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आंखों में जलन, एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ा रही जहरीली हवा
आंखों में जलन, एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ा रही जहरीली हवा
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Published On: Friday, November 29, 2024
Updated On: Friday, November 29, 2024
इन दिनों दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई शहर प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं। दिल्ली में ग्रेप-4 लागू है, जिसके तहत निर्माण कार्यों सहित बीएस 4 और उससे नीचे के डीजल वाहनों के संचालन पर रोक है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लिया है और फिलहाल ग्रेप 4 में कोई छूट देने से इंकार कर दिया है। प्रदूषण का हमारे फेफड़ों के अलावा आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं आंखों के लिए कितना हानिकारक है प्रदूषण और इससे किस तरह बचाव किया जा सकता है...
Authored By: अरुण श्रीवास्तव
Updated On: Friday, November 29, 2024
हाइलाइट्स
- हवा में मौजूद धूल, धुआं, रासायनिक कण, और प्रदूषक गैसें आंखों के नाजुक ऊतकों को कर रही प्रभावित
- वायु में मौजूद सूक्ष्म कण (पीएम 2.5 और पीएम 10) आंखों के संपर्क में आकर जलन और खुजली उत्पन्न करते हैं।
- सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2), और कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) जैसे गैसें आंखों की सतह को नुकसान पहुंचाती हैं।
- वाहनों से निकलने वाला धुआं और सर्दियों में बनने वाला स्मॉग आंखों में जलन और धुंधला दिखने का कारण बनता है।
वायु प्रदूषण का असर केवल हमारे श्वसन तंत्र तक सीमित नहीं है। यह आंखों पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। बढ़ते प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, लालिमा और सूजन जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। हवा में मौजूद धूल, धुआं, रासायनिक कण और प्रदूषक गैसें आँखों के नाजुक ऊतकों को प्रभावित करती हैं।
वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने आंखों की समस्याओं को गंभीर बना दिया है। इससे बचने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। सरकार को प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए, वहीं हमें भी अपनी आंखों की देखभाल और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होना चाहिए। स्वस्थ आंखों के लिए स्वच्छ हवा आवश्यक है, और इसे बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। वायु में मौजूद सूक्ष्म कण (पीएम 2.5 और पीएम 10) आंखों के संपर्क में आकर जलन और खुजली उत्पन्न करते हैं। सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2), और कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) जैसे गैसें आँखों की सतह को नुकसान पहुंचाती हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआं और सर्दियों में बनने वाला स्मॉग आंखों में जलन और धुंधला दिखने का कारण बनता है।
प्रदूषण के कारण हवा में मौजूद पराग कण (पोलन) और अन्य एलर्जेन आंखों में एलर्जी को बढ़ा सकते हैं। प्रदूषण के कारण आंखों में जलन होना सबसे आम समस्या है। आंखें लाल और सूजी हुई दिखाई देती हैं। प्रदूषण से आंखों में लगातार खुजली होती है और पानी बहने लगता है। आंखों की सतह पर नमी बनाए रखने वाली परत प्रभावित होती है, जिससे सूखापन बढ़ता है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से दृष्टि कमजोर हो सकती है।
राहत पाने के लिए क्या हैं उपाय
कृत्रिम आंसू (आर्टिफिशियल टीयर्स) सूखापन और जलन से राहत दिलाते हैं। एंटी-एलर्जिक आई ड्रॉप्स खुजली और लालिमा को कम करते हैं। यदि समस्या गंभीर हो, तो नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें। सही समय पर जांच और उपचार आंखों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। आंखों पर हल्के गर्म पानी की पट्टी रखने से आराम मिलता है। विटामिन ए, सी, और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ आँखों की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। बाहर निकलते समय आंखों को धूल और धुएं से बचाने के लिए गॉगल्स पहनें। दिन में दो-तीन बार साफ पानी से आंखें धोएं। एन95 मास्क का उपयोग करें, जिससे प्रदूषित हवा के सीधे संपर्क से बचा जा सके। घर में एयर प्यूरिफायर का उपयोग करें। खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें, खासकर जब वायु गुणवत्ता खराब हो।
कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आँखों की समस्याओं को और बढ़ा सकती है। यदि एक्यूआई खराब है, तो बाहर जाने से बचें। हर छह महीने में आंखों की जांच कराएं। गुलाब जल का उपयोग आँखों की जलन कम करने में सहायक होता है। ठंडे खीरे के टुकड़े आँखों पर रखने से सूजन में राहत मिलती है। धूम्रपान और धुएं वाले स्थानों से दूर रहें। बच्चों और बुजुर्गों की आँखों की विशेष देखभाल करें।
प्रदूषण से आंखों में होने वाली परेशानियों के लक्षणः
- आंखों में जलन
- लालिमा और सूजन
- खुजली और पानी आना
- सूखापन (ड्राई आई सिंड्रोम)
- धुंधला दिखना
- इलाज और उपचारः
- आई ड्रॉप्स का उपयोग
- डॉक्टरी परामर्श
- गर्म पानी की पट्टी
- आहार में सुधार
आंखों की देखभाल के लिए बचाव के उपायः
- गॉगल्स का उपयोग
- पानी से सफाई
- मास्क पहनें
- इनडोर सुरक्षा
- स्क्रीन टाइम कम करें
- एयर क्वालिटी इंडेक्स पर नजर रखें
- नेत्र विशेषज्ञ से नियमित जांच
(फेलिक्स अस्पताल, नोएडा की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपांजलि आर्या के इनपुट पर आधारित)