स्वामी विवेकानंद के सपनों को साकार करती मोदी सरकार

स्वामी विवेकानंद के सपनों को साकार करती मोदी सरकार

Authored By: Shiv Prakash

Published On: Monday, April 15, 2024

Last Updated On: Thursday, June 20, 2024

swami vivekananda ke sapno ko sakar karti modi sarkar
swami vivekananda ke sapno ko sakar karti modi sarkar

कोलकाता के संभ्रांत परिवार विश्वनाथ दत्त एवं भुवनेश्वरी देवी के परिवार में 12 जनवरी 1863 को एक बालक का जन्म हुआ। भगवान शिव की  तपस्या के बाद जन्मे इस बालक को बचपन में नाम मिला नरेंद्रनाथ दत्त। इस बालक को प्रेम से परिवार के सभी लोग नरेन के नाम से बुलाते थे। संन्यास दीक्षा [...]

Authored By: Shiv Prakash

Last Updated On: Thursday, June 20, 2024

कोलकाता के संभ्रांत परिवार विश्वनाथ दत्त एवं भुवनेश्वरी देवी के परिवार में 12 जनवरी 1863 को एक बालक का जन्म हुआ। भगवान शिव की  तपस्या के बाद जन्मे इस बालक को बचपन में नाम मिला नरेंद्रनाथ दत्त। इस बालक को प्रेम से परिवार के सभी लोग नरेन के नाम से बुलाते थे। संन्यास दीक्षा के बाद नरेन  स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमेरिका) में आयोजित कार्यक्रम के ऐतिहासिक भाषण से यह संत संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हो गया। स्वामी जी का यह भाषण हिंदु धर्म की विशेषताओं एवं मान्यताओं को विश्व भर में पुनर्प्रतिष्ठित करने में सफल हुआ।

गुलामी के कालखंड में स्वामी विवेकानंद ने भारतीय समाज में स्वाभिमान जगाने का कार्य किया। उनके इस प्रयास का परिणाम हुआ कि स्वतंत्रता के आंदोलन में सक्रिय सेनानियों की प्रेरणा के केंद्र स्वामी विवेकानंद बन गए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने जीवन की एक घटना का उल्लेख किया मैंने स्वामी विवेकानंद से शक्ति देने के लिए कहा ताकि मैं अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कर सकूँ।अस्पृश्यता निवारण, अशिक्षा को दूर करना, उद्योगों का विकास एवं महिला उत्थान जैसे अनेक विषयों पर उन्होंने भारत के विकास की नई दृष्टि दी, जो आज भी हमारे लिए प्रेरक मार्गदर्शन है। भोग-विलासिता एवं सांप्रदायिकता के संघर्ष में फंसे वैश्विक समुदाय को भी उन्होंने विश्व शांति का मार्ग दिखाया। स्वामी जी भक्ति के साथ भारत के आधुनिक विकास के अद्भुत संगम थे।

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के जीवन पर स्वामी विवेकानंद के विचारों की गहरी अमिट छाप दिखाई देती है। अपने विद्यार्थी काल में ही नरेंद्र मोदी रामकृष्ण मिशन (राजकोट) से जुड़ गए थे। राजकोट शाखा के तत्कालीन प्रमुख स्वामी आत्मस्थानंद जी से उन्होंने  संन्यास दीक्षा की इच्छा भी व्यक्त की थी। स्वामी आत्मास्थानंद जी ने ही उन्हें समाज के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी। यह प्रेरणा ही प्रधानमंत्री जी के लिए गरीब कल्याण एवं स्वाभिमानी समृद्ध भारत गढ़ने की प्रेरणा बन गई। रामकृष्ण मिशन के साथ उनका संबंध आज भी जीवंत बना है।

स्वामी विवेकानंद गुलामी की मानसिकता के संबंध में कहते हैं कि परतंत्रता रूपी इस अंधकार ने भारत के स्वाभिमान को ऐसा ग्रहण लगाया कि भारतवासी अपना आत्मविश्वास ही खो बैठे।आत्महीनता का परिणाम यह हुआ कि हमको हमारे महापुरुष, इतिहास, ज्ञान, कला  एवं संस्कृति सभी में दोष देखने की प्रवृत्ति एवं विदेशी नकल को आधुनिकता का पर्याय मान लिया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने भाषण में 15 अगस्त 2023 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत को विकसित भारत बनाने का संकल्प दोहराया। अमृत काल की इस बेला में उन्होंने प्रत्येक भारतीय को पंच प्रण का पालन करने का आग्रह किया। इसमें भारतीय समाज को सभी प्रकार की गुलामी छोड़ने का भी प्रण था। 22 जनवरी 2024 को श्रीराम मंदिर में भगवान श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा इसी स्वाभिमान को जगाने के अनेक प्रयासों में से एक है।

