Bhagat Singh Quotes: क्रांति के अमर नायक भगत सिंह के प्रेरक विचार, नारे और बलिदान
Bhagat Singh Quotes: क्रांति के अमर नायक भगत सिंह के प्रेरक विचार, नारे और बलिदान
Authored By: Sharim Ansari
Published On: Wednesday, July 2, 2025
Updated On: Wednesday, July 2, 2025
Bhagat Singh - एक क्रांतिकारी, विचारक और जननायक, जिसने मात्र 23 साल की उम्र में देश की खातिर सर्वोच्च बलिदान दिया. भगत सिंह का प्रेरक नारा “इंक़लाब ज़िंदाबाद” और क्रांति पर उनके विचार हर पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हैं - असंतुलन, असमानता और अन्याय पर विजय पाने का साहस जगाकर. आइये देखते हैं उनके विचार और नारे…
Authored By: Sharim Ansari
Updated On: Wednesday, July 2, 2025

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भगत सिंह (Bhagat Singh) जैसा नाम हर दिल में जिंदा है — उन्होंने मात्र 23 साल की उम्र में देश की खातिर सर्वोच्च बलिदान दिया. 28 सितंबर 1907 को पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) के बंगा गांव में जनमे भगत सिंह एक देशभक्त सिख परिवार से थे, जहां उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह पहले ही क्रांति की नींव डाल चुके थे.
भगत सिंह सिर्फ़ एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्क़ि एक विचारक, लेखक और दार्शनिक भी थे. उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज में सुखदेव और राजगुरु जैसा साथ पाया, साथ ही 1928 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए जॉन सॉन्डर्स पर हमला किया. 8 अप्रैल 1929 को उन्होंने बटुकेश्वर दत्त के साथ केंद्रीय विधानसभा में बम भी फेंके.
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई, पर उनके विचार हर व्यक्ति की प्रेरणा बने हुए हैं.
भगत सिंह के प्रेरक विचार और नारे

देशभक्ति और क्रांति
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“इंक़लाब ज़िंदाबाद!”
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“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है.”
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“मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी.”
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“क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है. स्वतंत्रता सभी का एक कभी ना खत्म होने वाला जन्मसिद्ध अधिकार है.”
साहस, विश्वास और जज्बा
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“वे मुझे मार सकते हैं, पर मेरे विचार नहीं मार सकते. वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, पर मेरे जज्बे को नहीं.”
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“राख का हर एक कण हरकत में है — मैं इतना दीवाना हूं कि जेल में भी आज़ाद हूं.”
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“जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मैं कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता.”
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“जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दुसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं.”
विचार, सुधार और जनजागृति
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“मैं एक व्यक्ति हूं, और हर वही बात जिसका सम्बन्ध मानवता से है, मेरा सम्बन्ध भी उसी से है.”
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“कानून तभी पवित्र रहता है जब वह लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है.”
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“बम या पिस्तौल क्रांति नहीं लाते — क्रांति विचारों की धार से आती है.”
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“जो व्यक्ति विकास चाहता है, उसको हर रूढ़ि पर सवाल उठाना होगा, उसको चुनौती देनी होगा और नए विचार अपनाने होंगे.”
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“प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं.”
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“इस कदर वाकिफ़ है मेरी कलम मेरे जज़्बात से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूं, तो इंक़लाब ही लिखा जाएगा.”
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भगत सिंह का वैचारिक योगदान

भगत सिंह केवल एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि एक समाजवादी विचारक भी थे. उन्होंने मार्क्स, लेनिन और एंगल्स की रचनाओं का गहन अध्ययन किया था, साथ ही जेल में “मैं नास्तिक क्यों हूं?” जैसा महत्वपूर्ण निबंध लिखा. उनके अनुसार असली क्रांति तभी संभव है जब राजनीति के साथ साथ सामाजिक असंतुलन, असमानता, अंधविश्वास और गरीबी का भी अंत किया जाये — उनके विचार धर्मनिरपेक्षता, बराबरी और वैज्ञानिक सोच पर आधारित थे.
आज भी उनके विचार प्रेरणा देते हैं, विशेषकर भ्रष्टाचार, असमानता और अन्याय जैसा संकट होने पर. भगत सिंह का संदेश — “इंक़लाब ज़िंदाबाद” और “क्रांति विचारों की धार से आती है”— नए जनरेशन का मार्गदर्शन करता रहता है.
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