Haryana Assembly Election 2024 : हरियाणा चुनाव प्रचार में ये मुद्दे रहे नेता और जनता की जुबान पर

Haryana Assembly Election 2024 : हरियाणा चुनाव प्रचार में ये मुद्दे रहे नेता और जनता की जुबान पर

Authored By: सतीश झा

Published On: Friday, October 4, 2024

Last Updated On: Thursday, May 1, 2025

haryana election public issues
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हरियाणा का चुनावी गणित जातीय समीकरणों, किसानों की नाराजगी और स्थानीय मुद्दों पर आधारित है। भाजपा को सत्ता में वापसी के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जबकि कांग्रेस और जजपा अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। चुनाव परिणामों में छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, खासकर अगर स्थिति त्रिशंकु विधानसभा की बनती है।

Authored By: सतीश झा

Last Updated On: Thursday, May 1, 2025

हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, और सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 46 सीटों की जरूरत होती है। राज्य में मुख्यतः तीन प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच मुकाबला देखने को मिलता है—भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (JJP)। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रीय दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी दौड़ में हैं।

 भारतीय जनता पार्टी (BJP):

  • भाजपा ने पिछले चुनाव में 40 सीटें जीती थीं, और जजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी।
  • भाजपा इस बार अपने विकास के एजेंडे, औद्योगिकीकरण, और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादों के साथ चुनाव मैदान में उतरी है।
  • भाजपा ने अपनी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जैसे बड़े नेताओं को उतारकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है।

 कांग्रेस (Congress):

  • कांग्रेस का मुख्य मुद्दा इस बार महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याएं हैं।
  • पार्टी ने पिछले चुनावों में 31 सीटें जीती थीं और वह इस बार सत्ता वापसी की उम्मीद कर रही है।
  • भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस ने ग्रामीण और किसान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है।

जननायक जनता पार्टी (JJP):

  • नेतृत्व: दुष्यंत चौटाला
  • जजपा पिछली बार तीसरे नंबर पर रही थी और 10 सीटों के साथ भाजपा को समर्थन देकर सत्ता में हिस्सेदार बनी थी।
  • पार्टी युवाओं और किसानों के मुद्दों को उठाते हुए चुनाव लड़ रही है।
  • दुष्यंत चौटाला इस बार राज्य में बदलाव और किसान हितों की रक्षा का दावा कर रहे हैं।

अन्य दल और निर्दलीय:

इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) और बसपा जैसे दल भी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में उनकी स्थिति कमजोर रही है। निर्दलीय उम्मीदवारों की भी कुछ सीटों पर महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, क्योंकि वे गठबंधन सरकार बनाने में एक निर्णायक फैक्टर साबित हो सकते हैं।

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चुनावी मुद्दे:

  1. किसान आंदोलन: कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन का प्रभाव भी इस चुनाव में दिखाई दे सकता है। राज्य के कई हिस्सों में किसानों की नाराजगी भाजपा के लिए चुनौती हो सकती है।
  2. बेरोजगारी और महंगाई: राज्य में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल जोर-शोर से उठा रहे हैं।
  3. विकास और सुशासन: भाजपा ने राज्य में किए गए विकास कार्यों को अपनी मुख्य उपलब्धि के तौर पर पेश किया है। खासकर, शहरी इलाकों में भाजपा की पकड़ मजबूत मानी जा रही है।

जातिगत समीकरण:

  1. जाट वोट बैंक: हरियाणा की राजनीति में जाट समुदाय का बड़ा प्रभाव है, और यह समुदाय भाजपा, कांग्रेस और जजपा के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। जजपा का खास फोकस जाट वोटरों पर रहा है।
  2. अहिर, पंजाबी और दलित वोट: भाजपा ने गैर-जाट समुदायों जैसे अहिर, पंजाबी, और दलित वोटों को साधने का प्रयास किया है। कांग्रेस और बसपा ने भी इन समुदायों पर नजर रखी है।
About the Author: सतीश झा
सतीश झा की लेखनी में समाज की जमीनी सच्चाई और प्रगतिशील दृष्टिकोण का मेल दिखाई देता है। बीते 20 वर्षों में राजनीति, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों के साथ-साथ राज्यों की खबरों पर व्यापक और गहन लेखन किया है। उनकी विशेषता समसामयिक विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना और पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाना है। राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक, उनकी गहन पकड़ और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है
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