क्या है एनआरसी (NRC), झारखंड की सियासत में क्यों बार-बार लिया जा रहा है इसका नाम

क्या है एनआरसी (NRC), झारखंड की सियासत में क्यों बार-बार लिया जा रहा है इसका नाम

Authored By: सतीश झा

Published On: Monday, October 7, 2024

union agriculture minister shivraj chauhan
union agriculture minister shivraj chauhan

झारखंड में इसी साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होना है। बीते कुछ महीनों से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का लगातार पूरे राज्य में दौरा हो रहा है। इन दौरों के दौरान ये नेता झारखंड में एनआरसी और नागरिकता के रजिस्टर बनाने की बात कर रहे हैं।

एनआरसी (National Register of Citizens) या राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर भारत की नागरिकों की एक आधिकारिक सूची है, जिसका उद्देश्य यह पहचान करना है कि कौन लोग भारतीय नागरिक हैं और कौन नहीं। एनआरसी का मुख्य उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान करना और उन्हें सूची से बाहर करना है। इसे भारतीय नागरिकता कानून और नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत लागू किया गया है।

एनआरसी (NRC) का इतिहास और प्रक्रिया

पहली बार एनआरसी का लागू होना: एनआरसी सबसे पहले 1951 में असम राज्य में लागू हुआ था, जब 1951 की जनगणना के बाद एक नागरिकों की सूची तैयार की गई थी।
असम में एनआरसी अपडेट: 1980 के दशक में असम में अवैध प्रवासियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद, 1985 में असम समझौता (Assam Accord) हुआ, जिसके तहत असम में अवैध रूप से बसे लोगों की पहचान करने का निर्णय लिया गया। इस समझौते के अनुसार, 24 मार्च 1971 से पहले जो लोग असम में रह रहे थे, उन्हें भारतीय नागरिक माना गया, और इसके बाद आने वालों को अवैध प्रवासी माना गया।
2013-2019 में असम एनआरसी अपडेट: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर, असम में एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हुई, और 31 अगस्त 2019 को असम एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई।

एनआरसी का उद्देश्य

एनआरसी का मुख्य उद्देश्य अवैध प्रवासियों को पहचानकर भारत के नागरिकों को स्पष्ट रूप से अलग करना है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गए हैं और बसे हुए हैं, जैसे कि असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्य।

झारखंड में इसी साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होना है। बीते कुछ महीनों से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का लगातार पूरे राज्य में दौरा हो रहा है। इन दौरों के दौरान ये नेता झारखंड में एनआरसी और नागरिकता के रजिस्टर बनाने की बात कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कही है नागरिकता का रजिस्टर बनाने की बात

केंद्रीय कृषि मंत्री और झारखंड के भाजपा प्रभारी शिवराज चौहान (Shivraj Chauhan) ने कहा कि झारखंड में एनआरसी लागू किया जाएगा। नागरिकता का रजिस्टर बनेगा। विदेशी घुसपैठियों को बाहर निकाला जाएगा। झारखंड में भाजपा का विस्तृत संकल्प पत्र जल्द आने वाला है।

झारखंड को बचाने का है चुनाव : शिवराज सिंह चौहान

झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सोमवार को मीडिया से बातचीत में भाजपा झारखंड प्रभारी शिवराज चौहान ने कहा कि यह चुनाव केवल मुख्यमंत्री बनाने या किसी पार्टी की सत्ता के लिए नहीं है, यह झारखंड को बचाने का चुनाव है। बेटी, माटी और रोटी इन तीनों की रक्षा करना हमारा संकल्प है।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण झारखंड की डेमोग्राफी परिवर्तित हो रही है। संथाल परगना में आदिवासी आबादी 44 प्रतिशत से घटकर 28 प्रतिशत रह गई है। बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण हिंदू आबादी भी प्रभावित हुई है।

घुसपैठियों को संरक्षण दे रही है सरकार

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि वोट बैंक के लालच में हेमंत सोरेन और गठबंधन सरकार घुसपैठियों को संरक्षण दे रही है। घुसपैठियों के आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड बनाए जा रहे हैं, यह देश के लिए बड़ा खतरा है। आदिवासी बेटियों को भ्रम के जाल में फंसा कर उनसे शादी कर जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है।

एनआरसी और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)

एनआरसी और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का आपस में एक गहरा संबंध है। CAA के तहत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, बशर्ते वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए हों। लेकिन, इसमें मुस्लिम प्रवासियों को शामिल नहीं किया गया है। इसे लेकर भी व्यापक स्तर पर चर्चा और विरोध हुआ है।

एनआरसी के लिए आवश्यक दस्तावेज़

यदि एनआरसी (NRC) पूरे देश में लागू होता है, तो नागरिकों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे। इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • जन्म प्रमाण पत्र
  • वोटर आईडी कार्ड
  • आधार कार्ड
  • भूमि और संपत्ति के दस्तावेज़
  • शिक्षा से संबंधित दस्तावेज़
  • या कोई अन्य सरकारी दस्तावेज़ जो यह प्रमाणित कर सके कि व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्य भारत में एक निर्दिष्ट तारीख से पहले रह रहे हैं।

(हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इनपुट के साथ)

About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है

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