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क्या नब्बे के दशक में लौटेगा बिहार, RJD के ‘भूरा बाल’ साफ करो नारा पर हुआ बवाल
क्या नब्बे के दशक में लौटेगा बिहार, RJD के ‘भूरा बाल’ साफ करो नारा पर हुआ बवाल
Authored By: सतीश झा
Published On: Thursday, July 10, 2025
Last Updated On: Thursday, July 10, 2025
बिहार की राजनीति एक बार फिर 90 के दशक की जातीय विभाजन की गूंज से हिल गई है. गया जिले के अतरी में आयोजित राजद (RJD) विधायक रंजीत यादव की एक सभा में विवादित नारा 'भूरा बाल साफ करो' लगने के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है. यह वही नारा है जो 1990 के दशक में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के समर्थकों के बीच काफी चर्चित रहा और जिसे सवर्ण जातियों के खिलाफ एक रणनीतिक संदेश के रूप में देखा गया था.
Authored By: सतीश झा
Last Updated On: Thursday, July 10, 2025
Bihar Politics 1990: गया जिले के अतरी क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) विधायक रंजीत यादव की एक सभा के दौरान ‘भूरा बाल साफ करो’ जैसा विवादास्पद नारा गूंजने से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है. इस नारे का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और इसके सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में घमासान शुरू हो गया है.
सभा में विधायक रंजीत यादव मंच पर उपस्थित थे, उसी दौरान एक व्यक्ति ने मंच से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का हवाला देते हुए कहा, “लालू जी (Lalu Yadav) ने पहले ही कहा था भूरा बाल साफ करो, अब फिर वही समय आ गया है. ” इस कथन के बाद सभा में जोरदार तालियों की आवाजें सुनाई दीं, जो इस नारे को समर्थन मिलने का संकेत था.
वायरल वीडियो से बढ़ी राजनीतिक गर्मी
सभा के दौरान मंच पर मौजूद एक व्यक्ति बयान के बाद सभा में जोरदार तालियां बजने लगीं. वहीं मंच पर विधायक रंजीत यादव की मौजदूगी को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह बयान उनकी जानकारी और सहमति से दिया गया. नारा ‘भूरा बाल’ दरअसल बिहार की चार प्रभावशाली सवर्ण जातियों — भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला (कायस्थ) — के पहले अक्षरों से बना है. 90 के दशक में इसका इस्तेमाल इन जातियों के खिलाफ सत्ता संतुलन बदलने की रणनीति के तौर पर किया गया था. अब इस नारे के फिर से उठने से राजद की राजनीतिक मंशा पर सवाल उठने लगे हैं.
भाजपा-जदयू ने किया तीखा हमला
राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा (BJP) और सहयोगी जदयू (JDU) ने इस बयान की कड़ी आलोचना की है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जयसवाल ने कहा, “तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) A to Z की बात करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि राजद (RJD) अभी भी 90 के दशक की जातिवादी सोच से बाहर नहीं निकल पाया है.” JDU प्रवक्ता नीरज कुमार (Niraj Kumar) ने इसे सामाजिक सौहार्द के खिलाफ बताया और कहा, “इस तरह के नारे समाज को तोड़ने वाले हैं, न कि जोड़ने वाले.”
RJD ने दी सफाई
विवाद बढ़ने पर RJD ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा, “नारा लगाने वाला व्यक्ति मुनारिक यादव न तो पार्टी का सदस्य है और न ही कार्यकर्ता. यह साजिश भाजपा की है, जो जातीय उकसावे से माहौल बिगाड़ना चाहती है. ” RJD ने दोहराया कि वह A to Z की पार्टी है, जो सभी जातियों और समुदायों को साथ लेकर चलती है.
क्या फिर से जातीय ध्रुवीकरण की कोशिश?
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बयान ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में जातीय ध्रुवीकरण की बहस को हवा दे दी है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, राजद को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या पार्टी सच में बदली है या फिर वह पुराने फार्मूले पर ही वापस लौट रही है.