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UP में BJP के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा, मिशन 2027 के लिए बड़ी रणनीति
UP में BJP के नए जिलाध्यक्षों की घोषणा, मिशन 2027 के लिए बड़ी रणनीति
Authored By: सतीश झा
Published On: Monday, March 17, 2025
Updated On: Monday, March 17, 2025
मिशन 2027 को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन ने अपने 70 नए जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी है. इसमें 25 लोगों पर एक बार फिर जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी को बरकरार रखा गया है. 70 जिला अध्यक्षों के नामों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि तमाम समीकरणों और क्षेत्रीय मुद्दों को ध्यान में रखकर भाजपा ने अपने नए जिलाध्यक्षों की घोषणा की है. साथ ही युवा जोश और अनुभव का बेहतर समन्वय रखा गया है.
Authored By: सतीश झा
Updated On: Monday, March 17, 2025
BJP Mission UP 2027: BJP के इस कदम से न केवल जमीनी स्तर पर संगठन को धार मिलेगी, बल्कि लोकसभा चुनाव 2024 के प्रदर्शन को देखते हुए मिशन 2027 के लिए मजबूत नींव भी तैयार की जा रही है. पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया है. कमजोर क्षेत्रों में नए नेतृत्व को लाकर संगठन को मजबूत करने की कोशिश की गई है, जबकि जीत दर्ज करने वाले क्षेत्रों में पुराने चेहरों को बरकरार रखा गया है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रविवार को उत्तर प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव करते हुए 70 जिला और महानगर अध्यक्षों की घोषणा कर दी है. प्रदेश संगठन में 98 जिले हैं. बाकी जिलों के लिए अभी मंथन जारी है. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवनियुक्त जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों को शुभकामनाएं देते हुए पार्टी संगठन को मजबूत करने का आह्वान किया. पार्टी सूत्रों के अनुसार, शेष जिलों के अध्यक्षों की घोषणा जल्द की जाएगी.
2027 के चुनावी रण के लिए बिछी बिसात
इन बदलावों से BJP का स्पष्ट संदेश है कि वह 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को और धारदार बनाना चाहती है. पार्टी का फोकस युवा नेतृत्व, पिछड़ा वर्ग, दलित समुदाय और जातीय समीकरणों पर है, जिससे 2027 में फिर से सत्ता में वापसी की राह मजबूत हो सके. 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए BJP ने संगठन में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और सामान्य वर्ग के बीच संतुलन बनाए रखने की रणनीति अपनाई है. पार्टी द्वारा घोषित 70 नए जिलाध्यक्षों की सूची में OBC वर्ग से 25 (35.71%), सामान्य वर्ग से 39 (55.71%), और अनुसूचित जाति से 6 (8.57%) जिलाध्यक्ष शामिल किए गए हैं. प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने जानकारी दी कि जनवरी के दूसरे सप्ताह में जिला स्तर पर नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई थी. विभिन्न चरणों में विचार-विमर्श के बाद रविवार को 98 संगठनात्मक जिलों में से 70 जिलों और महानगरों के अध्यक्षों की घोषणा की गई.
जातिगत समीकरण पर फोकस
इन 70 जिलाध्यक्षों में 25 ओबीसी, 6 अनुसूचित जाति और 39 सामान्य वर्ग के नेता शामिल हैं. इनमें 19 ब्राह्मण नेताओं को जगह मिली है. इसके अलावा, 26 भाजपा नेता दोबारा जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं. भाजपा प्रदेश संगठन में कुल 98 जिले होते हैं, जिनमें 75 जिले और 13 महानगर शामिल हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए 50 जिलों में अध्यक्षों का निर्वाचन आवश्यक होता है, जिससे प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ हो जाएगा. नई सूची में 6 महिला जिलाध्यक्षों को भी स्थान दिया गया है. इनमें कानपुर देहात से रेणुका सचान, मैनपुरी से ममता लोधी, संतकबीरनगर से नीतू सिंह, प्रयागराज गंगापार से पूर्व एमएलसी निर्मला पासवान और शाहजहांपुर महानगर से शिल्पी गुप्ता को जिला अध्यक्ष बनाया गया है. महिला नेतृत्व को बढ़ावा देते हुए भाजपा ने राजनीतिक संतुलन साधने के साथ-साथ संगठन को मजबूत करने की दिशा में यह कदम उठाया है.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश में भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा पर कहा कि भाजपा में संगठन पर्व के तहत जारी प्रक्रिया का अब निष्कर्ष निकला है. लंबे चिंतन और मंथन के बाद करीब 70 संगठनात्मक जनपदों के जिलाध्यक्षों की घोषणा की गई है. उन्होंने कहा कि इन्हीं नेताओं के नेतृत्व में भाजपा 2027 में 2017 की सफलता दोहराएगी, कमल खिलेगा और पार्टी लगातार तीसरी बार प्रदेश में सरकार बनाएगी.
जिला अध्यक्ष के बाद अब सबकी नजर प्रदेश अध्यक्ष पर
उत्तर प्रदेश भाजपा में जिला अध्यक्षों की घोषणा के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस दौड़ में विद्यासागर सोनकर, एसपी सिंह बघेल सहित कई नाम सामने आ रहे हैं. अब सवाल यह है कि क्षत्रिय समाज से सीएम, ओबीसी और ब्राह्मण समाज के डिप्टी सीएम के बाद क्या BJP 2027 विधानसभा चुनाव से पहले दलित नेता पर दांव खेलेगी? वर्तमान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पश्चिम यूपी से आते हैं, जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ का कनेक्शन पूर्वांचल (गोरखपुर) से है. ऐसे में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती होगा.