किरोड़ी लाल मीणा (Kirori Lal Meena): इस्तीफे से राजस्थान सरकार और भाजपा दोनों बेचैन

किरोड़ी लाल मीणा (Kirori Lal Meena): इस्तीफे से राजस्थान सरकार और भाजपा दोनों बेचैन

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Published On: Tuesday, July 9, 2024

kirori lal meena minister in rajasthan government

राजस्थान की भाजपा सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री (किरोड़ी लाल मीणा) का इस्तीफा पार्टी के लिए घातक हो सकता है। प्रदेश में 5 विधानसभा सीटों पर कभी भी उपचुनाव की घोषणा होने वाली है। इसलिए सरकार और संगठन दोनों उन्हें मनाने में जुटे हुए हैं।

Authored By: गुंजन शांडिल्य

Updated On: Saturday, July 27, 2024

राजस्थान की भाजपा सरकार और संगठन दोनों इन दिनों बेचैन है। इनके बेचैनी का कारण पार्टी के वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीणा बने हुए हैं। मीणा ने शर्मा सरकार से इस्तीफा दे दिया है। लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर हार से भाजपा बैकफुट पर है। ऐसे में प्रदेश सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री का इस्तीफा पार्टी के लिए और भी घातक है। प्रदेश में 5 विधानसभा सीटों पर कभी भी उपचुनाव की घोषणा हो सकती है। इसलिए भी सरकार और संगठन दोनों उन्हें मनाने में जुटे हुए हैं।

प्राण जाए पर वचन न जाई

वरिष्ठ मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने इस्तीफा देने से पहले कहा कि ‘प्राण जाए पर वचन न जाई।’ दरअसल, मीना ने लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं के सामने एक वचन लिया था। उनके मुताबिक अब वे उसी वचन निभा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें प्रदेश की सात लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी दी थी। चुनाव प्रचार के दौरान किरोड़ी लाल मीणा ने घोषणा कर दिया था कि अगर पार्टी एक भी सीट हारी तो वो इस्तीफा दे देंगे। भाजपा (BJP) इस बार दौसा, टोंक-सवाई माधोपुर, भरतपुर और धौलपुर-करौली की सीटें बुरी तरह हार गई। चुनाव नतीजा आने के बाद ही किरोड़ी लाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘प्राण जाये पर वचन न जाई।’

मनाने में जुटी सरकार और संगठन

किरोड़ी लाल के इस्तीफे से सरकार और संगठन दोनों स्तर पर हलचल है। किरोड़ी लाल भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। मीणा समाज में उनकी अच्छी पैंठ है। प्रदेश में होने वाले 5 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में मीणा की भूमिका अहम रहने वाली है। क्योंकि 5 में से 2 विधानसभा सीटों पर मीणा समाज की आबादी अच्छी खासी है। इसलिए पार्टी और सरकार उन्हें मनाने में जुटी है।

नड्डा से किरोड़ी लाल की मुलाकात

इस्तीफे के बाद किरोड़ी लाल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिल चुके हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी उन्हें इस्तीफा वापस लेने को कहा। लेकिन अभी वो इसको लेकर तैयार नहीं हुए हैं। बताया जाता है कि यदि किरोड़ी लाल इस्तीफा वापस नहीं लेते हैं तो पार्टी राजस्थान में डैमेज कंट्रोल करने के लिए उन्हें राज्यपाल बनने का ऑफर दे सकते हैं। ऐसे भी कुछ हीमहीनों में कई राज्यों के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। साथ ही पार्टी उनके भाई जगमोहन को दौसा सीट से उपचुनाव का टिकट भी ऑफर दे सकती है।

भाजपा की नजर उपचुनाव पर

लोकसभा चुनाव में देवली, दौसा, झुंझुनू, खींवसर और चौरासी विधानसभा सीटों के विधायक चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं। इस कारण ये पांच सीट है। छह माह से पहले आयोग इन सीटों पर उपचुनाव कराएगा। भाजपा उपचुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित कर लेना चाहती है। हालांकि इन पांचों सीटों में से पार्टी के पास एक भी सीट नहीं थी। इस कारण भी भाजपा उपचुनाव में जीतकर लोकसभा चुनाव के नुकसान को कुछ हद तक पाटना चाहती है।

5 में से 2 सीट मीणा बाहुल्य

किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे से भाजपा को उपचुनाव में नुकसान तय है। क्योंकि जिन पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे उनमें दो सीट पर मीणा समाज के विधायक जीतते रहे हैं। उनके इस्तीफे से खासकर दौसा और देवली विधानसभा सीट पर भाजपा को नुकसान हो सकता है। ये दोनों सीटों मीणा बाहुल्य है। देवली उनियारा में इससे पहले हरीश मीणा (Harish Meena) विधायक रह चुके हैं। वहीं दौसा से मुरारी लाल मीणा (Murari Lal Meena) विधायक रहे हैं।

गुंजन शांडिल्य समसामयिक मुद्दों पर गहरी समझ और पटकथा लेखन में दक्षता के साथ 10 वर्षों से अधिक का अनुभव रखते हैं। पत्रकारिता की पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के साथ कदम मिलाकर चलने में निपुण, गुंजन ने पाठकों और दर्शकों को जोड़ने और विषयों को सहजता से समझाने में उत्कृष्टता हासिल की है। वह समसामयिक मुद्दों पर न केवल स्पष्ट और गहराई से लिखते हैं, बल्कि पटकथा लेखन में भी उनकी दक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। उनकी लेखनी में विषय की गंभीरता और प्रस्तुति की रोचकता का अनूठा संगम दिखाई देता है।

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