स्वामी विवेकानंद शिक्षा द्वारा मनुष्य की लौकिक एवं पारलौकिक दोनों प्रकार की उन्नति चाहते थे। उनकी इच्छा थी कि पाठ्यक्रम में आधुनिक विषयों के साथ-साथ स्वास्थ्य, राष्ट्र  सेवा जैसे विषय शामिल हों। नई शिक्षा नीति के माध्यम से सभी नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा एवं भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने का संकल्प स्वामी जी के विचारों का शिक्षा में प्रकट रूप है।

स्वामी विवेकानंद जी गरीबों की पीड़ा को देखकर बहुत व्यथित थे। अमेरिका के वैभव से भारत की गरीबी की तुलना करते हुए वह रात्रि भर रोते रहे। इसी पीड़ा को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि अब हमारा एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए कि ‘दरिद्र देवो भव’। स्वामी जी ने भारत की उन्नति का घोषणा पत्र ही जैसे लिखा हो, उन्होंने कहा, ‘इस देश को उठने दो गरीबों की झोपड़ी से, मल्लाह की नौकाओं से, लोहार की भट्ठियों से, किसानों के खेत-खलिहानों से, मोचियों की झोपड़ी से, गिरिकन्दराओं से, यह देश तो वहीं बसता है।’ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस घोषणा पत्र को साकार रूप देना प्रारंभ किया। समाज के अलग-अलग वर्ग के गरीबों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनेक योजनाएं प्रारंभ की।

स्वच्छता अभियान, उज्जवला  योजना, प्रत्येक गांव को विद्युत आपूर्ति के लिए उजाला योजना, आयुष्मान भारत, जल जीवन मिशन आदि अनेक योजनाएं गरीब उत्थान के लिए मील  का पत्थर साबित हुई। 4 करोड़ से अधिक परिवार को आवास देना, 1 करोड़ 36 लाख युवाओं के लिए कौशल विकास विभाग रोजगार उपलब्धि का माध्यम बना। 80 करोड़ लोगों को प्रतिमाह अन्न पहुंचाना, गरीब की रोटी की समस्या का समाधान है। गरीब की रोटी के विषय पर स्वामी विवेकानंद ने कहा था गरीब को पहले रोटी दो तब गीता सुनाओ क्योंकि उसकी आवश्यकता रोटी है।

समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हमारे छोटेझ्रछोटे शिल्पकार हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री जी ने भारत का निर्माण करने वाले विश्वकर्मा कहा है। इनमें बढई, लोहार, सोनार, सुतार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, धोबी आदि श्रेणी के लोग आते हैं। ऐसे वर्ग के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना  के माध्यम से 30 लाख परिवारों को लगभग 1.5 करोड़ लोगों को सहायता मिलेगी। देश में ठेला लगाकर एवं रेहड़ी-पट्टी के माध्यम से बेचने वाले वेंडर जैसे लघु उद्योगों के माध्यम से जीवन यापन करने वाले लोगों को प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के माध्यम से सहायता उपलब्ध कराकर उनके घर में रोशनी पहुंचने का कार्य किया है।

शिकागो धर्म सभा के अवसर पर स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में शिव महिमा स्त्रोत से एक मंत्र को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा था –

रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिल नानापथजुषां।

नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव।।

समस्त धर्मों में एक ही परमात्मा का दर्शन एवं सबका लक्ष्य एक ही गंतव्य है, यह भाव उन्होंने व्यक्त किया था। संपूर्ण विश्व में योग की प्रतिष्ठा, कोरोना में ‘जान भी जहान भी’ के आधार पर विश्व को सहायता, G-20 में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का आदर्श वाक्य यह स्वामी विवेकानंद जी द्वारा प्रस्तुत विचारों का प्रकटीकरण है। स्वामी विवेकानंद जी का यह आह्वान ‘उठो जागो और अपने लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको’ को नरेंद्र मोदी जी ने अपने जीवन का आदर्श मान लिया है। बिना रुके, बिना थके यह कर्मयोद्धा उत्तिष्ठत भारत के लक्ष्य प्राप्ति में लगा है। हम सभी भारतवासी स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने कदम-ताल मिलाए एवं अमृत काल में भारत को समृद्ध, सुरक्षित, गौरवयुक्त, स्वाभिमानी भारत बनाकर विश्व का तमस हटाने का संकल्प लें। स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस पर यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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About the Author: Shiv Prakash
राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, भारतीय जनता पार्टी
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