी इन लोगों ने जाया किया… न्यायालय सर्वोपरि है। यहां अंधकार नहीं होता। लेकिन कुछ समूह ऐसे हैं जो न्यायालय के समय को बर्बाद करते हैं और बेवजह समाज में काम करने वाले लोगों की आवाज़ को बंद करने का प्रयास कर रहे हैं, अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। आज न्यायालय के आदेश से ये बाद साबित हो गया।”

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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