अखिलेश को पूर्वांचल में लगा जोर का झटका

अखिलेश को पूर्वांचल में लगा जोर का झटका

Authored By: BN Verma, Political Analyst

Published On: Tuesday, May 28, 2024

Updated On: Thursday, June 27, 2024

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पूर्व मंत्री एवं पूर्वांचल के बड़े भूमिहार नेता नारद राय ने सातवें और अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले समाजवादी पार्टी को झटका देकर भगवा रंग में रंग गए हैं।

लोकसभा चुनाव अपने समापन पर पहुंच चूका है। अंतिम चरण का चुनाव तीन दिन बाद होना है लेकिन अभी भी भाजपा में दूसरे दलों के नेताओं के आने का सिलसिला थमा नहीं है। भाजपा में शामिल होने वालों की कड़ी में नया नाम नारद राय का जुड़ गया है। नारद राय पूर्वांचल के भूमिहारों का कद्दावर नेता माने जाते हैं। बलिया टीडी कॉलेज छात्र संघ अध्यक्ष से राजनीति में कदम रखने वाले नारद राय ने सातवें और अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले समाजवादी पार्टी को झटका दिया है। बलिया में एक जून को मतदान होना है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा, ‘भाजपा के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे और बलिया में कमल खिलाएंगे।‘

उनका भाजपा में शामिल होना पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी के लिए काफी बड़ा झटका माना जा रहा है। नारद बलिया से सपा उम्मीदवार सनातन पांडेय के पक्ष में प्रचार भी कर रहे थे लेकिन पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखे गए उनके पोस्ट से नाराजगी भी झलक रही थी। अखिलेश यादव की दो दिन पहले बलिया में हुई जनसभा ने रही-सही कसर पूरी कर दी। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे पूर्व मंत्री नारद राय ने आरोप लगाया कि पिछले सात साल से पार्टी में लगातार उन्हें बेइज्जत किया जाता रहा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव उनकी बात नहीं सुनते थे। उनकी गलती यह है कि अखिलेश और मुलायम में उन्होंने मुलायम को चुना।

उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 में उनका टिकट अखिलेश यादव ने काटा। 2022 में अखिलेश ने टिकट दिया जरूर लेकिन साथ ही साथ मेरी हार का इंतजाम भी कर दिया। दो दिन पहले बलिया में हुई अखिलेश की रैली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मंच पर भी मुझे बेइज्जत किया गया। अखिलेश यादव ने मंच से मेरा नाम तक नहीं लिया।

कौन हैं नारद राय

  • नारद राय बलिया सदर विधानसभा सीट से कई बार विधायक और यूपी में सपा की सरकारों में मंत्री रहे हैं।
  • खुद को जनेश्वर मिश्रा का शिष्य, राजनारायण की परंपरा का राजनेता बताने वाले नारद राय की गिनती बलिया के बड़े भूमिहार नेताओं में होती है।
  • 2017 के विधानसभा चुनाव में नारद बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन भाजपा के आनंद स्वरूप शुक्ल से मात मिली।
  • 2022 के चुनाव में सपा ने उन्हें टिकट दिया लेकिन इस बार भी नारद को जीत नसीब नहीं हुई। नारद को भाजपा के दयाशंकर सिंह ने हरा दिया।
  • लोकसभा चुनाव में भी वह सपा से टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी ने 2019 में वीरेंद्र सिंह मस्त को कड़ी टक्कर देने वाले सनातन पाण्डेय पर भरोसा जताया।
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